स्टूडेंट्स के लिए संकट की खबर, अब नहीं करवा सकेंगे पुस्तिकाओं का पुनर्मूल्यांकन
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स्टूडेंट्स के लिए संकट की खबर, अब नहीं करवा सकेंगे पुस्तिकाओं का पुनर्मूल्यांकन

इस मामले में चिकित्सा शिक्षा विभाग का कहना है कि पुनर्मूल्यांकन खत्म होने से भ्रष्टाचार रुकेगा. वहीं यूनिवर्सिटी के इस फैसले से स्टूडेंट्स को नुकसान उठाना पड़ सकता है

स्टूडेंट्स के लिए संकट की खबर

शैलेंद्र/ ग्वालियर: ग्वालियर के गजराराजा मेडिकल कॉलेज सहित जिले के निजी और सरकारी नर्सिंग कॉलेज, डेंटल कॉलेज, आयुष कॉलेजों के 10 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स के सामने संकट खड़ा हो गया है.

स्टूडेंट्स इस साल से उत्तर पुस्तिकाओं का पुनर्मूल्यांकन नहीं करवा सकेंगे. क्योंकि मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी जबलपुर ने यह व्यवस्था ही बंद कर दी है.

पुनर्मूल्यांकन खत्म होने से भ्रष्टाचार रुकेगा
इसके बदले मॉडरेशन प्रणाली लागू की जा रही है. यानी एक बार जो नंबर मिल गए वो बदलेंगे नहीं. इस मामले में चिकित्सा शिक्षा विभाग का कहना है कि पुनर्मूल्यांकन खत्म होने से भ्रष्टाचार रुकेगा. वहीं यूनिवर्सिटी के इस फैसले से स्टूडेंट्स को नुकसान उठाना पड़ सकता है. क्योंकि कई बार एक नंबर के अंतर से स्टूडेंट फेल हो जाते हैं या उनकी मेरिट बदल जाती है.

पहले ही परेशान थे छात्र
वहीं इन कॉलेजों के छात्र पहले से ही रिजल्ट में देरी, बढ़ी हुई फीस और अन्य विसंगतियों के चलते पहले ही परेशान थे. लेकिन अब मेडिकल यूनिवर्सिटी के इस फैसले से नई मुश्किल खड़ी हो गई है.

ग्रेस नंबर का लाभ भी नहीं मिलेगा
जबकि मेडिकल यूनिवर्सिटी के मुताबिक रिजल्ट के बाद पुनर्मूल्यांकन नहीं होगा. स्टूडेंट्स को पास होने में 10% नंबर कम आने की स्थिति में रिजल्ट जारी करने से पहले यूनिवर्सिटी उसकी कॉपी दोबारा जांचेगी. छात्रों का कहना है कि हमें पता ही नहीं चलेगा कि दोबारा कॉपी जांची भी या नहीं? यदि जांची भी तो किस आधार पर? यदि कोई स्टूडेंट छह नंबर से फेल हो रहा है और उसका एक नंबर भी नहीं बढ़ाया गया तो उसे पांच नंबर के ग्रेस का लाभ भी नहीं मिल सकेगा.

स्पॉट वैल्यूएशन पर जोर
यूनिवर्सिटी दूसरे विकल्प स्पॉट वैल्यूएशन पर जोर दे रही है. जो कारगर नहीं है क्योंकि इसके लिए स्टूडेंट को जबलपुर जाना होगा. एक विषय की दो कॉपी के लिए चार हजार रुपए जमा करवाना होंगे. इसके बाद केवल यह देखा जाएगा कि टोटल गलत तो नहीं हुआ?
कोई प्रश्न जांचने से छूट तो नहीं गया? यानी, कॉपी फिर भी दोबारा नहीं जांची जाएगी.

नई रणनीति पर ज़ोर
जुड़ा के अध्यक्ष डॉक्टर देवेंद्र शर्मा का कहना है कि इसको लेकर वह रणनीति बना रहे हैं और वह जल्द ही चिकित्सा शिक्षा मंत्री सहित अन्य लोगों से मिलेंगे. मेडिकल की पढ़ाई का कैरियर वैसे भी लंबा है और ऐसे में यदि रिवेल्युएशन न होने के चलते किसी भी छात्र का बैक लगता है तो उसे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.

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