No Muslim Candidate on 150 Seats: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए अगले सप्ताह वोट डाले जाएंगे और सभी राजनीतिक दल वोटर्स को अपनी तरफ आकर्षित करने में जुटे हैं. लेकिन, इस बार के चुनाव में अलग ट्रेंड देखने को मिला है और 50 फीसदी से ज्यादा सीटों पर एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं हैं. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ही नहीं कांग्रेस (Congress) ने भी इस बार मुस्लिमों को टिकट देने में दूरी बना ली है.


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150 सीटों पर एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं


महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Vidhan Sabha Chunav 2024) में 288 में से 150 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं है. वहीं, करीब 50 सीटों पर सिर्फ एक-एक मुस्लिम कैंडिडेट हैं. राज्य में कुल 4 हजार 136 उम्मीदवार विधानसभा चुनाव के लिए मैदान में हैं, जिनमें सिर्फ 420 मुस्लिम प्रत्याशी हैं. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या काफी कम नजर आ रही है. आंकड़े बता रहे हैं कि राज्य की 288 में से आधी से ज्यादा सीटें ऐसी हैं, जहां एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं है.


बीजेपी ही नहीं, कांग्रेस ने भी बनाई मुस्लिमों से दूरी?


आंकड़ों को देखकर ऐसा लग रहा है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Chunav 2024) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ही नहीं कांग्रेस ने भी मुसलमानों से दूरी बना ली है. भाजपा ने इस बार चुनाव में एक भी मुस्लिम समुदाय का उम्मीदवार नहीं उतारा है. दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी सिर्फ 9 मुसलमान उम्मीदवारों को टिकट दिया है.


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क्या जीत के आधार पर दिया जाता है टिकट?


मुस्लिम उम्मीवारों का आंकड़ा सामने आने के बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या सिर्फ जीत के आधार पर टिकट दिया जाता है. शिवसेना (शिंदे गुट) ने कहा, 'जीत के आधार पर टिकट दिया जाता है. हिंदू-मुस्लिम के आधार पर नहीं. कई जगहों पर अच्छे हिंदू कैंडिडेट को भी टिकट नहीं मिला है. हमारी पार्टी ने मुस्लिम कैंडिडेट को उम्मीदवार बनाया है. अजीत पावर ने भी मुस्लिम कैंडिडेट को उम्मीदवार बनाया है.'


20 नवंबर को मतदान, 23 को काउंटिंग


बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए सभी 288 सीटों पर एक ही चरण में 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. इसके बाद 23 नवंबर को वोटों की गिनती होगी. इस बार चुनाव में महायुति और महाविकास अघाड़ी के बीच टक्कर है. महायुति में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अलावा एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी शामिल है. जबकि, महाविकास अघाड़ी में उद्धव ठाकरे की शिवसेना के अलावा शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस शामिल हैं.