किसानों के आंदोलन तेज करने और 14 दिसंबर को भूख हड़ताल पर बैठने के ऐलान के बाद दिल्ली पुलिस ने सिंघु बॉर्डर पर 4 लेयर सुरक्षा प्रोटेक्शन किया है.
दरसअल, नए कृषि कानूनों के विरोध में पिछले 15 दिनों से दिल्ली-हरियाणा सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर धरना दे रहे हजारों किसानों ने अपना आंदोलन (Farmers Protest) तेज करने का ऐलान किया है. शनिवार शाम प्रेस वार्ता करते हुए किसान नेता कमलप्रीत पन्नू (Kamal Preet Singh Pannu) ने 14 दिसंबर को भूख हड़ताल की घोषणा की है.
पन्नू ने कहा कि अभी हमारा धरना दिल्ली के 4 स्थल पर चल रहा है. रविवार को राजस्थान बॉर्डर से हजारों किसान ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे और दिल्ली-जयपुर हाइवे बंद करेंगे. 14 दिसंबर को किसान सारे देश के डीसी ऑफिस के बाहर प्रोटेस्ट करेंगे. उन्होंने कहा कि हम अपनी माताओंं-बहनों को भी आंदोलन में बुला रहे हैं. उनके लिए यहां रुकने की सभी व्यवस्था की जा रही है.
किसान नेता ने कहा कि सरकार सोचती है कि मामला लटका दिया जाए तो ये आंदोलन कमजोर पड़ जाएगा. लेकिन उनकी ये गलतफहमी है. हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा. हम आंदोलन को कानून रद्द होने तक जारी रखेंगे. गांव से लोग चल पड़े हैं. हम आंदोलन को और बड़ा करेंगे. सरकार भले ही फूट डालने की कोशिश करती रहे. बॉर्डर पर बैरिकेडिंग कर दे. लेकिन हम उसे तोड़ देंगे. किसान कानून को रद्द कराकर रहेंगे.
हमने सरकार से साफ कह दिया है. कानून रद्द करना होगा. संसोधन मंजूर नहीं. सरकार यही कहती रही कि ये कानून किसान की भलाई के लिए है. लेकिन असल में ये कानून ट्रेडर, कॉर्पोरेट घरानों के लिए बनाए गए हैं. कृषि मंत्री बैठक में मान रहे हैं कि कमियां हैं. जबकि मीडिया में बयान देते हैं कि किसानों को ब्रह्म हो गया है. इस दोहरे चेहरे के बाद सरकार संसोधन करने की बात करती है. लेकिन हमे संसोधन मंजूर नहीं है.
वहीं गुजरात के विभिन्न हिस्सों में बेमौसम बारिश के कारण खड़ी फसलों को बड़ा नुकसान हुआ है. मूंगफली, जीरा और कपास की फसलें काफी प्रभावित हुई हैं. किसानों के नुकसान को देखते हुए मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा है कि 'बेमौसम बारिश और फसल की क्षति की जानकारी मंगवाई जाएगी और प्रभावित किसानों को उसके अनुसार मुआवजा दिया जाएगा. फिलहाल राज्य में अभी भी बारिश का दौर जारी है, जैसे ही बारिश थमती है सर्वे कराया जाएगा.'
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