वृन्दावन: ठा. श्रीप्रियाकान्त जू मंदिर प्रांगण में ब्रज की सातों प्रकार की होली खेली गई. श्रद्धालु-भक्तों से खचाखच भरे मंदिर प्रांगण में जब हाइड्रोलिक पिचकारी से टेसू का रंग बरसा तो फाग के गीत जीवन्त हो गए. देवकी नंदन महाराज के साथ श्रद्धालु-शिष्यों ने ब्रज के प्रमुख महोत्सव का आनंद लिया. ब्रजवासियों की रसीले हास-परिहास से शुरू हुई होली लठमार और फूलों की होली में बदल गई.
गुरुवार को छटीकरा मार्ग स्थित प्रियाकान्त जू मंदिर पर होली महोत्सव में उमड़े हजारों भक्तों पर जब भागवत प्रवक्ता देवकी नंदन महाराज ने हॉइड्रोलिक पिचकारी से रंग बरसाया तो श्रद्धालु झूमकर नृत्य करने लगे. टेसू के फूलों से बने सुगंधित रंग की धार जिस भी श्रद्धालु पर पड़ी वह ब्रज की मस्ती में खो गया. वृंदावन में होली की कृष्ण कालीन परंपरा और गहरी हो गई.
प्रियाकान्त जू विग्रह पर गुलाल लगाकर मंदिर सेवायतों ने होली की शुरूआत की. मंदिर परिसर में ढोल-नगाढ़े बजाकर श्रद्धालुओं में होली मनाने के घोषणा हो गई. देवकी नंदन महाराज ने 'बृज की यह होरी रसभरी...... तोय सौं कन्हैया, मोय रंग मत डारो....’, 'आज ब्रज में होरी रे रसिया....' जैसे मधुर भजन गाए तो श्रद्धालु नृत्य करने लगे.
मंच पर लोक कलाकारों के मीठी बृजभाषा में हास-परिहास का क्रम लठमार होली में परिवर्तित हो गया. इस बीच श्री राधा-कृष्ण स्वरूपों पर भक्तों ने पुष्पों की वर्षा कर फूलों की होली खेली. होली की खुशी में लड्डू और जलेबी लुटायी गईं, भक्तों ने लपक-लपक कर प्रसाद पाया. श्रद्धालुओं ने एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर होली की बधाई दी.
इसके बाद मंदिर अट्टालिका पर लगी हाईड्रोलिक पिचकारी से देवकी नंदन महाराज ने टेसू का रंग बरसाया. इस सुगंधित रंग में भीगने को हर किसी मे ललक दिखाई दी. श्रद्धालु भीगते हुए नृत्य करने लगे और ब्रज की अनूठी होली में खो गए.
देवकी नंदन महाराज ने होली को प्रेम का त्यौहार बताते हुए कहा कि होली सभी राग-द्वेष को भुलाकर एक दूसरे से प्रेम करने का अवसर प्रदान करती है. ब्रज की होली पूरी दुनिया को स्नेह और खुशी बढ़ाने का संदेश देती है. इस अवसर पर विश्व शांति सेवा चैरीटेबल ट्रस्ट सचिव विजय शर्मा ने आभार व्यक्त किया. मंदिर प्रबंधक रवि रावत, गजेन्द्र सिंह, विष्णु शर्मा, आदि उपस्थित रहे.
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