Ajmer: राजस्थान के अजमेर जिले के नसीराबाद उपखंड के देराठूं ग्राम पंचायत सीमा में कोटा चौराहे के निकट नाडा नाम से सड़क से कुछ दूर शांत वातावरण में एक स्थान है जहां पर देराठूं का एक जाट परिवार खेती किया करता था लेकिन इसी दौरान उस किसान का बेटा खेती के मार्ग को छोड़कर ईश्वर की आराधना में लीन होने लगा. ईश्वर से आमजन के दुख कष्ट निवारण की अरदास करने लगा. 


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किसान के घर पैदा हुआ रणजीत अब रणजीत महाराज के रूप में पहचाने जाने लगा और उसने धार्मिक स्थल के लिए सरकारी जमीनों पर कब्जा करने के बजाए उसने अपने पिता से ही अपने हिस्से की जमीन मांग ली है. पिता ने भी धार्मिक विचारधारा को देखते हुए अपने इस बेटे को खुली छूट दे दी की खेत में से धार्मिक स्थल के लिए जितनी जमीन चाहिए ले सकता है. धीरे-धीरे उसने खेत में से काफी बड़े क्षेत्र में मंदिर विकसित कर दिया और अब इस मंदिर में विशेष पूजा अर्चना और अनुष्ठान के साथ प्रतिमाएं स्थापित की गई है. इन प्रतिमाओं के चमत्कार के चलते श्रद्धालुओं का तांता लगने लगा है और क्षेत्रवासी सहित अन्य स्थानों के श्रद्धालु भी इस मंदिर पर पहुंचने लगे है.


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उज्जैन से लाया गया विशाल शिवलिंग स्थापित
इस मंदिर परिसर में उज्जैन से एक विशाल शिवलिंग लाया गया जिसे यज्ञ-हवन और पूजा अर्चना के साथ स्थापित किया गया है. श्रद्धालुओं का कहना है कि इस शिवलिंग पर पूजा करते वक्त शरीर में एक अजीब सी धार्मिक अनुभूति होती है और विचलित मन शांत हो जाता है. शिवलिंग के साथ शिव परिवार और आकर्षक नंदी की भी स्थापना की गयी है.


आदम कद अन्य प्रतिमाएं भी कर रही है आकर्षित
इस मंदिर परिसर में आदम कद की हनुमान, गणेश, मां दुर्गा, राधा कृष्ण, राम दरबार प्रतिमाएं श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण और पूजा का स्थान बनी हुई है.


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मुख्य रूप से बासक बाबा मंदिर
इस धार्मिक स्थल को मुख्य रूप से नाडा वाले तेजाजी बासक बाबा मंदिर के रूप में पहचाना जाता है. मुख्य उपासक रणजीत महाराज के सानिध्य में प्रतिमाओं का प्रतिदिन श्रंगार और पूजा अर्चना की जाती है. इस धार्मिक स्थल पर दिनभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.


Report: Manveer Singh