Maharashtra: MVA सरकार ने लिया इन नेताओं की सिक्योरिटी घटाने का फैसला, अब हो रही है आलोचना
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Maharashtra: MVA सरकार ने लिया इन नेताओं की सिक्योरिटी घटाने का फैसला, अब हो रही है आलोचना

देवेंद्र फड़नवीस (Devendra Fadnavis) और राज ठाकरे (Raj Thackeray) के काफिले की बुलेटप्रूफ गाड़ी को भी हटा दिया गया है. बीजेपी नेता रामकदम ने फैसले पर निशाना साधा है. वहीं MNS ने ऐलान किया है कि पार्टी अपने नेता को सुरक्षा देने में सक्षम है.

फाइल फोटो

मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) में तीन दलों की महाविकास आघाड़ी सरकार के ताजा फैसले पर विवाद शुरू हो गया है. दरअसर उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की सरकार ने विपक्ष के नेताओं की सुरक्षा में कटौती कर दी है. हालिया आदेश के बाद सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis), मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे (Raj Thackeray) , राम दास आठवले (Ramdas Athawale), चद्रकांत पाटिल सहित कई अन्य नेताओं की सुराक्षा में कटौती की गई है.

बीजेपी और मनसे के नेताओं ने की फैसले की आलोचना

फड़नवीस और राज ठाकरे के काफिले की बुलेटप्रूफ गाड़ी को भी हटा दिया गया है. इसके बाद बीजेपी और मनसे के नेताओं ने नाराजगी जताई है. बीजेपी नेता रामकदम ने कहा है कि सूबे की सरकार हल्के स्तर की राजनीति कर रही है. इस बीच MNS ने ऐलान किया है कि पार्टी अपने नेता को सुरक्षा देने में सक्षम है वो खुद राज ठाकरे की सुरक्षा का ध्यान रखेगी. करीब साल भर पहले जब महाराष्ट्र सरकार ने भारत रत्न से सम्मानित क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की सुरक्षा कम करने का फैसला किया था तब भी उस फैसले की चर्चा हुई थी.

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यूं बिखर गए सालों पुराने रिश्ते

गौरतलब है कि महाराष्ट्र में पिछला विधानसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा था. सूबे की कुल 288 सीटों में से भाजपा को सबसे ज्यादा 105 सीटें मिली थी जबकि शिवसेना ने 56 सीटें जीती थी. वहीं, NCP के 54 और कांग्रेस के 44 विधायक भी चुने गए थे बाकी अन्य और निर्दलीय थे. संख्या के लिहाज से राज्य में भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार बननी तय थी. लेकिन, शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद पर दावा कर दिया. जिससे चुनाव के बाद सूबे के सियासी समीकरण 360 डिग्री तक बदल गया था. 

 

उस दौरान सत्ता के नए नए खेल देखने को मिले. बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस ने एनसीपी नेता अजित पवार के भरोसे पर सीएम पद की शपथ ली. पारिवारिक दबाव में अजित पवार के पीछे हटने के बाद 20 घंटे के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था. आगे महाविकास अघाड़ी सरकार अस्तित्व में आई. गौरतलब है कि जिस दिन से ये सरकार बनी, उसी दिन से रिश्तों में आई कड़वाहट कम होने का नाम नहीं ले रही है. आज भी सत्ता और विपक्ष के बीच जारी तीखी बयानबाजी में इसका असर देखा जा सकता है.   

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