Alwar: भागवत कथा के रंग में रंगा बानसूर, सुंदर झांकियों ने मोहा भक्तों का मन
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Alwar: भागवत कथा के रंग में रंगा बानसूर, सुंदर झांकियों ने मोहा भक्तों का मन

Alwar News: अलवर जिले के बानसूर में नारायनपुर रोड पर मत्स्य स्कूल के परिसर में चल रही साप्ताहिक संगीतमय श्रीमद भागवत कथा का आज समापन किया गया. इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे.

Alwar: भागवत कथा के रंग में रंगा बानसूर, सुंदर झांकियों ने मोहा भक्तों का मन

Alwar: बानसूर के नारायणपुर रोड पर भागवत कथा का आयोजन बरसाना से पधारे कथा वाचक हेमंत कृष्ण महाराज के मुखारबीन से साप्ताहिक कथा का आयोजन किया गया. इस दौरान कथा वाचक ने श्रीमद भागवत महात्म्य, कथा श्रवण विधि वर्णन, सूत सौनक जी संवाद, परिक्षित जन्म, कुंती स्तुति, भीष्म पितामह ज्ञानोपदेश, धर्म, पृथ्वी परीक्षित संवाद, शुक्रदेव जी का आगमन कथारंभ, सृष्टि वर्णन, कपिल देवहूति संवाद, ध्रुव चरित्र, प्रथ प्रकरण , अजामिल चरित्र ,गजेंद्र मोक्ष, श्री सौरभी चरित्र, श्री राम जन्म, श्री कृष्ण जन्म महोत्सव, नंदोत्सव, पूतना उद्धार, श्री कृष्ण बाल लीला, ऊरवल बंधन, चीरहरण लीला, गोवर्धन पूजा, गोवर्धन धारण लीला, महारास लीला, श्री कृष्ण मथुरा गमन ,उद्धव गोपी संवाद, रुकमणी विवाह महोत्सव कथा का आयोजन किया गया.

वहीं साप्ताहिक भागवत कथा में राधा - कृष्ण, विष्णु भगवान, कृष्ण सुदामा की सुंदर सुंदर झांकियों का आयोजन किया गया. आज समापन पर हजारों की संख्या में महिला और पुरुष श्रद्धालु भागवत कथा में शामिल हुए. और भक्ति रस का गुणगान करते हुए झूम झूम कर नाचने लगे. इस दौरान भागवत कथा का पूरा पंडाल भक्तिमय हो गया. वही भागवत कथा के समापन पर फूलों की होली खेली गई.

वहीं आज कथा के समापन पर कथावाचक ने संतोष शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि जिसके जीवन में संतोष है. वह दुनिया का सबसे धनी व्यक्ति है. जीवन में संतोष की वृत्ति का पालन करते करते सुदामा जी ने श्री कृष्ण द्वारकाधीश को भी अपनी चरण सेवा करने पर विवश कर दिया था. जीवन सुधार पर को बोलते हुए आचार्य ने कहा कि सफल होने के लिए तीन सूत्रों का अवश्य ध्यान रखना चाहिए जिसमें वाणी की मिठास, व्यवहार की उदारता और चरित्र पर ध्यान देना चाहिए.

आचार्य ने कहा कि वस्तु प्रभु कृपा से प्राप्त हो उसका कभी भी दुरुपयोग नहीं करना चाहिए. सफल होने के साथ-साथ सरल रहने के जीवन को बड़ी उपलब्धि मानना चाहिए.द्वारिकाधीश श्री कृष्ण ने साधुओं की झूठी पत्तल उठाकर के इस विषय को चरितार्थ किया था

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