मांग में सिंदूर लगाए बिना फैमिली कोर्ट पहुंची पत्नी, जज ने सुनाया बड़ा फैसला, टूटने से बचा रिश्ता
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मांग में सिंदूर लगाए बिना फैमिली कोर्ट पहुंची पत्नी, जज ने सुनाया बड़ा फैसला, टूटने से बचा रिश्ता

Indore Family Court:  इंदौर के फैमिली कोर्ट ने पति और पत्नी के मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सिंदूर शादीशुदा होने की निशानी है और सिंदूर लगाने से पता चलता है कि महिला विवाहित है.

मांग में सिंदूर लगाए बिना फैमिली कोर्ट पहुंची पत्नी, जज ने सुनाया बड़ा फैसला, टूटने से बचा रिश्ता

Indore Family Court: इंदौर की फैमिली कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि ''पत्नी का सिंदूर नहीं लगाना एक प्रकार से क्रूरता है. हिंदू धर्म में महिलाओं का मांग भरना विवाहित होने की निशानी है.'' इस टिप्पणी के साथ ही कोर्ट ने अलग रह रही महिला को तत्काल अपने पति के पास लौटने का आदेश दिया है.

जानिए पूरा मामला क्या है?
दरअसल इंदौर शहर के एक शख्स ने फैमिली कोर्ट में अपनी पत्नी को वापस बुलाने के लिए एक याचिका दायर की थी. हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 9 (जिनमें एक पति या पत्नी बिना किसी वैध कारण के दूसरे को छोड़ देता है) के तहत लगाई गई, इस याचिका में कहा गया कि पत्नी बीते 5 साल से बिना किसी वजह पति के अलग रह रही है. कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि विवाहित महिला ने अपनी मांग में सिंदूर भरना भी बंद कर दिया है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जब महिला से इस बारे में कोर्ट ने पूछा तो जवाब आया कि - पति से अलग रहने की वजह से वो मांग नहीं भरती है. आपको बता दें कि कोर्ट में बयान देने के दौरान भी महिला बिना मांग में सिंदूर भरे ही आई थी.

अदालत ने सुनाया बड़ा फैसला
अदालत ने पति के पक्ष में फैसला सुनाते हुए पत्नी को पति के पास आने का आदेश दिया है. कोर्ट ने 11 पेज के फैसले में गुवाहाटी हाई कोर्ट के आदेश का हवाला भी दिया. कोर्ट ने माना कि पति ने पत्नी का परित्याग (तलाक) नहीं किया, बल्कि पत्नी ने अपनी मर्जी से खुद को अलग किया है. बगैर किसी वाजिब कारण के पति से दूर हुई है.

5 सालों से अलग रह रही थी पत्नी
इस पूरे मामले में पत्नी ने पति पर दहेज मांगने, नशा करने और घूंघट के लिए परेशान करने जैसे आरोप लगाए हैं. हालांकि कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सिंदूर लगाने से पता चलता है कि महिला विवाहित है, और अगर कोई महिला शादीशुदा होते हुए भी सिंदूर नहीं लगाती है, तो ये एक प्रकार की क्रूरता है. कोर्ट के इस फैसले की हर जगह चर्चा हो रही है, वहीं पति-पत्नी का रिश्ता भी टूटने से बच गया. याचिकाकर्ता के वकील के मुताबिक दोनों की  शादी साल 2017 में हुई थी और दंपति का 5 साल का बेटा भी है.

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