प्रशासन में मोदी के 20 साल? नई सोच ने ऐसे रखी बदलावों की मजबूत नींव
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प्रशासन में मोदी के 20 साल? नई सोच ने ऐसे रखी बदलावों की मजबूत नींव

आजादी के बाद भारत में कई सरकारें आईं और इस दौरान सामाजिक कल्याण की कई योजनाएं भी लागू हुईं लेकिन उज्जवला योजना ने एक ऐसी समस्या को छुआ, जिसे गरीब परिवार और महिलाएं ही समझ सकती हैं और इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच थी.

प्रशासन में मोदी के 20 साल? नई सोच ने ऐसे रखी बदलावों की मजबूत नींव

नई दिल्ली: इस महीने की 7 तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को प्रशासन में 20 वर्ष पूरे हो रहे हैं. अपनी प्रशासन की शैली की वजह से उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री के तौर पर बहुत सारे बदलाव किए, उनकी योजनाओं में नई सोच थी और ये सोच इन नए बदलावों की नींव बनी. प्रधानमंत्री मोदी जमीन से जुड़े और जमीन से ही उठे हुए नेता हैं इसलिए वो ये जानते हैं कि जमीन पर लोगों की समस्याएं क्या होती हैं और इन समस्याओं के सरल समाधान क्या होते हैं, उनकी यही समझ उनके प्रशासन की नीतियों में भी झलकती है. उज्ज्वला योजना (Pradhan Mantri Ujjwala Yojana) भी प्रधानमंत्री मोदी की उसी सोच के चलते हुए बड़े बदलाव का एक उदाहरण है.

  1. प्रधानमंत्री मोदी की नई सोच ने बदली तस्वीर
  2. उज्ज्वला से उज्जवल हुआ महिलाओं का भविष्य
  3. 2016 में PM मोदी ने की थी योजना की शुरुआत 
  4.  

करोड़ों महिलाओं को मुफ्त में मिले कनेक्शन 

उज्ज्वला योजना (Ujjwala Yojana) के तहत देश की करोड़ों महिलाओं को मुफ्त LPG कनेक्शन और सिलेंडर्स बांटे गए. कुछ वर्ष पहले Medical Journal The Lancet में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी जिसके मुताबिक भारत में हर साल 5 लाख लोगों की मौत इनडोर पॉल्यूशन की वजह से होती है और इसमें चूल्हे का इस्तेमाल सबसे प्रमुख है. उज्जवला योजना लॉन्च होने से पहले भारत की करोड़ों महिलाएं हर दिन पारंपरिक चूल्हे पर खाना बनाया करती थीं जिसमें ईंधन के तौर पर लकड़ियों का इस्तेमाल होता है. इस दौरान जो धुआं पैदा होता है, वो एक दिन में 400 सिगरेट पीने के बराबर है और इससे होने वाले प्रदूषण की वजह से करोड़ों महिलाओं की मौत हो जाती है या उनके फेफड़े खराब हो जाते हैं.

समय से पहले पूरा हुआ लक्ष्य

प्रधानमंत्री मोदी इस बात को अच्छी तरह समझते हैं इसलिए उन्होंने वर्ष 2016 में उज्जवला योजना की शुरुआत की थी. इसके तहत मार्च 2020 तक 8 करोड़ मुफ्त एलपीजी कनेक्शन बांटने का लक्ष्य था लेकिन ये लक्ष्य समय से सात महीने पहले ही हासिल कर लिया गया और 8 करोड़ 36 लाख से ज्यादा महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन बांटे गए. इस योजना के तहत ना सिर्फ एलपीजी का कनेक्शन और सिलेंडर मुफ्त में मिलता है बल्कि पहली बार सिलेंडर को दोबारा रिफिल कराने के लिए भी कोई पैसा नहीं देना होता.

पीएम मोदी की अपील ने बदल दी तस्वीर

इसके बाद के सिलेंडर भी सब्सिडाइज्ड कीमत पर दिए जाते हैं. इस योजना को लॉन्च करते समय प्रधानमंत्री मोदी ने देश के लोगों से अपील की थी कि जो लोग सिलेंडर खरीदने में सक्षम हैं वो इस पर मिलने वाली सब्सिडी को छोड़ दें. इसके बाद देश के एक करोड़ परिवारों ने सिलेंडर पर सब्सिडी लेना छोड़ दिया था जिसका फायदा देश की करोड़ों गरीब महिलाओं और उनके परिवारों को मिला. अब इसी साल उज्जवला 2.O योजना शुरू की गई है जिसके तहक एक करोड़ एलपीजी कनेक्शन बांटने का लक्ष्य है और पिछले दो महीनों में ही इसमें से 36 लाख कनेक्शन बांट दिए गए हैं. प्रधानमंत्री की ये योजना देश की महिलाओं के जीवन को उज्जवल बना रही है.

करोड़ों महिलाओं की जिंदगी में आया बदलाव

1 मई 2016 को जब प्रधानमंत्री मोदी ने उज्जवला योजना की शुरुआत की थी, तब उन्होंने कहा था कि वो इस योजना के तहत गरीब परिवारों और महिलाओं को धुएं से आजादी दिलाने जा रहे हैं और इसी परिकल्पना ने अगले कुछ वर्षों में हकीकत का रूप लिया. पटना के फुलवारी शरीफ में रहने वाली उषा देवी ये बताते हुए रोने लगती हैं कि आज से कुछ वर्षों पहले तक घर में गैस सिलेंडर और चूल्हा नहीं होने की वजह से उन्हें कितना संघर्ष करना पड़ता था. कमजोर आर्थिक स्थिति की वजह से परिवार के लिए ये सोचना भी मुश्किल था कि एक दिन उनका भी अपना गैस सिलेंडर और चूल्हा होगा लेकिन उज्जवला योजना के लागू होने के बाद पूरे परिवार की जिन्दगी बदल गई. इस योजना ने देश की करोड़ों महिलाओं की जिंदगी बदल दी. 

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पीएम मोदी की सोच ने बदली तस्वीर

उज्जवला योजना ने उत्तर प्रदेश के कानपुर में रहने वाली पुष्पा देवी को भी धुएं से आजादी दिलाई. उनके जैसी और भी कई महिलाएं हैं, जिन्होंने 2014 से पहले ये कल्पना भी नहीं की थी कि कभी उनका भी अपना गैस सिलेंडर और चूल्हा होगा लेकिन अब ऐसा नहीं है. उज्जवला योजना का पहला चरण खत्म हो चुका है और दूसरे चरण में अब तक 36 लाख 56 हजार 518 गैस कनेक्शन बांटे जा चुके हैं इससे ये पता चलता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गरीबी की परेशानियों को अच्छी तरह समझते हैं. आजादी के बाद भारत में कई सरकारें आईं और इस दौरान सामाजिक कल्याण की कई योजनाएं भी लागू हुईं लेकिन उज्जवला योजना ने एक ऐसी समस्या को छुआ, जिसे गरीब परिवार और महिलाएं ही समझ सकती हैं और इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच थी.

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