शहडोल: शहडोल के मेडिकल कॉलेज में 12 मरीजों की मौत ने प्रशासन क्या सरकारी सिस्टम की पोल खोलकर रख ही है. सारे सरकारी दावे धरे के धरे रह गए. प्रदेश में जब ऑक्सीजन की कमी हुई थी तो सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले वाहनों को एंबुलेंस का दर्जा दिया जाए. कागजों में कहा गया था कि ऑक्सीजन टैंकर को प्लांट से रवाना होने से लेकर अस्पताल तक पहुंचाने के दौरान पुलिस का वाहन आगे रहेगा, लेकिन शहडोल के लिए निकला टैंकर दमोह में खराब हो गया. इसके बाद किसी तरह की कोई वैकल्पिक व्यवस्था सरकार ने नहीं की थी. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

शनिवार देर रात ही अस्पताल का ऑक्सीजन खत्म हो गया था. शासन-प्रशासन अपनी नाकामी को छिपाते रहा. डीन ने कहा कि ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौत हुई तो वहीं अपर कलेक्टर ने कहा कि क्रिटिकल कंडीशन की वजह से मरीजों की मौत हुई है. वहीं प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने यहां तक दावा किया कि ऑक्सीजन की कमी से कोई जान नहीं गई है. हालांकि इन तीनों के दावों की पोल परिजनों ने खोलकर रख दी. 


कोरोना से गंभीर रूप से बीमार मरीज पर डॉक्टरों ने आजमाया ये तरीका, रिकवरी देखकर सब रह गए हैरान


दमोह में खराब हो गया ट्रक, प्रशासन को पता ही नहीं चला
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 180 सिलेंडर लेकर एक ट्रक शनिवार रात 11 बजे पहुंच जाना था, लेकिन दमोह में वह खराब हो गया. इसकी सूचना शहडोल जिला प्रशासन को देर शाम तक नहीं मिली. शहडोल मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. मिलिंद शिलोरकर का कहना है कि कोरोना के 62 मरीज गंभीर अवस्था में थे और रात में ऑक्सीजन का प्रेशर कम हो गया था. 


24 घंटे में 22 मौत; फिर भी सोता रहा प्रशासन, डीन-अपर कलेक्टर के बयानों में विरोधाभास


रविवार दोपहर तक नहीं पहुंचा ऑक्सीजन टैंकर
इधर, सबसे पहले रात 12:30 बजे दो मरीजों की मौत हुई. इसके बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया. परिजन मरीजों के ऑक्सीजन पंप को दबाने लगे ताकि उन्हें पूरा प्रेशर मिल जाए, लेकिन होनी को कौन टाल सकता है. लचर स्वास्थ्य व्यवस्था की वजह से एक-एक करके 10 और मरीजों ने दम तोड़ दिया. सुबह होते अस्पताल में मातम छा गया. आलम यह है कि रविवार दोपहर 2 बजे तक भी ट्रक ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर नहीं पहुंचा था.


WATCH LIVE TV