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कोरोना काल के बीच कुछ यूं मनाई गई अष्टमी, देखें PHOTOS

कोविड-19 के कारण इस बार दुर्गा पूजा का रंग फीका सा रहा, लेकिन बावजूद इसके लोगों की श्रद्धा में कोई कमी नहीं दिखाई दी. कोरोना नियमों का पालन करते हुए इस बार पंडाल लगाए गए, जहां लोगों ने प्रोटोकोल का पालन करते हुए मां के दर्शन किए और आर्शीवाद प्राप्त किया.

मास्क का रखा जा रहा विशेष ध्यान

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मास्क का रखा जा रहा विशेष ध्यान

कोरोना से बचाव के लिए सबसे जरूरी उपाय में मास्क है. इसलिए पूजा में आने वाले श्रद्धालुओं से लेकर पूजा करने वाले पूजारी तक सभी मास्क में नजर आ रहे हैं. हालांकि इससे पहले पुजारियों के अलावा रसोइए का भी कोविड टेस्ट करवाया लिया गया है. साथ ही अंडरटेकिंग भी साइन कराई गई है. 

सोशल डिस्टेंसिंग का किया जा रहा पालन

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सोशल डिस्टेंसिंग का किया जा रहा पालन

पिछले साल तक जिस पंडाल में भक्तों की भीड़ के कारण पैर रखने तक की जगह नहीं मिलती थी. वहीं इस बार कुछ ही लोगों को पंडाल में आने की अनुमति दी गई है. साथ ही कोरोना के नियमों का सख्ती से पालन कराया जा रहा है. इस तस्वीर में पूजारियों के साथ दूरी बनाकर बैठे श्रद्धालु पूजा करते नजर आ रहे हैं. 

पंडाल की एंट्री पर लगाया गया 'कवच'

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पंडाल की एंट्री पर लगाया गया 'कवच'

कमेटी के सचिव चिरंतन चंद्रन बताते हैं कि कोरोना को ध्यान में रखते हुए ही इस लगाया गया है. उन्होंने बताया कि अगर कोई श्रद्धालु पंडाल में दाखिल होने की कोशिश करता है जिसका तापमान सामान्य से ज्यादा है तो हमे अलार्म के जरिए पता लग जाता है. साथ ही लोग अपने हाथों को भी सैनिटाइज करते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है.

आधे घंटे में सिर्फ 30 लोगों को एंट्री

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आधे घंटे में सिर्फ 30 लोगों को एंट्री

कमेटी के सचिव चिरंतन चंद्रन ने बताया कि कोरोना को देखते हुए इस बार 30-30 श्रद्धालुओं के बेच को एक बार में दर्शन की अनुमति दी गई है. इसके लिए उन्हें पहले ऑनलाइन आवेदन देना होता है, जिसके बाद ही वे दर्शन के लिए जा पाते हैं. उनके बाहर आने के बाद ही दूसरे बेच के लोगों को पंडाल में एंट्री दी जाती है.

जूतों को सैनिटाइज करने के भी किए प्रबंध

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जूतों को सैनिटाइज करने के भी किए प्रबंध

पंडाल में एंट्री करने के बाद श्रद्धालुओं को अपने जूते इस मशीन में रखने होते हैं और फॉम के सॉक्स पहनकर दर्शन करने के लिए जाना होता है. माता का आर्शीवाद लेकर जब श्रद्धालु वापस लौटते हैं तो उन्हें संक्रमण रहित यानी सैनिटाइज जूते मिलते हैं.

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