किसानों पर विपक्ष के 'FAKE NEWS' की निकली हवा, ये आंकड़े बताते हैं MSP का पूरा सच
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किसानों पर विपक्ष के 'FAKE NEWS' की निकली हवा, ये आंकड़े बताते हैं MSP का पूरा सच

किसी भी चीज का अधूरा ज्ञान बेहद घातक होता है. केंद्र सरकार ने गुरुवार को कृषि सुधार की ओर कदम बढ़ाते हुए तीन कृषि सुधार बिल लोकसभा में पारित किए.

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: किसी भी चीज का अधूरा ज्ञान बेहद घातक होता है. केंद्र सरकार ने गुरुवार को कृषि सुधार की ओर कदम बढ़ाते हुए तीन कृषि सुधार बिल लोकसभा में पारित किए. जिसमें किसानों की दोगुनी आय, फसल का उचित मूल्य मिलने के साथ उत्पादन और कृषि के रिस्क को अकेले किसान पर न डालने वाले विधेयक शामिल थे.

  1. MSP को लेकर विपक्ष के फेक न्यूज की निकली हवा
  2. आंकड़े बताते हैं कि 5 सालों में लगातार MSP बढ़ी
  3. सरकार की सफाई, MSP व्यवस्था खत्म नहीं होगी

इन तीनों विधेयकों को मिला दिया जाए तो ये एक तरह का कृषि रिफॉर्म ही है. लेकिन विपक्ष को ये सुधार कितना समझ में आए या नहीं आए, पता नहीं, लेकिन किसानों को आगे करके विरोध शुरू हो गया. विपक्ष की ओर से कहा गया कि इससे मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानि MSP व्यवस्था खत्म हो जाएगी और किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य नहीं मिलेगा. जबकि हकीकत इसके ठीक उलट है. 

जो मोदी सरकार बीते पांच सालों से सिर्फ किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत रही है. अब उस पर ही इस व्यवस्था को खत्म करने का आरोप लग रहा. 2006 की स्वामीनाथन की अध्यक्षता वाली नेशनल कमीशन ऑफ फार्मर्स ने सरकार को कुछ सुझाव सौंपे थे. इन सुझावों के आधार पर सरकार ने 2018 में किसानों की MSP को डेढ़ गुना बढ़ाया था. MSP का मतलब होता है कि किसान को सामान्य परिस्थितियों में उसकी फसल की एक तय न्यूनतम कीमत मिलेगी. 

अब जरा आंकड़ों पर नजर डालिए, क्योंकि आंकड़े झूठ नहीं बोलते. आपको इन आंकड़ों से MSP को लेकर फैलाए जा रहे विपक्ष के फेक न्यूज का पता चलेगा. 

बीते 5 सालों में किसानों को MSP भुगतान   
1.
2009-10 से 2013-14 के मुकाबले बीते पांच सालों में धान के लिए किसानों का MSP भुगतान 2.4 गुना बढ़ा है.  पिछले पांच सालों में MSP भुगतान 2.06 लाख करोड़ के मुकाबले 4.95 लाख करोड़ हुआ है. 
2.  2009-10 से 2013-14 के मुकाबले बीते पांच सालों में गेहूं के लिए  MSP भुगतान 1.77 गुना बढ़ा है. बीते पांच सालों में MSP भुगतान 1.68 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 2.97 लाख करोड़ रुपये रहा है.
3. बीते पांच सालों में दलहनों के लिए MSP भुगतान 75 गुना तक बढ़ा है. इस दौरान 49,000 करोड़ रुपये का MSP भुगतान किया गया जो कि  2009-10 से 2013-14 के दौरान सिर्फ 645 करोड़ रुपये था 
4. बीते पांच साल के दौरान ऑयलसीड्स और गरी के लिए MSP की भुगतान 10 गुना बढ़ा है, 2009-10 से 2013-14 जो MSP भुगतान सिर्फ 2,460 करोड़ रुपये था, वो बीते पांच सालों के दौरान बढ़कर 25,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया.

मोदी सरकार के पहले टर्म यानी 2014-15 से लेकर अबतक यानी 2020-21 तक MSP कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हुई है, जिससे किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत मिली है. 

5 सालों में बढ़ी फसलों की MSP 
MSP (रबी फसल) 

फसल               MSP अब (/क्विंटल)         MSP पहले (/क्विंटल)             बढ़ोतरी 
गेहूं                     1,925                                 1,450                              32.7% 
जौ                      1,525                                 1,150                              32.6% 
चना                    4,875                                  3,175                             53.5% 
मसूर दाल            4,800                                  3,075                             56.09% 
सरसों                  4,425                                  3,100                             42.7% 

5 सालों में बढ़ी फसलों की MSP 
MSP (खरीफ) 
फसल               MSP अब (/क्विंटल)         MSP पहले (/क्विंटल)             बढ़ोतरी 

धान                  1,868                                     1,360                       37.3% 
ज्वार                 2,640                                      1,550                      70.3% 
बाजरा               2,150                                     1,250                       72% 
मक्का               1,850                                      1,310                       41.2% 
तुअर                 6,000                                     4,350                       37.9% 
मूंग                   7,196                                      4,600                      56.4% 
मूंगफली            5,275                                      4,000                       31.8% 
कॉटन               5,515                                      3,750                       47.06% 

विपक्ष को किसानों से ज्यादा शायद उन बिचौलियों की चिंता है जो बीच में ही किसानों का हक मार जाते हैं. विपक्ष का कहना है कि इस नीति के लागू होने के बाद मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी. यह व्यवस्था खत्म हुई तो राज्यों को मंडी शुल्क नहीं मिलेगा. जबकि सरकार साफ कर चुकी है मंडी व्यवस्था बनी रहेगी, इस पर कोई असर नहीं पड़ने दिया जाएगा. साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य को भी इस कानून के तहत कोई खतरा नहीं है. 

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