ओमिक्रॉन के खतरे के बीच अच्छी खबर, अब सिर्फ 90 मिनट में चलेगा संक्रमण का पता
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ओमिक्रॉन के खतरे के बीच अच्छी खबर, अब सिर्फ 90 मिनट में चलेगा संक्रमण का पता

आईआईटी दिल्ली की तरफ से ये दावा किया गया है कि ये तकनीक स्पेसिफिक मेडिटेशन को डिटेक्ट करती है जो केवल ओमिक्रॉन वेरिएंट में मौजूद हैं और कोरोना के अन्य वेरिएंट में मौजूद नहीं हैं.

IIT दिल्ली ने खोज निकाली नई तकनीक

नई दिल्ली: देशभर में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर खतरा बढ़ता जा रहा है और इसकी रोकथाम के लिए हर स्तर से कोशिश की जा रही है. इस बीच आईआईटी दिल्ली ने वायरल को डिटेक्ट करने के लिए एक नई तकनीक खोज निकाली है. इसके जरिए सिर्फ 90 मिनट में ओमिक्रॉन के वेरिएंट का पता लगाया जा सकता है.

  1. आईआईटी दिल्ली की बड़ी कामयाबी
  2. 90 मिनट में डिटेक्ट होगा ओमिक्रॉन
  3. खास तरीके से डेवलप की नई तकनीक

90 मिनट में डिटेक्ट होगा संक्रमण

आईआईटी दिल्ली ने ओमिक्रॉन को डिटेक्ट करने के लिए एक नई तकनीक विकसित की है. इस नई तकनीक के जरिए सिर्फ 90 मिनट में ओमिक्रॉन को डिटेक्ट किया जा सकता है. अभी दुनियाभर में ओमिक्रॉन वेरिएंट की पहचान के लिए Next Generation Sequencing Method का इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी रिपोर्ट आने में लगभग दो से तीन दिन का समय लग जाता है.

आईआईटी दिल्ली की तरफ से ये दावा किया गया है कि ये तकनीक स्पेसिफिक मेडिटेशन को डिटेक्ट करती है जो केवल ओमिक्रॉन वेरिएंट में मौजूद हैं और कोरोना के अन्य वेरिएंट में मौजूद नहीं हैं.

सिंथेटिक DNA फ्रैगमेंट्स का इस्तेमाल

इस तकनीक को आईआईटी दिल्ली के कुसुमा स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइंस ने डेवलप किया है. आईआईटी दिल्ली की तरफ से जारी बयान के अनुसार, 'इस तकनीक को सिंथेटिक DNA फ्रैगमेंट्स का इस्तेमाल करके डेवलप किया गया है. DNA फ्रैगमेंट्स की मदद से कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट की पहचान की गई है. अब इस RT-PCR की मदद से ओमिक्रॉन को सिर्फ 90 मिनट में डिटेक्ट किया जा सकता है.'

ये भी पढ़ें: दुनिया में ओमिक्रॉन से पहली मौत, इस जगह संक्रमित ने तोड़ा दम

दुनियाभर के लिए इस समय ओमिक्रॉन वेरिएंट सबसे ज्यादा चिंताजनक बना हुआ है. ऐसे में इस तरह की तकनीक काफी मददगार साबित हो सकती है. भारत में ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए हवाई अड्डों पर सख्त स्क्रीनिंग की जा रही है. इस तकनीक का इस्तेमाल करके जल्द से जल्द ओमिक्रॉन से संक्रमित लोगों की पहचान की जा सकती है और उन्हें आइसोलेट किया जा सकता है.

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