भाजपा और टीएमसी बंगाल चुनाव में अपनी-अपनी जीत का दावा अभी से करने लगे हैं. जबकि चुनाव में अभी चार महीने का वक्त बाकी है. बंगाल में लोकसभा चुनाव के परिणाम देखने के बाद भाजपा बांछें खिली हुई हैं, दूसरी ओर ममता की पार्टी टीएमसी 10 साल से सत्ता में है.
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नई दिल्ली: केन्द्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने जी मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ के एडिटर दिलीप तिवारी के साथ बातचीत में बंगाल चुनाव, नए कृषि कानून और किसानों के मुद्दे, एसवाईएल और राजस्थान सरकार समेत कई अहम मुद्दों अपने विचार रखे. इस बातचीत में से बंगाल चुनाव और वहां की राजनीति पर केन्द्रीय मंत्री से हुई बातचीत का अंश निम्न है.
भाजपा और टीएमसी बंगाल चुनाव में अपनी-अपनी जीत का दावा अभी से करने लगे हैं. जबकि चुनाव में अभी चार महीने का वक्त बाकी है. बंगाल में लोकसभा चुनाव के परिणाम देखने के बाद भाजपा की बांछें खिली हुई हैं, दूसरी ओर ममता की पार्टी टीएमसी 10 साल से सत्ता में है. ऐसे में एंटी इन्कम्बेंसी का फैक्टर भी जरूर रहेगा. बंगाल का चुनावी रण जीतने और जुझारू ममता को सत्ता से बेदखल करने के लिए भाजपा कितनी ताकतवर और तैयार है.
सवाल- आपकी पार्टी बंगाल में बड़ा दांव लगा रही हैं, गृहमंत्री और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बड़ी-बड़ी रैलियां कर रहे हैं. आपके राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा वहां जा चुके हैं, आपको भी पार्टी ने जिम्मेदारी दी है. 5 लोकसभा और तकरीबन 35 विधानसभा सीटें हैं. पश्चिम बंगाल में जो हालात हैं, आपको लगता है कि सत्ता की फसल काटने का समय आ गया है?
जवाब- देखिए, बंगाल में कम्युनिस्टों के 34-35 साल के शासन के बाद, जिस तरह का गुंडाराज वहां था, उसे बदलने की अपेक्षा थी, कि शायद हम इससे बच जाएंगे, इसी अपेक्षा के साथ, बंगाल की जनता ने ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस को मौका दिया था. मां, माटी और मानुष का नारा देकर वह सत्ता में आई थीं, लेकिन आज अगर बंगाल में जाकर धरातल पर स्थिति को देखा जाए तो न बंगाल की मां-बहनों के साथ न्याय हुआ, न बंगाल की माटी के साथ न्याय हुआ, न ही बंगाल के भद्र पुरुष के साथ ही कोई न्याय हो पाया.
भ्रष्टाचार का राजनीतिकरण पिछले 10 साल में जो टीएमसी की सरकार में हुआ है, राजनीति का अपराधीकरण, जो परंपरा कम्युनिस्ट सरकार में थी, उसे और ऊंचाई पर ममता दीदी की सरकार लेकर गई है. उससे भी बड़ा विषय यह है कि जिस तरह से प्रशासनिक व्यवस्था का राजनीतिकरण हुआ है ये तीनों ही दोष अब बंगाल की जनता समझ चुकी है. इन सबसे उकता चुकी है. बंगाल की जनता अबकी बार बड़े परिवर्तन का मानस बना चुकी है. मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि भारतीय जनता पार्टी एक ऐतिहासिक बहुमत के साथ बंगाल में सरकार बनाएगी. हम वहां 200 के पार जाएंगे.
सवाल- लेकिन शेखावत साहब, जहां तक मैं बात करूं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की, वह कहती हैं कि कैलाश विजयवर्गीय जो आपकी पार्टी के महासचिव हैं, वहां के इंचार्ज हैं पार्टी के, कहती हैं कि ये गुंडों के साथ गुंडों की फौज लेकर आए हैं. गुंडागर्दी भाजपा ने शुरू की. उनकी दूसरी टिप्पणी है कि गवर्नर राजनीतिज्ञ की तरह व्यवहार कर रहे हैं. तीसरा ये कि वहां कि जो लोकल ब्यूरोक्रेसी है, उसे केंद्र सरकार अपने इशारों पर नचाना चाहती है? अगर वे नहीं मानें तो CBI, ED और IT उनके पीछे लग जाती है.
जवाब- भारतीय जनता पार्टी के 400 से ज्यादा कार्यकर्ताओं की पिछले 10 साल में हत्या हुई है. हजारों कार्यकर्ताओं के घर-बार तोड़ दिए गए. हजारों-हजार कार्यकर्ताओं को निरापराध जेलों में ठूंसा गया. पुलिस कस्टडी में यातनाएं दी गईं. सैकड़ों महिला कार्यकर्ताओं के साथ आपत्तिजनक व्यवहार हुआ. उनको पीटा गया, उनके हाथ-पैर तोड़े गए. इतना सबकुछ हो जाने के बावजूद क्या ममता जी को ये सब टिप्पणियां करने का अधिकार शेष है. अपने गिरेबां में झांककर देखें, अपने व्यवहार में झांककर देखें. बंगाल में जिस तरह की अराजकता की स्थिति है, जिस तरह का भय-भूख और भ्रष्टाचार का शासन है, जिस तरह का डर पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है, धरातल पर जाकर देखिए जनता उस डर के माहौल से निकलने के लिए कितना छटपटा रही है. मुझे लगता है कि ये सब विषय जो हैं, अपनी विफलताओं और अपनी क्रूरताओं से ध्यान हटाने के लिए ममता जी द्वारा खड़े किए जा रहे हैं.
सवाल- लेकिन ममता तो चुनौती दे रही हैं, कहती हैं कि आप सपने देख रहे हो सरकार बनाने के. बंगाल में 30 सीटें जीतकर दिखा दो, ये चुनौती है उनकी.
जवाब- अभी चार महीने शेष हैं. ये छटपटाहट अपने-आप में दिखाती है, उनका धरातल समाप्त हो गया है.
सवाल- लेकिन शेखावत साहब, टीएमसी के जिन लोगों को आपकी पार्टी भ्रष्ट कहती थी, गुंडा कहती थी. वह नेता कई मामलों में फंसे हुए हैं. उनपर ED, इनकम टैक्स और CBI के मामले दर्ज हैं, वे सब आपकी पार्टी में आ गए तो क्या पाक साफ हो जाएंगे?
जवाब- पहले, इसकी लगता है कि एक बार विस्तृत जांच-पड़ताल कर लेनी चाहिए कि हमारे साथ कौन लोग आए हैं? और उनपर क्या विषय पेंडिंग हैं और ऐसे कितने लोग हैं जिनके ऊपर वहां मामले पेंडिंग हैं. ये दोहरी नजर से मुझे लगता है कि देखने और कहने की आदत को बदलना पड़ेगा.
सवाल- पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और गवर्नर के बीच जो टकराव है, ममता कहती हैं, वह केंद्र के इशारे पर उनकी सरकार को अस्थिर करना चाहते हैं. आपकी मुलाकात भी पिछले दौरे पर गवर्नर से हुई थी. ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति को पत्र लिख गवर्नर को हटाने की मांग की है पश्चिम बंगाल से. क्या कहना चाहेंगे?
जवाब- देखिए गवर्नर संवैधानिक पद है और राज्य के हालात पर नजर रखना उनका संवैधानिक कर्त्तव्य है. बंगाल में जैसा कि मैंने कहा, जिस अराजकता की स्थिति बनी हुई है, बंगाल में जिस तरह का लॉलेसनेस (खराब कानून व्यवस्था) है, मुझे लगता है कि गवर्नर अपना संवैधानिक कर्त्तव्य निभा रहे हैं, उसको लेकर इस तरह की अमर्यादित टिप्पणियां करना, इस तरह का बातें करना, यह अपने आप में उस बौखलाहट को दर्शाता है कि ममता बनर्जी की राजनीतिक जमीन खिसक चुकी है.
सवाल- बंगाल में आपके मंत्रालय से जुड़ी कई योजनाएं हैं, आप फरक्का बैराज भी गए थे, आपने वहां पर कहा कि ममता सरकार ने बंगाल के चार करोड़ लोगों को केंद्र की 80 योजनाओं से वंचित रखा है, लाभ नहीं लेने दे रही हैं. सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक द्वेष के चलते?
जवाब- बिल्कुल! मैं आपको उससे भी आगे ले जाना चाहता हूं. आप शासन व्यवस्था की बात कर रहे हैं. बंगाल में फरक्का बैराज प्रोजेक्ट है, भारत सरकार का प्रोजेक्ट है. मैं एक उदाहरण देना चाहता हूं बंगाल में लॉलेसनेस की, जिसकी मैंने अभी चर्चा की है. 2500 मकान वहां कॉलोनी में भारत सरकार के बने हुए हैं. उनमें 1600 से ज्यादा मकानों में अवैध रूप से अतिक्रमण करके लोग रहते हैं. कब्जा किया है और गुंडागर्दी के दम पर कब्जा किया है. धमकाकर हमारे अधिकारियों को, उनका घर खाली कराकर कब्जा किया है. जब हमारे जनरल मैनेजर या अधिकारी पुलिस में शिकायत कराने जाते हैं तो इसको असंज्ञेय अपराध मानकर रोजनामचे में दर्ज कर पुलिस उन्हें कागज पकड़ा देती है.
मैं पूछना चाहता हूं कि भारत सरकार की संपत्ति की रक्षा का दायित्व क्या वहां के प्रशासन का नहीं है? क्या भारत सरकार की संपत्ति पर अपने आपराधिक तत्वों के जरिए कब्जा कराने का उन्होंने ठेका ले रखा है? मैं फिर एक बार कहना चाहता हूं कि बंगाल के 4 करोड़ लोगों को महरूम किया गया है केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई योजनाओं से. अभी पिछली 25 तारीख को पीएम मोदी ने एक बटन दबाया और किसान सम्मान निधि के तहत देश के 9 करोड़ किसानों के बैंक खातों में 18 करोड़ रुपये ट्रांसफर हो गए. बंगाल के 70 लाख किसान भी इसके पात्र हैं. मैं पूछना चाहता हूं क्यों बंगाल के किसान के मुंह का निवाला छीना जा रहा है, क्यों उसे 2000 रुपये से महरूम किया जा रहा है.
बंगाल के 70 लाख किसानों के 1400 करोड़ रुपये होते हैं, अगर पिछली चारों किश्तों को जोड़ दिया जाए तो 5600 करोड़ रुपये किसानों के खाते में या उनके घर में जाने से क्यों उन्हें महरूम किया गया. गरीब के बूढ़े मां-बाप के इलाज के लिए, बीमार पत्नी, बच्चों और खुद के इलाज के लिए आयुष्मान भारत योजना, दुनिया की सबसे बड़ी चिकित्सा योजना प्रधानमंत्री मोदी ने प्रारंभ की. किस कारण से बंगाल के लोगों को इससे महरूम रखा गया है? इन सब विषयों पर हमको विचार करना पड़ेगा, देखना पड़ेगा, बंगाल की जनता निश्चित रूप से इन सब विषयों को देख रही है और इसीलिए सत्ता परिवर्तन का मानस बना चुकी है.
सवाल- लेकिन एक तरफ ममता बनर्जी का चेहरा है और आपकी पार्टी में प्रधानमंत्री चेहरा हैं. स्थानीय स्तर पर आपके पास कोई नेता है? जिसका चेहरा आप आगे करेंगे? या आपकी पार्टी कहती है कि हम संगठन से लड़ेंगे, जब सरकार आएगी तो तय कर लेंगे.
जवाब- देखिए! भारतीय जनता पार्टी की परंपरा रही है, इतिहास उठाकर देख लीजिए जहां हमने पहली बार सरकार बनाई है, चुनाव से पहले कोई चेहरा डिक्लियर नहीं किया. जहां लगातार जीतते रहे हैं, वहां के स्थापित नेता का चेहरा आगे कर चुनाव लड़ते हैं. गुजरात में जब मोदी जी मुख्यमंत्री थे 14 साल, तब हमें कोई चेहरा डिक्लियर करने की कोई जरूरत नहीं पड़ी.
मध्य प्रदेश में हमने चुनाव लड़ा था तो चेहरा आगे करने की जरूरत नहीं थी कि कौन मुख्यमंत्री होगा. इसलिए हमारी परंपरा नहीं कि हम पहली बार सरकार बनाने की दिशा में जब आगे बढ़ें तो पहले से कोई चेहरा डिक्लियर करें. जब सरकार बनेगी निश्चित रूप से तय होगा, चेहरा सामने आएगा. लेकिन एक बात तय है जैसा माननीय गृहमंत्री अमित शाह जी ने कहा है, मैं दोहराना चाहता हूं कि ममता दीदी के सामने बंगाल की धरती में जन्मा बेटा चुनाव लड़ेगा, बंगाल का अगला मुख्यमंत्री वहीं की धरती में जन्मा बेटा ही बनेगा.
सवाल- लेकिन कांग्रेस और वामदल हाथ मिला चुके हैं, क्या त्रिकोणीय मुकाबला होगा? क्या आपको लगता है कि आपकी पार्टी मजबूती से चुनाव लड़ पाएगी? फिर वोट बंटने के खेल में आपको ही फायदा होगा?
जवाब- देखिए मैं भविष्यवक्ता नहीं हूं, लेकिन एक बात कह सकता हूं, मुकाबला बहुत रोचक होगा और भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी.
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