क्या आपने कभी गौर किया है कि किसी को कान पकड़कर उठक-बैठक करने की सजा क्यों दी जाती है? नहीं ना? वैसे ये सवाल तो इंट्रेस्टिंग है लेकिन जवाब शायद ही पता हो. तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि इसके बारे में...
बता दें कि उठक-बैठक सिर्फ क्लासरूम में बच्चों की दी जाने वाली पनिशमेंट ही नहीं है बल्कि कई लोग प्राथना के समय भी ऐसा करते हैं. दक्षिण भारत के मंदिरों में तो आज भी ये प्रथा काफी प्रचलित है. इतना ही नहीं कई बार आपने पुलिस को भी सड़क पर कुछ लोगों को कान पकड़कर उठक-बैठक करवाते देखा होगा. कोरोना काल में लॉकडाउन के नियम तोड़ने वालों को भी पुलिस ने उठक-बैठक करवाए. आपको बता दें कि इस पनिशमेंट के पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण भी हैं.
माना जाता है कि उठक-बैठक करने से ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है. इससे याद्दाश्त भी अच्छी रहती है. उठक-बैठक करने से दिमाग के कई हिस्से एक्टिवेट हो जाते हैं. आपने देखा होगा कि आज भी लोग कसरत और व्यायाम के दौरान उठक-बैठक जरूर करते हैं. उठक-बैठक पेट के आसपास की चर्बी को भी कम करने में मदद करता है.
इस विषय पर कई अध्ययन भी किए गए हैं. एक रिसर्च में पाया गया कि 1 मिनट तक कान पकड़कर उठक-बैठक करने से अल्फा वेव्स की एक्टिविटी बढ़ जाती है. कान पकड़ने से लोब्स दबते हैं और एक्यूप्रेशर के मुताबिक ब्रेन का दायां और बायां हिस्सा एक्टिवेट होता है.
एक और शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि कान पकड़कर उठक-बैठक करने से ब्रेन में इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी बढ़ जाती है. इन सभी फायदों को जानने के बाद कई स्कूलों ने इसे बच्चों को पनिशमेंट देने के तौर पर अपनाया.
आपको जानकर हैरानी होगी कि अमेरिका के स्कूलों में कान पकड़कर उठक-बैठक करने में बच्चों की रूचि बढ़ाने के लिए वर्कशॉप भी की जाती है. स्कूलों ने इसे 'सुपर ब्रेन योग' का नाम दिया है. बच्चों ही क्यों बड़ों को भी ये योग नियमित तौर पर करना चाहिए.
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