MCD Election: देश की राजधानी दिल्ली में इस समय MCD चुनावों को लेकर राजनीतिक दल आमने-सामने हैं. दावे, वादे तो सभी पार्टियां कर रही हैं लेकिन चुनाव का सबसे बड़ा केंद्र बिंदु हैं कूड़े के तीन पहाड़- गाजीपुर, भलस्वा और ओखला लैंडफिल साइट.
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Delhi Landfill Sites: देश की राजधानी दिल्ली में इस समय MCD चुनावों को लेकर राजनीतिक दल आमने-सामने हैं. दावे, वादे तो सभी पार्टियां कर रही हैं लेकिन चुनाव का सबसे बड़ा केंद्र बिंदु हैं कूड़े के तीन पहाड़- गाजीपुर, भलस्वा और ओखला लैंडफिल साइट. विपक्षी पार्टियां एक दशक से काबिज बीजेपी को कोस रही हैं और दवा कर रही हैं कि अगर सत्ता में वो आयी तो दिल्ली की जनता को कूड़े के पहाड़ों से मुक्ति देंगी. कूड़े के पहाड़ों से मुक्ति कब मिलेगी यह तो भविष्य में पता चलेगा लेकिन कूड़े के पहाड़ों ने आसमान के अलावा पाताल को भी जहरीला बना दिया है.
शुरुआत करते हैं ओखला लैंडफिल साइट से. ओखला लैंडफिल साइट वैसे तो सबसे कम सुर्खियों में रहती है लेकिन यहां के पानी मे जहर कूट-कूट कर भरा हुआ है. बगल की बीपी सिंह कॉलोनी से जब ग्राउंड वाटर का सैंपल लिया गया और उसे लैब में टेस्ट करवाया गया तो TDS निकला 3152 mg/l सामान्य से ‘6 गुना’ ज्यादा. यानी पानी पीने पर बीमारी बेहद बीमार कर सकती है. अब नहा सकते हैं या नहीं इसका जवाब दिया पानी की हार्डनेस (Hardeness) यानी इसमे मौजूद CaCo3 के स्तर ने. Ground water में CaCo3 का स्तर निकला 1313. सामान्य से साढ़े 6 गुना ज्यादा, pH 6.70 था यानी पानी ‘acidic’ है.
भलस्वा लैंडफिल साइट के धधकने की तस्वीरें आपने देखी होंगी लेकिन पानी कितना जहरीला है इसके लिए भलस्वा लैंडफिल साइट के नजदीक श्रद्धानंद कॉलोनी से ग्राउंड वाटर का सैंपल इकट्ठा किया और पानी का TDS निकला 2570 mg/l, सामान्य से 5 गुना ज्यादा और CaCo3 का स्तर निकला 747, सामान्य से साढ़े 3 गुना ज्यादा.
चिर प्रसिद्ध ग़ाज़ीपुर की लैंडफिल साइट पर राजनीतिक फोटो सेशन सबसे ज्यादा हो रहे हैं लेकिन शायद यहां की ग्राउंड वाटर की स्थिति बाकी लैंडफिल साइट से कही ज्यादा बेहतर है. ग़ाज़ीपुर डेयरी से लिये गए ग्राउंड वाटर के सैंपल का TDS था 578 mg/l सामान्य से ज्यादा और हार्डनेस निकली 343 वो भी सामान्य से ज्यादा.
इन तीनो लैंडफिल साइट के आसपास रहने वाले लोग इसी जहरीले ग्राउंड वाटर का प्रयोग नाहने और अन्य कामों के लिए करते हैं. लेकिन जिस तरह से तीनों जगहों पर पानी की हार्डनेस या CaCo3 का स्तर सामान्य से कई गुना ज्यादा है इसकी मार लोगों पर स्किन इन्फेक्शन के द्वारा पड़ रही है. ग़ाज़ीपुर में रहने वाली रामप्यारी, भलस्वा में रहने वाले संजय राठौर और शिवानी तीनों त्वचा रोग झेल रहे हैं. कई सालों से इलाज करवा रहे हैं लेकिन त्वचा रोग जस का तस है.
पानी मे CaCo3 का स्तर अगर ज्यादा होता है तो उससे Eczema समेत कई त्वचा रोग हो सकते हैं. इसी साल जुलाई में ब्रिटिश जर्नल ऑफ डर्मेटोलॉजी में छपी एक रिसर्च में वैज्ञानिकों ने पाया था कि पानी मे अगर CaCo3 का स्तर 200 mg/l से ज्यादा है तो उसका प्रयोग नाहने जैसे कार्य करने पर व्यक्ति को त्वचा रोग Eczema होने का खतरा बढ़ जाता है. 3 लाख से ज्यादा लोगों पर रिसर्च के दौरान वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि पानी मे CaCo3 का स्तर 200 mg/l के ऊपर जितना बढ़ता है उतना ही ज्यादा Eczema का खतरा बढ़ जाता है.
ग्रांउड इनवेस्टिगेशन के दौरान जब तीनों लैंडफिल साइट के पास रहने वाले लोगों से बातचीत की तो सब ने एक सुर में बताया कि लैंडफिल साइट वाले इलाकों में दिल्ली जलबोर्ड का सप्लाई वाला पानी नहीं आता है. इसीलिए यहां रहने वाले हज़ारों लोग ग्राउंड वाटर से ही नहाते हैं और बाकी के दैनिक काम करते हैं.
टैंकर भी हफ्ते में एक दिन ही आता है तो बाकी के दिन पानी खरीद कर पीते हैं. अब सोचिए लैंडफिल साइट्स MCD चुनावों का सबसे बड़ा राजनैतिक मुद्दा है लेकिन ना यहां पीने के पानी की समस्या और ना ही ग्राउंड वाटर का जहर अब तक मुद्दा बन पाया है जबकि यह सीधा लोगों से जुड़ा हुआ मुद्दा है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
दिल्ली विश्वविद्यालय के जियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ शशांक शेखर के मुताबिक भूजल के दूषित होने का सबसे बड़ा कारण यह है कि इन्हें बनाने से पहले कोई कोई साइंटिफिक प्लानिंग नही की गई थी. साथ ही भूजल दूषित या यूं कहें जहरीला इसलिए है क्योंकि बारिश का पानी लैंडफिल के कचरे को डीकंपोज (Decompose) कर देता है और केमिकल रिएक्शन जहरीला ‘लीचेट’ बना देता है. यह लीचेट लैंडफिल साइट के नीचे चले जाते हैं और भूजल में प्रवेश कर उसे जहरीला बना देते हैं. बारिश के मौसम में जहरीला लीचेट भूजल के बहाव में और फैलता है और ज्यादा से ज्यादा एरिया के भूजल को प्रदूषित कर देता है.
डॉ शशांक शेखर के मुताबिक अगर एक अनुमान लगाएं तो एक लैंडफिल का लीचेट कम से कम रोज़ 1 मीटर एरिया के भूजल को जहरीला बना रहा है ऐसे में पिछले 1 से डेढ़ दशक में यह अब तक 5 से 7 किलोमीटर एरिया के भूजल को धूषित बना चुका है.
डॉ शशांक शेखर के मुताबिक पानी प्रदूषित है इसमें कोई शंका नहीं है लेकिन उपाय यही है कि सरकार को पहले यह ढूंढना होगा कि कितनी दूर तक पानी प्रदूषित हुआ है. इसका एक मैप बनाना होगा फिर भूजल के प्रदूषित एरिया को ढूंढने के बाद Systematic Dewatering करनी होगी, जिसमें प्रदूषित भूजल को बाहर निकालना होगा ताकि स्थिति बेहतर हो पाए. काम मुश्किल है लेकिन नामुमकिन नहीं.
त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ शेहला अग्रवाल के मुताबिक Hard Water की वजह से बाल झड़ना तो अब पुरानी बीमारी हो चुकी है. इन लैंडफिल साइट्स के पास रहने वालों को Eczema जैसी बीमारियां आमतौर पर हो रही हैं. ऐसे में सलाह यही है कि अगर इसी Ground Water से नाहना उनकी मजबूरी है तो नाहने के पानी म फिटकरी मिला लें जिससे पानी का जहर कुछ हम हो, साथ ही पानी को पहले निकाल कर कुछ देर के लिए रख दे जिससे प्रदूषित तत्व नीचे बैठ जाएं.
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