MP Election 2023: सियास रणभूमि बन गई विंध्य की ये विधानसभा, BJP ने दिग्गज को उतारा, कांग्रेस कैसे बचाएगी सीट?
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MP Election 2023: सियास रणभूमि बन गई विंध्य की ये विधानसभा, BJP ने दिग्गज को उतारा, कांग्रेस कैसे बचाएगी सीट?

Seat Analysis: रीवा संभाग में आने वाले सतना विधानसभा सीट अब मध्य प्रदेश की हाई प्रोफाइल सीटों में से एक बन गई है. इसकी वजह यह है कि बीजेपी ने यहां सतना के सांसद गणेश सिंह को मैदान में उतार दिया है. बीजेपी अपनी चौंकाने वाली दूसरी लिस्ट में 7 सांसदों को विधानसभा का टिकट दिया है, उनमें से एक नाम गणेश सिंह का भी है. 

MP Election 2023: सियास रणभूमि बन गई विंध्य की ये विधानसभा, BJP ने दिग्गज को उतारा, कांग्रेस कैसे बचाएगी सीट?

Seat Analysis: रीवा संभाग में आने वाले सतना विधानसभा सीट अब मध्य प्रदेश की हाई प्रोफाइल सीटों में से एक बन गई है. इसकी वजह यह है कि बीजेपी ने यहां सतना के सांसद गणेश सिंह को मैदान में उतार दिया है. बीजेपी अपनी चौंकाने वाली दूसरी लिस्ट में 7 सांसदों को विधानसभा का टिकट दिया है, उनमें से एक नाम गणेश सिंह का भी है. यह सीट फिलहाल कांग्रेस के कब्जे है. यहां से कांग्रेस के सिद्धार्थ कुशवाहा सांसद हैं.

साल 2018 में सिद्धार्थ कुशवाहा ने 3 बार के विधायक भाजपा के शंकरलाल तिवारी को 12,558 वोटों से हराया था. इस दौरान सतना में कुल 37 प्रतिशत वोटिंग हुई थी.  सिद्धार्थ कुशवाहा को कुल 60,105 वोट मिले थे, जबकि शंकर लाल तिवारी को 47,547 वोट मिले. आखिरी चुनाव में यहां तीसरे नंबर पर बीएसपी रही थी. 2023 विधानसभा चुनाव को लिए फिलहाल कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा, लेकिन अब देखना यह है कि कांग्रेस सिद्धार्थ कुशवाहा से पर फिर से दांव लगाती है या किसी ने चेहरे को मैदान में उतार सकती है.

वोटर्स के आंकड़े और जातिगत समीकरण
चुनाव आयोग की ओर से 2018 में जारी किए आंकड़ों के मुताबिक, सतना विधानसभा में कुल 2.30 लाख से ज्यादा वोटर्स थे. इसमें 1.22 लाख से ज्यादा पुरुष वोटर्स और 1.08 लाख से ज्यादा महिला वोटर्स हैं. दोनों पार्टियों के बीच वोट मार्जिन 7.83% था. सतना जिले में क्षत्रिय, पटेल, वैश्य, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति और ब्राह्मणों वोटर्स निर्णायक स्थिति में हैं. 

सतना विधानसभा सीट का इतिहास
साल 2013, 2008 और 2003  में यहां से बीजेपी के शंकरलाल तिवारी ने जीत दर्ज की थी.  इससे पहले 1998 में कांग्रेस के सईद अहमद में जीत दर्ज की थी. 1993 और 1990 में बीजेपी के बृंजेन्द्र पाठक ने यहां से चुनाव जीता. इससे पहले  1985  और 1980 में सतना से कांग्रेस के लालता प्रसाद खरे चुनाव जीते थे. 1977 में  कांग्रेस के अरुण सिंह जीते थे. 1972 में कांग्रेस के कांता चुनाव जीते थे. 

गणेश सिंह का सियासी सफर
गणेश सिंह प्रत्याशी सतना लोकसभा सीट से चार बार के सांसद हैं. गणेश विंध्य क्षेत्र में भाजपा का बड़ा चेहरा माने जाते हैं. भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें सतना सीट से पार्टी प्रत्याशी बनाने का फैसला किया है.  साल 2003 में उमा भारती की मप्र की सियासत में आमद के बाद भाजपा में आए गणेश सिंह 2004 में पहली बार भाजपा के टिकट पर लोकसभा सदस्य चुने गए थे. जिस वक्त भाजपा ने उन्हें लोकसभा का टिकट दिया था, वे सतना जिला पंचायत के अध्यक्ष थे. इसके बाद गणेश सिंह ने लगातार 4 लोकसभा चुनाव जीते. गणेश सिंह इस बार पहली बार विधानसभा चुनाव के मैदान में हैं.

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