185 Members Family: परिवार में 185 लोगों के लिए 13 चूल्हे पर खाना बनता है. सबसे ज्यादा खास बात तो यह है कि परिवार के बड़े बुजुर्ग भले ही पढ़े-लिखे ना हो लेकिन वह सभी बच्चों और आज की पीढ़ी को खूब पढ़ा लिखा रहे हैं. इस परिवार में दो लोग जहां शिक्षक हैं, वहीं दो अन्य लोग कंपाउंडर हैं.
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185 Members Family: आज के समय में जहां लोगों को सिंगल फैमिली में रहना पसंद होता है, घर के बड़े बुजुर्गों को हुए वृद्धा आश्रम में छोड़ने की बात कही जाती है, वहीं, राजस्थान के अजमेर जिले में एक ऐसा परिवार है, जहां एक ही छत के नीचे 6 पीढ़ियां रह रही हैं. जी हां, इस परिवार में कुल 185 सदस्य हैं, जिनमें बच्चे, जवान, बूढ़े सभी शामिल हैं. मजेदार बात तो यह है कि जहां एक तरफ आजकल मॉडर्निटी के नाम पर जॉइंट फैमिली टूट रही हैं, वहीं राजस्थान के इस परिवार में 6 पीढ़ियां एक साथ रह रही हैं. हाल ही में एक्टर वक्की कौशल और एक्ट्रेस सारा अली खान भी इस परिवार के घर आई थीं.
भारतीय समाज की एकता को दर्शाती इस फैमिली के लोग भी बेहद ही प्यारे हैं. यह सभी मिलजुल कर एक साथ काम करते हैं और एक साथ ही रहते हैं. यह परिवार अजमेर जिले के रामसर गांव में एक ही छत के नीचे गुजारा करता है. हैरानी की बात तो यह है कि परिवार में इतने सदस्यों की संख्या देखकर गांव वालों का कहना है कि अगर इसे जिला नहीं घोषित करना है तो कम से कम तहसील तो घोषित ही कर देना चाहिए.
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इस परिवार में 185 लोगों के लिए 13 चूल्हे पर खाना बनता है. सबसे ज्यादा खास बात तो यह है कि परिवार के बड़े बुजुर्ग भले ही पढ़े-लिखे ना हो लेकिन वह सभी बच्चों और आज की पीढ़ी को खूब पढ़ा लिखा रहे हैं. इस परिवार में दो लोग जहां शिक्षक हैं, वहीं दो अन्य लोग कंपाउंडर हैं. वहीं, परिवार के कुछ लोग प्राइवेट नौकरी भी करते हैं. अजमेर के रामसर गांव में इस परिवार को 'बागड़ी माली परिवार' के नाम से जाना जाता है. इस परिवार का गांव में बड़ा ही खास वर्चस्व है.
क्या कहना है बुजुर्गों का
परिवार के बुजुर्ग बिरदीचंद का कहना है कि उनके पिता सुल्तान ने कहा था कि परिवार को हमेशा एकजुट रखना. बस इसी वजह से आज उनका पूरा परिवार एक ही छत के नीचे गुजर-बसर कर रहा है. इतने बड़े परिवार को एक साथ रखने में कई तरह की परेशानियां तो सामने आती हैं लेकिन उनका परिवार रिश्तों को निभाते हुए इन सब का सामना करता है.
खेती पर निर्भर परिवार
इतने बड़े परिवार के खाने-पीने और गुजर-बसर करने के लिए परिवार को कई इंतजाम भी करने पड़ते हैं. 185 सदस्यों का यह परिवार 500 बीघा जमीन पर की खेती पर निर्भर है. यह लोग एक साथ मिलकर अनाज और सब्जियां उगाते हैं. बिरदीचंद का यह भी कहना है कि एक साथ 13 चूहों पर सभी के लिए खाना बनाया जाता है और इस काम के लिए घर की महिलाएं सुबह 4:00 बजे से ही काम शुरू कर देती हैं.
एक बार में 25 किलो सब्जी बनती है
इस परिवार के लिए एक समय पर 25 किलो सब्जी बनाई जाती है. इतने सारे लोगों के बीच आसानी से काम पूरा हो सके, इसलिए सभी ने अपने कामों को बांट रखा है. इसकी वजह से परिवार में तकरार की स्थिति भी नहीं होती है. बड़े परिवार के लिए एक साथ 25 किलो आटे की रोटियां बनाई जाती हैं. घर की महिलाएं यह सारे काम एक साथ मिलजुल कर करती हैं.
बहू रह चुकी सरपंच
परिवार की सदस्य मगरी देवी का कहना है कि घर की सभी बुजुर्ग महिलाएं सुबह शाम का खाना बनाती हैं और बहू बेटियां खेती-बाड़ी समेत गाय भैसों का दूध निकालने का काम करती हैं. आय के साधन के लिए इस परिवार के पास 100 गायें हैं, जिनका दूध बिक्री के लिए भी जाता है. साथ ही अब यह परिवार मुर्गी पालन के काम में भी जुट गया है. साल 2016 में इस परिवार की एक बहू सरपंच भी रह चुकी है, जिसने गांव के विकास के लिए कई काम किए थे.