चंद्रशेखर सोलंकी/ रतलामः पुलिस विभाग में भर्ती के लिए रतलाम जिले की 100 बेटियों को विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है. 100 लड़कियों  के इस बैच को विभाग की स्पेशल टीम ट्रेनिंग के साथ ही कोचिंग भी दे रही है. इस स्पेशल बैच का नाम 'सुपर गर्ल' है, जिन्हें महिला बाल विकास विभाग ट्रैक सूट व पौष्टिक आहार प्रदान कर रही है.


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अगर यही ट्रेनिंग किसी प्राइवेट कोचिंग संस्थान में दी जाती तो वहां लाखों रुपये फीस वसूल ली जाती. लेकिन रतलाम पुलिस विभाग ने महिला बाल विकास विभाग के साथ ट्रेनिंग का सारा खर्च उठाते हुए टॉप-100 लड़कियों का चयन किया है. जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से हैं और जो कभी महंगे प्राइवेट कोचिंग संस्थानों में जाने के बारे में सोचती भी नहीं हैं.


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परीक्षा का फॉर्म भरने तक के नहीं हैं पैसे
जिले के अलग-अलग इलाकों की झुग्गी-बस्तियों में रहने वाली इन बेटियों की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि ये पुलिस विभाग भर्ती परीक्षा का फॉर्म तक नहीं भर सकतीं. कुछ लड़कियां तो ऐसे घर से आती हैं जहां साल भर से बिजली नहीं आई हैं. ये लड़कियां जैसे-तैसे कर उच्च शिक्षा तो प्राप्त कर लेती हैं, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते आगे की तैयारी नहीं कर पातीं. ऐसे में रतलाम पुलिस व महिला बाल विकास विभाग ने संयुक्त अभियान चलाकर 100 बेटियों का चयन किया और उन्हें आगे लेकर आए. चयनित बच्चियों की आर्थिक हालत कमजोर जरूर है लेकिन ये सभी पढ़ाई में अच्छी है. इसीलिए विभाग ने इस बैच का नाम 'सुपर गर्ल' बैच रखा है.  



'पुलिस में महिलाओं का योगदान बढ़ाने का है उद्देश्य'
एसपी गौरव तिवारी ने बताया कि मध्य प्रदेश सरकार महिलाओं को पुलिस विभाग में लाने का प्रयास करती आ रही हैं. लेकिन पुलिस भर्ती में महिलाओं का प्रतिशत अक्सर कम रहता है. दरअसल, महिलाएं लिखित परीक्षा तो पास कर लेती हैं, लेकिन शारीरिक परीक्षा में उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए पुलिस विभाग ने पिछले साल इस अभियान की शुरुआत करते हुए 100 बच्चियों का चयन कर 'सुपर गर्ल' बैच को तैयार किया था.


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सुबह 6 बजे से दी जाती है आउटडोर ट्रेनिंग
इस साल फिर विभाग ने पिछड़े इलाके की बच्चियों का चयन कर 'सुपर गर्ल' बैच तैयार किया है. एसपी तिवारी ने बताया कि सभी को सुबह 6 बजे से आउटडोर ट्रेनिंग दी जाती है. 8 बजे इन्हें पौष्टिक नाश्ता दिया जाता है, फिर इनकी कोचिंग क्लास शुरू होती है. जिसमें बाहर से शिक्षक हायर किए गए हैं, जो इनकी पढ़ाई का बेहतर तरीके से ध्यान रखते हैं.



कोरोना के कारण करना पड़ा था स्थगित
महिला बाल विकास विभाग के पर्यवेक्षक एहतेशाम अंसारी ने बताया कि कोरोना के कारण पिछले साल ट्रेनिंग प्रोग्राम को स्थगित करना पड़ता था. लेकिन इस साल बैच को नई बच्चियों और नई ऊर्जा के साथ फिर से शुरू किया गया. 100 बेटियों के 'सुपर गर्ल' बैच को 2 कोच व जिला खेल अधिकारी खुद ग्राउंड पर ट्रेनिंग दे रहे हैं.


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उन्होंने कहा कि बच्चियों से ट्रैक सूट, पौष्टिक आहार और कोचिंग की फीस नहीं ली जा रही हैं. इसके अलावा भी अगर ट्रेनिंग में कोई खर्च आता है तो उसे भी विभाग द्वारा ही वहन किया जाएगा. इस पहल से उन सभी के घरों में उम्मीद की रोशनी आई, जिन्होंने अपने घर में कभी रोशनी नहीं देखी. ट्रेनिंग अभियान शुरू करने से इन सभी को आगे बढ़ने का एक नया हौसला मिला, जो शायद पुलिस विभाग में जॉइनिंग का ख्वाब तक छोड़ चुकी थीं.


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