Asirgarh Fort History: मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में स्थित असीरगढ़ किला अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए है. कहा जाता है कि इस किले में एक जलाशय है जो कितनी भी भीषण गर्मी क्यों न हो कभी नहीं सूखता. आइए जानते हैं इसके इतिहास के बारे में.
बुरहानपुर का असीरगढ़ किला पूरी दुनिया में मशहूर है. इस किले पर स्थित शिव मंदिर भी अपने रहस्य के कारण भक्तों के बीच काफी प्रसिद्ध है. मान्यता है कि यहां प्रतिदिन अश्वत्थामा स्वयं भोलेनाथ की पूजा करने आते हैं और वे ही सबसे पहले शिवलिंग पर गुलाब का फूल चढ़ाते हैं.
असीरगढ़ किले का इतिहास बहुत पुराना है. यहां पांच हजार साल पुराना शिव मंदिर मौजूद है. देशभर से श्रद्धालु श्रावण मास में भोलेनाथ की पूजा करने इस मंदिर में पहुंचते हैं.
हाल ही में असीरगढ़ को लेकर किले के पश्चिमी हिस्से में खुदाई की गई थी. खुदाई के दौरान पुरातत्व विभाग की टीम को कई रहस्य भरी चीजें मिली थीं. खुदाई वाली जगह पर जमीन के नीचे एक खूबसूरत महल मिला.
महल में 20 गुप्त कमरे खोजे गए. इस महल में एक स्नान कुंड भी है. साथ ही खुदाई के दौरान एक जेल भी मिली. जेल में लोहे की खिड़कियां हैं.
कहा जाता है कि महाभारत के मुख्य पात्रों में से एक अश्वत्थामा आज भी इस किले में मौजूद है. अपने पिता की मौत का बदला लेने निकले अश्वत्थामा को भगवान कृष्ण ने युगों-युगों तक भटकने का श्राप दिया था.
तालाब से थोड़ी दूर पर गुप्तेश्वर महादेव के नाम से भगवान शिव का एक मंदिर प्रसिद्ध है. मंदिर के चारों ओर गहरी खाइयाँ हैं. ऐसा माना जाता है कि इन्हीं खाइयों में से एक में गुप्त रास्ता है, जो मंदिर से जुड़ा हुआ है.
असीरगढ़ किले का निर्माण अहीर वंश के राजा आसा अहीर ने करवाया था. यह किला देखने में जितना शानदार है उतना ही अद्भुत भी है.
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