हीरों की नगरी में खड़ा किया बाघों का कुनबा, दशक भर में दिया 21 शावकों को जन्म, पढ़ें बाघिन T-2 की कहानी
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हीरों की नगरी में खड़ा किया बाघों का कुनबा, दशक भर में दिया 21 शावकों को जन्म, पढ़ें बाघिन T-2 की कहानी

टी-2 ने साल 2010 में सबसे पहले 4 शावकों को, और साल 2012 में 3 शावकों को जन्म दिया. इसी तरह सिलसिला जारी रहा और देखते ही देखते बाघों का कुनबा भी निरंतर बढ़ता चला गया.

पन्ना टाइगर रिजर्व में अपने शावकों के साथ घूमती बाघिन टी-2

पन्ना/पीयूष कुमार शुक्लः आज से 12 साल पहले का वो समय था जब पन्ना टाइगर रिजर्व में एक भी बाघ नहीं बचा था. तब प्रशासन की पहल से बाघ पुनर्स्थापना योजना शुरू की गई. उसी के तहत 2009 में कान्हा टाइगर रिजर्व से बाघिन T-2 को पन्ना लाया गया. जो 13 ब्रीडिंग बाघिनों में से सबसे सफलतम बाघिन साबित हुई. 

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टी-2 ने अब तक सात बार में 21 शावकों को जन्म दिया है. जो पन्ना टाइगर रिजर्व के इतिहास में किसी एक बाघिन द्वारा जन्मे सबसे अधिक शावक है. इतना ही नहीं टाइगर रिजर्व प्रबंधन को अब भी इस बाघिन से वंशवृद्धि में सहयोग की उम्मीद है. 

तीन टाइगर रिजर्व की ली सहायता
आज पन्ना टाइगर रिजर्व का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूनेस्को (UNESCO) में दिखाई दे रहा है. लेकिन 2008 में एक समय ऐसा भी था जब यह यूनेस्को साइट बाघ विहीन हो चुका था. तभी प्रशासन ने बाघों के विकास के लिए 'बाघ पुनर्स्थापना योजना' शुरू कर तीन टाइगर रिजर्व से सहायता ली. 

दो बाघिन और एक बाघ को लाया गया
योजना के तहत साल 2009 में एक बाघिन T-1 को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से और एक बाघिन T-2 को कान्हा टाइगर रिजर्व से लाया गया. इसके साथ ही बाघ T-3 को पेंच टाइगर रिजर्व से मंगवाया गया था. 

10 सालों में 21 शावकों को दिया जन्म
सैकड़ों कर्मचारियों, हाथियों और बड़े अधिकारियों का एक दल बनाया गया और महीनों तक बाघिन टी-2 और बाघ टी-3 सहित दूसरे बाघों के संसर्ग के प्रयास किए गए. अंततः मेहनत सफल हुई और बाघिन टी-3 ने महज 10 सालों के अंदर 7 बार में 21 शावकों को जन्म दिया.

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बाघों का कुनबा बढ़ता गया
टी-2 ने साल 2010 में सबसे पहले 4 शावकों को, और साल 2012 में 3 शावकों को जन्म दिया. इसी तरह सिलसिला जारी रहा और देखते ही देखते बाघों का कुनबा भी निरंतर बढ़ता चला गया. बाघिन टी-2 अब बुजुर्ग होने लगी है. इससे आशंका है कि अब वह आगे शायद ही वंशवृद्धि में अपना योगदान दे सके. 

प्रबंधन को है उम्मीद
पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा से इस बारे में बात की गई. उन्होंने कहा है कि यहां बाघों को कुनबा बढ़ाने में इस करिश्माई बाघिन टी-2 का ही योगदान रहा है. यह बाघिन अब भी एक्टिव है और उम्मीद है कि भविष्य में और भी बाघों की संख्या बढ़ाने में मदद करेगी. 

पन्ना टाइगर रिजर्व 
पन्ना टाइगर रिजर्व भारत का 12वां बाघ अभयारण्य है. बाघों के मुख्य अभयारण्य होने के साथ-साथ यहां मगरमच्छ और अन्य जीव भी अच्छी संख्या में हैं. 

मध्य प्रदेश के उत्तर में पन्ना और छतरपुर जिलों में फैला टाइगर रिजर्व विंध्य रेंज में स्थित है. साल 1981 में पन्ना टाइगर रिजर्व की स्थापना राष्ट्रीय उद्यान के तौर पर की गयी थी. केंद्र सरकार ने साल 1994 में राष्ट्रीय उद्यान को पन्ना टाइगर रिजर्व के रूप में घोषित कर दिया था. यूनेस्को ने पन्ना टाइगर रिजर्व को अपने मैन एंड बायोस्फीयर प्रोग्राम का हिस्सा भी बनाया है.

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