DNA Analysis: कराटे कैंप की आड़ में सिर कलम करने की ट्रेनिंग, देश में बेकाबू इस्लामिक कट्टरवाद पर कैसे हो कंट्रोल?
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DNA Analysis: कराटे कैंप की आड़ में सिर कलम करने की ट्रेनिंग, देश में बेकाबू इस्लामिक कट्टरवाद पर कैसे हो कंट्रोल?

Nizamabad Karate Training Camp by PFI: देश के लिए खतरा बने चुके इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन PFI के बारे में हुए नए खुलासे ने सब लोगों को चिंता में डाल दिया है. आरोप है कि PFI कराटे कैंपों के नाम पर युवाओं को सिर कलम करने की ट्रेनिंग दे रहा है.

 

DNA Analysis: कराटे कैंप की आड़ में सिर कलम करने की ट्रेनिंग, देश में बेकाबू इस्लामिक कट्टरवाद पर कैसे हो कंट्रोल?

Nizamabad Karate Training Camp by PFI: प्रत्येक क्रिया की उसके बराबर और उसके विरुद्ध दिशा में प्रतिक्रिया होती है. इस नियम को ही Law of Action and Reaction कहा जाता है. इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि हम जिस वस्तु को जितने बल से खींचते हैं, वह वस्तु भी हमें उतने ही बल से अपनी ओर खींचती है, फर्क है केवल दिशा का. इस समय हमारे देश में यही हो रहा है. आप पूरी टाइमलाइन को समझिए. नूपुर शर्मा 27 मई को एक टीवी डिबेट में पैगम्बर मोहम्मद साहब पर कुछ टिप्पणी करती हैं. इसके बाद सोशल मीडिया पर एक खास विचारधारा के लोगों द्वारा इसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया जाता है. 

पैगंबर विवाद की आड़ में हत्याओं का सिलसिला

इस घटना के बाद कई मुस्लिम देश इस मुद्दे पर भारत के प्रति अपनी नाराज़गी जताते हैं. विवाद बढ़ने पर बीजेपी अपने दो प्रवक्ताओं पर कार्रवाई करती है. लेकिन इस कार्रवाई के बावजूद देश में इसके खिलाफ नफरत का माहौल तैयार होता है. 10 जून को देश में सीरियल विरोध प्रदर्शन होते हैं. कई राज्यों में जुमे की नमाज़ के बाद हिंसा भड़कती है और मामला फिर भी शांत नहीं होता. 21 जून को अमरावती में उमेश कोल्हे की इसलिए हत्या कर दी जाती है, क्योंकि वो नूपुर शर्मा का समर्थन करते हैं और फिर 28 जून को उदयपुर में कन्हैया लाल का भी इसलिए सिर धड़ से अलग कर दिया जाता है क्योंकि उन पर भी नूपुर शर्मा का समर्थन करने का आरोप लगता है. 

देश में गहरी हो रही इस्लामिक कट्टरवाद की जड़ें

यानी 27 मई से 28 जून के बीच देश में इतना सबकुछ होता है कि भारत का लोकतंत्र एक गम्भीर स्थिति में नज़र आने लगता है. अब एक बार फिर से सोचिए कि भारत में अगर इस्लामिक कट्टरवाद की जड़ें गहरी और मजबूत हो रही हैं तो ये किस ऐक्शन का रिएक्शन है? आखिर वो कौन लोग हैं, जो जेहाद की लैब में धार्मिक कट्टरवाद का फॉर्मुला तैयार कर रहे हैं? आखिर किसी भी देश में इस्लामिक कट्टरवाद का ये माहौल कैसे तैयार होता है और कैसे एक देश को अस्थिर करने की कोशिश की जाती है?

ये खबर तेलंगाना के निज़ामाबाद (Nizamabad) से आई है. निज़ामाबाद दिल्ली में स्थित देश के संसद भवन और देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट से लगभग 1400 किलो मीटर दूर है. 2011 की जनगणा के मुताबिक निजामाबाद शहर की कुल आबादी है, 3 लाख 11 हजार 152. इसमें 59.77 प्रतिशत आबादी हिन्दुओं की है. 38 प्रतिशत मुसलमानों की और 1.13 प्रतिशत की आबादी ईसाई धर्म के लोगों की है.

तेलंगाना में कराटे कैंप के नाम पर हथियारों की ट्रेनिंग

हम ये आंकड़े आपको इसलिए बता रहे हैं क्योंकि तेलंगाना पुलिस ने निज़ामाबाद (Nizamabad) से Popular Front of India यानी PFI के चार सदस्यों को गिरफ़्तार किया है. जिनमें से 3 लोगों की गिरफ़्तारी एक दिन पहले हुई है. इन लोगों के नाम हैं, शेख शदुल्लाह, मोहम्मद इमरान और मोहम्मद अब्दुल मोबिन. इनमें मोहम्मद इमरान सिर्फ 22 साल का है और मोहम्मद अब्दुल मोबिन 27 साल का है. जबकि शेख शदुल्लाह की उम्र 40 वर्ष है.

इन लोगों पर आरोप है कि ये लोग Martial art, Karate (कराटे) की ट्रेनिंग देने के लिए अलग अलग केन्द्रों का संचालन करते थे. इसके नाम पर मुस्लिम युवाओं को इन केन्द्रों से जोड़ा जाता था और फिर इन केन्द्रों में कराटे के नाम पर मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनने की ट्रेनिंग दी जाती थी. आरोप है कि इन कैंपों में सामिल होने वाले युवाओं को शरिया कानून पढ़ाया जाता था. इनके अन्दर मजहबी जहर घोला जाता था. इन्हें साम्प्रदायिक दंगों को भड़काने की ट्रेनिंग दी जाती थी और एक धर्म के खिलाफ इनमें नफरत का बूस्टर डोज लगाया जाता था.

PFI के लीडर चला रहे खतरनाक कैंप

ये इस तरह का पहला मामला है, जब मुस्लिम नौजवानों के हाथों में कराटे स्टिक्स थमा कर उनके दिमाग में कट्टरवाद का ज़हर भर गया है. इस मामले में पुलिस ने सबसे पहले अब्दुल खादिर नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था, जिसकी उम्र 52 वर्ष है. आरोप है कि अब्दुल खादिर ही कराटे के नाम पर मुस्लिम युवाओं को सिर काटने का कट्टरवाद सिखा रहा था. इस दौरान कई मुस्लिम नौजवानों का ब्रेन वॉश भी किया गया.

सोचिए ये कितनी ख़तरनाक बात है. आप भी अपने बच्चों को किसी ना किसी Academy, ट्रेनिंग सेंटर या कोचिंग इंस्टीट्यूट में भेजते होंगे. लेकिन अगर इन संस्थानों का रिमोट कंट्रोल कट्टरपंथियों के हाथों में चला जाए तो क्या होगा. 

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