VIDEO: शताब्दी एक्सप्रेस के टॉयलेट में फंसे कांग्रेस नेता, दरवाजा तोड़कर निकाले गए बाहर
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VIDEO: शताब्दी एक्सप्रेस के टॉयलेट में फंसे कांग्रेस नेता, दरवाजा तोड़कर निकाले गए बाहर

कोच में पहुंचे दो कर्मचारियों ने गेट खोलने की कोशिश की, लेकिन काफी मशक्कत के बाद भी सफलता नहीं मिलने पर एक घंटे की कोशिशों के बाद गेट की चटखनी तोड़कर चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी को बाहर निकाला गया. 

करीब डेढ़ घंटे टॉयलेट में फंसे रहे चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी

भोपालः मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व संगठन महामंत्री चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी शताब्दी एक्सप्रेस के टॉयलेट में फंस गए. जिसके डेढ़ घंटे बाद उन्हें बाहर निकाला जा सका. दरअसल, चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी ट्रेन की जिस बोगी में सफर कर रहे थे उसके टॉयलेट की कुंडी (चटखनी) जाम हो गई थी. ऐसे में पहले तो उन्होंने दरवाजा खटखटाया, लेकिन काफी समय तक जब किसी ने उनकी आवाज नहीं सुनी तो उन्होंने अपने बेटे को फोन लगाया. बेटे को फोन लगाने पर उन्होंने उसे पूरी स्थिति बताई, जिसके बाद उनके बेटे ने रेलवे हेल्पलाइन नंबर पर फोन कर पिता के टॉयलेट में फंसे होने की बात बताई.

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बेटे ने किया रेलवे हेल्पलाइन पर फोन
चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी के बेटे नीरज ने पहले तो रेलवे के हेल्पलाइन नंबर 139 पर कॉल किया, लेकिन बहुत देर तक कोशिश करने के बाद भी कोई जबाव नहीं मिला. 139 से जबाव न मिलने पर नीरज ने रेलवे के टोलफ्री नंबर 1512 पर कॉल किया और घटना की जानकारी दी. जानकारी देने के करीब आधा घंटा बाद नीरज शाम 4.50 पर ललितपुर जीआरपी से संपर्क हो पाया. जिसके बाद जीआरपी ने ट्रेन में ही सफर कर रही टेक्निकल टीम को कोच में भेजा. कोच में पहुंचे दो कर्मचारियों ने गेट खोलने की कोशिश की, लेकिन काफी मशक्कत के बाद भी सफलता नहीं मिलने पर एक घंटे की कोशिशों के बाद गेट की चटखनी तोड़कर चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी को बाहर निकाला गया. 

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शताब्दी एक्सप्रेस के सी-4 में सफर कर रहे थे
बता दें चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी भोपाल से चली शताब्दी एक्सप्रेस के सी-4 में सफर कर रहे थे. ट्रेन जब विदिशा पहुंचने वाली थी, तभी वह शौचालय गए. इसके बाद जैसे ही उन्होंने बाहर निकलने के लिए दरवाजा खोलने की कोशिश की वह कुंडी जाम हो गई. कुंडी जाम होने पर पहले तो उन्होंने काफी देर तक दरवाजा खटखटाया, लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया. काफी देर तक कोशिश करने के बाद भी जब कोई टॉयलेट तक नहीं पहुंचा तो उन्होंने अपने बेटे को फोन कर इस पूरी घटना की जानकारी दी. जिसके बाद रेलवे हेल्पलाइन पर शिकायत करने पर चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी को बाहर निकाला जा सका.

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