Navaratri: नवरात्रि का आज 9वां दिन है. इस मौके पर मां की पूजा पूरे देश भर में पूरे जोर-शोर से चल रही है. ऐसे में आज हम आपको मां काली की पूजा करने के लिए ऐसी विधी बताएंगे, जिससे बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे.
मां काली की पूजा जहां हजारों की संख्या में भक्तगढ़ दर्शन के लिए एवम मनोकना के लिए पहुंच जाते हैं, जिससे मान्यता है कि जो भी मां काली की दर्शन व विधिविधान से मन्नत मांगता है उसकी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.
उपाषक आग के अंगारों में नाचते नजर आता है, जिससे माना जाता है कि उसके शरीर में मां काली का प्रवेश हो जाता है. वह अंगारों में नाचता है. सभी को दर्शन देकर आशीर्वाद देते हैं. रोज आए हुए दर्शन में भक्त को भंडारे में प्रशाद भी दिया जाता है.
परिवार वालों ने बताया की एक रात जब वह पैदल घर आ रहा था तभी एक कन्या मिली और वह बोली कि कहा जा रहे हो. भक्त बोला मैं घर जा रहा हु तो कन्या बोली मैं भी उसी रास्ते में जाऊंगी. मैं अकेली हूं. मैं जाऊंगी. बोली तभी दोनों साथ में चलने लगे जब भक्त उसे देखा तो अंतर्ध्यान हो गई. तभी से भक्त मां काली का उपासक बन गया.
मां काली के उपासक सन्यासी और तांत्रिक होते हैं. मां काली को शक्ति सम्प्रदाय की प्रमुख देवी माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि मां की भक्ति करने से सारे भय खत्म हो जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि मां काली की सच्चे मन से भग्ती करने से तंत्र-मंत्र का असर खत्म हो जाता है. इसके साथ ही मां की पूजा से पाप ग्रहों, विशेषकर राहु और केतु भी शांत हो जाते हैं.
शास्त्रों के मुताबिक, मां काली की पूजा का सबसे अच्छा समय मध्यरात्रि होता है. आधी रात को जब पूरी दुनिया सो जाती है तब मां की पूजा एकांत में किया जाता है. जहां अन्य देवी-देवताओं की पूजा में काले वस्त्रों का इस्तेमाल नहीं होता है वहीं मां काली की पूजा में लाल और काली वस्तुओं का विशेष महत्व होता है.
मां काली की पूजा में भक्त ध्यान और मंत्रों का जाप अधिक करते हैं. क्योंकि शास्त्रों के मुताबिक मंत्र जाप करने से मां बहुत जल्द प्रसन्न हो जाती हैं. मां काली को गुड़ का भोग काफी पसंद है. इसलिए अगर आप मां को प्रसन्न करना चाहते हैं तो मां की पूजा के समय मां को गुड़ का भोग जरूर लगाएं.
मां काली की पूजा सामान्य रूप से भी किया जा सकता है लेकिन शास्त्रों के जानकार मानते हैं कि मां की पूजा बिना गुरु के संरक्षण और निर्देश के नहीं करना चाहिए. मां काली की पूजा में सफाई का विशेष ध्यान देना पड़ता है. उपासक स्नान के बाद शरीर पर इत्र लगाकर , एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर मां काली की मूर्ति या चित्र स्थापित कर उनकी पूजा करते हैं.
मां काली को भग्त कुमकुम, हल्दी और नारियल भी चढ़ाते हैं. इससे मां की पूजा बहुत ही खास हो जाती है. मां को प्रसन्न करने के लिए भग्त आग के अंगारों पर भी नाचते है जिससे माना जाता है की उसके शरीर में मां काली का प्रवेश हो जाता है और वह अंगारों में नाच कर लोगों के आशीर्वाद देते हैं.
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