Alwar News: स्कूल स्टाफ ने बदल दी सरकारी स्कूल की सूरत, ड्रेस कोड से लेकर हर सुविधा मौजूद
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Alwar News: स्कूल स्टाफ ने बदल दी सरकारी स्कूल की सूरत, ड्रेस कोड से लेकर हर सुविधा मौजूद

Alwar News: आपने अक्सर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की कई ऐसे सरकारी स्कूल देखे होंगे, जहां पर सरकार की तरफ से कोई सुविधा नहीं मिले तो अभिभावक मजबूरी में अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ने भेज देते है, जिस तरफ सरकार का ध्यान ही नहीं होता.

Alwar News: स्कूल स्टाफ ने बदल दी सरकारी स्कूल की सूरत, ड्रेस कोड से लेकर हर सुविधा मौजूद
Alwar News: आपने अक्सर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की कई ऐसे सरकारी स्कूल देखे होंगे, जहां पर सरकार की तरफ से कोई सुविधा नहीं मिले तो अभिभावक मजबूरी में अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ने भेज देते है, जिस तरफ सरकार का ध्यान ही नहीं होता. लेकिन खैरथल जिले के मुंडावर का एक ऐसा सरकारी स्कूल जिसके प्रिंसिपल की कड़ी मेहनत और कुछ करने के जूनून ने सरकारी स्कूल की काया ही पलट दी.
 
आलम ये है कि जिस स्कूल में बच्चे जाने से कतराते थे आज बच्चे वहा पर जाने को लालायित है, सभी बच्चों के साथ पूरा स्कूल स्टाफ भी अपने Id कार्ड और ड्रेस कोड के साथ स्कूल में बच्चो के साथ आते है, हमें ऐसे शिक्षक की बात करेंगे जो पूरे राजस्थान में एक मिसाल है जिन्होंने अपनी खुद की कमाई से अपने स्टाफ के सहयोग से एक विद्यालय को एक ऐसा रूप प्रदान किया कि लोग देखकर हैरान हो जाते हैं.
 
ऐसे भी सरकारी स्कूल होते हैं बात कर रहे हैं मुंडावर उपखंड के शहीद श्याम सिंह राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय कादर नंगला की यहां के शिक्षक सुमित यादव यहां 2012 में पोस्टेड होकर आए उस समय स्कूल की हालत जर्जर थी गांव में पढ़ाई का माहौल नहीं था. उन्होंने ठान लिया कि मैं इस विद्यालय की काया पलट करके रहूंगा. गांव बेहद गरीब है तो आर्थिक सहयोग मिलना मुश्किल था. उन्होंने बाहर के भामाशाह ,एनजीओ,कंपनी से संपर्क किया. परंतु किसी तरह की मदद नहीं मिली.
 
फिर उन्होंने ठान लिया कि मैं अपनी कमाई से अपने स्टाफ के साथ मिलकर इस विद्यालय को सवारूंगा.  सभी अपने मिशन में लग गए. आज इस विद्यालय की स्थिति यह है कि कोई ऐसी सुविधा नहीं है, जो इस विद्यालय में नहीं हो फटेहाल आने वाले बच्चे आज किसी निजी विद्यालय में जाने वाले बच्चों से भी अच्छे दिखाई देते हैं. विद्यालय का स्वरूप बगीचा इतना आकर्षक है की नजरे ठहर जाए, वहीं बच्चों का शिक्षण स्तर पहले से बहुत अच्छा है बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं.
 
जिस गांव में कुछ साल पहले चंद लोग मैट्रिक पास थे, आज यहां के अनेक बेटे बेटियां उच्च शिक्षा के साथ सरकारी नौकरी की तैयारी कर रही हैं. जब आप विद्यालय में प्रवेश करेंगे तो भौतिक सौंदर्य आपका मन मोह लेगा कक्षा कक्ष बच्चे आपको किसी निजी विद्यालय से कम दिखाई नहीं देंगे. अब तक इस विद्यालय में संस्था प्रधान सुमित यादव की पहल पर अपनी नेक कमाई से और अपने स्टाफ के सहयोग से 8 से 10 लाख का विकास कार्य हुआ है, जो मुझे नहीं लगता राजस्थान में किसी विद्यालय में हुआ हों बिना किसी भामाशाह की मदद के ऐसा विकास कार्य अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करता है. आज दूर-दूर से लोग इस विद्यालय को देखने आते हैं यह सिद्ध करता है यदि एक शिक्षक ठान ले तो क्या नहीं कर सकता है शिक्षक सुमित यादव ने पूरे स्कूल और गांव का माहौल बदल कर रख दिया.
 
लेकिन विडंबना इस बात की है की खुद शिक्षा विभाग कभी एसे शिक्षकों को आगे नहीं बढ़ाता और ना ही उनका उत्साह वर्धन करता है. केवल चंद लोग एक कमेटी बनाकर अपने लोगों को शिक्षक सम्मान में सम्मानित करने के लिए नामित कर देते हैं,जिन लोगों का शिक्षा तथा विद्यार्थियों के लिए कोई विशेष योगदान नहीं है. केवल कुछ अधिकारियों और कमेटी की कृपा पाकर पुरस्कार प्राप्त करते रहते हैं,यदि हमारे यहां शिक्षा की स्थिति सुधारनी है तो ऐसे शिक्षकों से प्रेरणा लेनी चाहिए और राज्य सरकार व शिक्षा विभाग को भी ऐसे शिक्षकों को सम्मानित करने व उनका हौसला अफजाई करने की जरूरत है. साथ ही उन अधिकारियों पर भी कार्रवाई करनी चाहिए जो सिर्फ और सिर्फ अपने चहेतों का नाम आगे भेजकर उन्हें सम्मानित करा देते हैं और असली हकदार सिर्फ मायुस होकर रह जाते हैं.

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