ताले में कैद सरकारी अस्पताल,कहीं बना टेंट हाउस तो कहीं गोडाउन में हो गए तब्दील
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ताले में कैद सरकारी अस्पताल,कहीं बना टेंट हाउस तो कहीं गोडाउन में हो गए तब्दील

राजगढ़ जिले के बीमार सरकारी अस्पतालों का हाल बुरा है. सरकारी अस्पतालों में लोगों ने कब्जा कर लिया है.

अस्पताल नहीं टेंट हाउस नजर आता

राजगढ़: ज़िले में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही के चलते गांव में बने उपस्वास्थ्य केन्द्रों पर दबंगों ने कब्जा जमा रखा है. जिसके चलते कोरोनाकाल में जरूरतमंदों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल रहा है. सरकार भले ही ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाने के नाम पर करोड़ों रूपये पानी की तरह खर्च कर गांव-गांव मे सरकारी उपस्वाथ्य केंद्र को आरोग्यम केंद्र बनवा रही है ताकि गरीब ग्रामीणों को समय पर बेहतर ईलाज मिल सके. लेकिन राजगढ़ जिले के ग्रामीण इलाकों मे बने 165 उपस्वास्थ्य केन्द्रों में या तो हर रोज ताले डले रहते हैं.

महीनों तक नहीं आते स्वास्थ्य कार्यकर्ता
इन अस्पतालों में गांव के दबंग लोगों ने कब्जा कर रखा है. क्योंकि गांव में बने स्वास्थ्य केन्द्रों पर पदस्थ कोई भी स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपनी ड्यूटी देने महीनों -महीनों तक नहीं आते हैं. जिसके चलते गांव के ग्रामीणों को सरकारी उपस्वास्थ्य केन्द्रों पर इलाज नहीं मिल रहा है.
इलाज के लिए ग्रामीण ईलाकों के लोगों को कई किलोमीटर का सफर तय करते हुए या तो प्रायवेट या ब्लॉक स्तर के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर जाना पड़ता है.

लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद नहीं मिल रहा लाभ
राजगढ़ जिले में उपस्वास्थ्य केन्द्रों की हकीकत जानने के लिए जब हमारी टीम राजगढ़ जिले के खिलचीपुर ब्लॉक के ग्रामीण ईलाकों के दोलाज गांव पहुंची तो स्वास्थ्य विभाग की चौंकाने वाली तस्वीरें सामने आई जिसे देखकर हम भी चौंक गए. खिलचीपुर ब्लॉक में कुल 24 उपस्वास्थ्य केन्द्र है जिसमें से एक है दोलाज गांव का उपस्वास्थ्य केन्द्र. सरकार के लाखों रुपये खर्च कर कई सालों पहले बनाया गया था. इस दोलाज गांव में उपस्वास्थ्य केन्द्र जबसे बना है. तब से लोगों को आज तक इसका लाभ नहीं मिला है. गांव के लोगों की माने तो करीब 20 साल से इसमें ताला लगा हुआ है. ये भलेही सरकारी अस्पताल हो लेकिन बाहर से देखने पर ये टेंट हाउस की दुकान जैसा दिखने वाला दोलाज गांव का बीमार हो चुका सरकारी अस्पताल है. बाहर से इसे देखकर कोई भी नहीं कह सकता कि यह एक अस्पताल है.

काम करने को तैयार नहीं कर्मचारी
स्वास्थ्यकर्मियों की कारगुजारी की वजह से ही इस सरकारी अस्पताल पर गांव के ही एक दबंग ने टेंट हाउस का समान रख लिया है इतना ही नहीं यहां इस दबंग ने दुकानदारी शुरू कर ली है. जिससे बाहर से देखने पर यह अस्पताल नहीं बल्कि टेंट हाउस नजर आता है. गाँव के लोगों ने इसकी शिकायत बहुत बार अधिकारियों से की है लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है.

ग्रामीण ने कहा
ग्रामीण जगदीश दांगी ने बताया कि इस अस्पताल में करीब 20 साल से गांव के एक दबंग ने कब्जा कर टेंट हाउस की गद्दे और सामान रख कब्जा कर रखा है.

गादियामेर सरकारी अस्पताल गोडाउन बना
वहीं दूसरी तस्वीर खिलचीपुर ब्लॉक के गादियामेर उपस्वास्थ्य केन्द्र की है. यहां भी हर उपस्वास्थ्य केन्द्र की तरह ही ताला लगा मिला. गादियामेर गाँव के उपस्वास्थ्य केन्द्र पर गांव के ही दबंग भगवान नाम के व्यक्ति ने कब्जा कर लिया है और सरकारी अस्पताल को गोडाउन बना दिया है और दबंग ने उपस्वाथ्य केंद्र में खुद का ताला लगा रखा है. वही एक कमरे मे गोबर के कण्डे रखे हुए हैं. तो अस्पताल के अन्य कमरों में कृषि का सामग्री रख इस सरकारी अस्पताल को गोडाउन बना रखा है.

इलाज के लिए 7 किलोमीटर दूर जाते हैं
गांव के सरकारी चौकीदार रोड सिंह ने बताया कि "हमारे गांव में सालों से इस अस्पताल के ताला लगा है. और यहां कभी डॉक्टर आते ही नही है. इलाज के लिए हमारे गांव के लोगों को 7 किलोमीटर दूर खिलचीपुर अस्पताल ले जाना पड़ता है. बहुत परेशानी होती है. कई ग्रामीण तो अस्पताल ले जाते समय दम तोड़ देते है" .
खिलचीपुर के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर सुमित सिंगी से  जब बात करना चाहा तो उन्होंने इस पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.

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