नसबंदी का कराया था ऑपरेशन, सरकार ने दिए थे 1400 रुपये, फिर भी बन गई 'मां'
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नसबंदी का कराया था ऑपरेशन, सरकार ने दिए थे 1400 रुपये, फिर भी बन गई 'मां'

मजदूरी करके गुजारा करने वाला अकेश्वर इसे स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही बता रहा है. 

इस मामले पर लखनपुर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉ. एसपी केरकेट्टा ने बताया कि यह कोई बड़ी बात नहीं है. (प्रतीकात्मक फोटो)

सुशील कुमार बक्सला/सरगुजा: सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति से लोग अच्छी तरह से वाकिफ हैं. आए दिन ऐसे मामले सामने आते ही रहते हैं. इन सबके बावजूद सरकारें इस ओर ध्यान नही देती हैं. ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में सामने आया है. यहां के लखनपुर ग्राम लिपंगी के रहने वाले एक ग्रामीण ने बीते वर्ष जनवरी माह में परिवार नियोजन के तहत पत्नी का नसबंदी ऑपरेशन करवाया था. लेकिन, कुछ माह बाद ही महिला का गर्भ ठहर गया और क्षेत्रीय अस्पताल में उसने पुत्र को जन्म दिया है.

दरअसल, अकेश्वर सिंह का परिवार मजदूरी व खेती किसानी करके जीविकोपार्जन करता है. अकेश्वर सिंह ने बताया कि पहले से उसके दो पुत्र और एक पुत्री हैं. तीन बच्चों के जन्म के बाद उसने अपनी पत्नी रामकेली बाई का नसबंदी ऑपरेशन मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर में इसी साल जनवरी में कराया था. इसके एवज में उसकी पत्नी को परिवार कल्याण विभाग की ओर से दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि 14 सौ रुपये का लाभ मिला. इसके बाद वह बच्चे नहीं होने को लेकर निश्चिंत था. 

वहीं, मई 2019 में उसकी पत्नी को गर्भ ठहरने का एहसास हुआ तो, इसकी जानकारी उसने पति को दी. अकेश्वर ने बताया कि जांच कराने पर पता चला कि चार माह का गर्भ ठहर चुका है. इसकी जानकारी वह कुन्नी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में देने गया तो, डॉक्टर ने अंबिकापुर जाकर गर्भपात कराने की सलाह दी. जो उसे उचित नहीं लगा और 29 अक्टूबर 2019 को रामकेली बाई की डिलीवरी हुई और उसने स्वस्थ शिशु को जन्म दिया. 

नसबंदी के बाद वह फिर से मां बन गई. मजदूरी करके गुजारा करने वाला अकेश्वर इसे स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही बता रहा है. वहीं, इस मामले पर लखनपुर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉ. एसपी केरकेट्टा ने बताया कि यह कोई बड़ी बात नहीं है. डॉक्टर अपने तरीके से सही करते हैं. लेकिन, कभी- कभी ऐसा हो जाता है कि क्लिप फिसल भी जाती है. डॉक्टर ने कहा कि यह ऑपरेशन फेल भी हो सकता है. इसमें डॉक्टर की लापरवाही नही हो सकती है. 

बहरहाल, नसबंदी के बाद संतान का जन्म लेना कहीं न कहीं स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को दर्शाता है. नसबंदी के पूर्व महिला के गर्भधारण की स्थिति की जांच होती है. गर्भवती टेस्ट के पॉजीटिव होने की स्थिति में नसबंदी नहीं की जाती है. लेकिन, गांव-गांव तक मितानिनों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को नसबंदी का टारगेट थमा दिया जाता है. जिसकी वजह से ऐसी परिस्थिति देखने को मिलती है.

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