Success story of Bowel gangrene surgery: कोलकाता (Kolkata) के रहने वाले 46 वर्षीय अनिर्बान सामंता को 2 महीने पहले हावड़ा के एक डॉक्टर ने कहा था कि वो दो महीने से ज़्यादा जी नहीं पाएंगे, लेकिन अगर किस्मत में जिंदगी लिखी है या किसी पर भगवान की कृपा है तो भला कौन उसे मार सकता है. मेडिकल साइंस में चमत्कार होते हैं लिहाजा डॉक्टरों की कामयाबी की कुछ कहानिया आपने भी सुनी या पढ़ी होगीं.


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यहां बात एक ऐसे ही दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे आनिर्बान की जिन्होंने हिम्मत नहीं खोई और फिर उनके शहर से सैकड़ों किलोमीटर दूर के डॉक्टरों ने कुछ ऐसा किया जिसपर पहले पहल तो उनकी पत्नी को भी यकीन नहीं हुआ. पिछले हफ्ते मुंबई के डॉक्टरों ने उनकी एक सर्जरी की जिसके बाद न सिर्फ वो जीवित हैं बल्कि उनकी पत्नी ने खुशी जताते हुए कहा कि उनका सिन्दूर सही सलामत है. 


पिछले महीने पता चली बीमारी


अप्रैल 2022 में अनिर्बान को पेट में तेज दर्द शुरू हुआ था. जांच करने के बाद डॉक्टरों को उस दर्द की वजह बाउल गैंग्रीन समझ आई, जिसके बाद उसका इलाज स्थानीय अस्पताल में इलाज किया गया था.


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पैरेंट्रल न्यूट्रिशन पर था मरीज


इलाज के बाद अस्पताल के डाक्टरों ने आनिर्बान को पैरेंट्रल न्यूट्रिशन पे रखा था और 2 महीने की मोहलत देते हुए कहा था कि उसकी बीमारी का इलाज सिर्फ मुंबई में ही हो सकता है. जिसके चलते अनिर्बान, अपनी बीवी और बेटे के साथ मुंबई पहुंचे जहां मई के महीने में उनका इलाज ग्लोबल हॉस्पिटल में शुरू हुआ.


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हिंदुस्तान में अबतक ऐसी केवल 20 सर्जरी


अनिर्बान का मुंबई में स्मॉल बाउल ट्रांसप्लांट किया गया जो काफी जटिल और दुर्लभ सर्जरी है. बता दें कि इस मुश्किल सर्जरी को पहली बार मुंबई में सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया. यह बाउल ट्रांसप्लांट एक मृत डोनर के ज़रिए पूरा किया गया. इसके पहले यह सर्जरी देश में तकरीबन 20 बार ही हुई है, जिसमें से 8 बार इसे महाराष्ट्र के अलग अलग शहरों और अस्पतालों में पूरा किया गया. 



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