Mukhtar Ansari Punjab Connection: मुख्तार अंसारी पंजाब की रोपड़ की जेल में बंद था. उस दौरान कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने उसे वीआईपी ट्रीटमेंट दिया था और उसकी आवभगत में पानी की तरह पैसा बहाया गया था. वह योगी सरकार के डर से पंजाब छोड़कर नहीं आना चाहता था.
Trending Photos
Mukhtar Ansari Death: माफियाओं का आका.. पूर्वांचल का बाहुबली.. गैंगस्टर मुख्तार अंसारी भी मिट्टी में मिल गया. एक समय था जब मुख्तार अंसारी पंजाब की रोपड़ जेल में बंद था. उस दौरान वह लगातार ख़बरों में बना रहता था. बाद में सामने आया कि रोपड़ जेल में बंद रहने के दौरान करीब 55 लाख रुपए उसकी सुविधाओं पर खर्च हुए थे.
जब वह रोपड़ जेल में था तो यूपी वापस नहीं आना चाहता था. अंसारी को साल 2019 से एक फिरौती के मामले में पंजाब की रोपड़ जेल में रखा गया था. लेकिन अदालत के आदेश के बाद मुख्तार की कस्टडी उत्तर प्रदेश को दे दी गई थी. तब से वह यूपी की बांदा जेल में था.
मुख्तार को बचाने का प्रयास किया?
असल में हुआ यह था कि मोहाली के एक बिल्डर से रंगदारी केस में पंजाब पुलिस मुख्तार अंसारी को यूपी से ट्रांजिट रिमांड पर लेकर आई थी. लेकिन फिर यहीं खेला हो गया था. उस समय पंजाब में कांग्रेस की सरकार थी, उस पर आरोप लगते रहे कि उसने मुख्तार को बचाने का प्रयास किया था क्योंकि उस दौरान पंजाब पुलिस और सरकार ने कई चौंकाने वाले काम किए थे. पंजाब पुलिस ने कोर्ट में चालान ही दायर नहीं किया था. इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश पुलिस की तरफ से बीसों बार रिमाइंडर भेजे जाने के बाद भी उसे वापस नहीं भेजा गया था.
बीमारी की आड़ में बेतुके ग्राउंड्स..
आखिर में उत्तर प्रदेश सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. सुप्रीम कोर्ट ने अंसारी की कस्टडी उत्तर प्रदेश पुलिस को दी और कहा कि उन्हें बीमारी की आड़ में बेतुके ग्राउंड्स पर पंजाब की जेल में रखा गया था. आलम यह था कि तत्कालीन पंजाब सरकार मुख्तार पर इस कदर मेहरबान थी, इसका पता इसी से लग जाता है कि उसके खिलाफ 48 वारंट जारी हुए लेकिन उसे पेश नहीं किया गया. हालांकि इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की मदद से योगी सरकार ने उसे वापस बांदा जेल में बंद किया.
मामला पंजाब विधानसभा में भी उठा..
पिछले साल पंजाब की भगवंत मान सरकार ने फैसला लिया था कि मुख्तार अंसारी के पंजाब की जेल में रहने के दौरान जो पैसे खर्च हुए, उसकी वसूली कैप्टन अमरिंदर सिंह और तब के जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा से की जाएगी. अगर दोनों ही भुगतान नहीं करते हैं तो उनकी पेंशन और दूसरे सरकारी लाभ रद्द कर दिए जाएंगे. हुआ यह था कि उस दौरान 55 लाख का बिल बना था. यह मामला पंजाब विधानसभा में भी उठा था.