राजस्थान के लहसुन को गुजरात का सहारा, फैक्ट्री खुली तो होगा मुनाफा
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राजस्थान के लहसुन को गुजरात का सहारा, फैक्ट्री खुली तो होगा मुनाफा

बारां जिला लहसुन उत्पादन के मामले में नंबर एक पर आता है. यहां के किसान अच्छी आमदनी के आस में बड़े पैमाने पर लहसुन का उत्पादन करते हैं, लेकिन इस साल लहसुन के दाम अपने न्यूनतम स्तर पर है, जिसके चलते जिले के किसान परेशान हैं. इस साल उनकी लागत तक नहीं निकल पा रही है. 

प्रतीकात्मक तस्वीर.

Baran: प्रदेश भर में बारां जिला लहसुन उत्पादन के मामले में नंबर एक पर आता है. यहां के किसान अच्छी आमदनी के आस में बड़े पैमाने पर लहसुन का उत्पादन करते हैं, लेकिन इस साल लहसुन के दाम अपने न्यूनतम स्तर पर है, जिसके चलते जिले के किसान परेशान हैं. इस साल उनकी लागत तक नहीं निकल पा रही है. मंड़ी में एक-दो रुपये प्रति किलो मिल रहा है. भाव ऐसे में किसान लहसुन को सड़कों पर फेंकने को मजबूर है. 

प्रदेश भर में सबसे ज्यादा लहसुन के उत्पादन करने वाले हैं बारां जिले के किसान इन दिनों परेशानी में है. पिछले साल, जहां जिले में लहसुन 100 रुपये से लेकर 200 रुपये प्रति किलो तक था. वहीं, इस बार लहसुन के भाव 100 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए है. 

लहुसन की बुआई में महंगे बीज से लेकर, उसको बार-बार पानी देना, जमीन में से निकालना, सूखाना, कटिंग करवाना, फिर कट्टों में भरवाना सभी खर्चीली प्रक्रियाहैं. आर्थिक जरूरतों को लेकर मजबूरी में कुछ किसान बारां मंडी में लहसुन लेकर तो पहुंच रहे हैं, लेकिन उनको नीलामी के दौरान मायूसी हाथ लग रही है. 

फिलहाल दाम कम होने के चलते बड़े पैमाने पर किसान अभी भी लहसुन बेचने मंडियों में नहीं आ रहे है. दाम कम होने से कर्ज लेकर फसल बोने वाले किसान तो बेहद ही परेशानी में हैं. किसानों का मुनाफा तो दूर लागत तक नहीं निकल पा रही है. ऐसे में दुखी किसान अब सरकार से आस लगाए बैठे हैं. किसानों की मांग है कि सरकार जल्द ही लहसुन खरीदी में हस्तक्षेप कर बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत उनके लहसुन को खरीदें, ताकि उन्हें आर्थिक संबल मिल सकें. 

किसानों का कहना है कि एक बीघा लहसुन की पैदावार करने में करीब 15,000 रुपये तक का खर्च आता है, लेकिन एक बीघा में उत्पादित लहसुन का बाजार में 2,000 रुपये तक भी नहीं मिल पा रहे हैं. इस वर्ष लहसुन के भाव किसानो को रुला रहे है. लागत निकलना तो दूर की बात है, मंडी तक लाने का किराया तक नहीं निकल पा रहा है. ऐसे में किसानों की परेशानी काफी बढ़ गई है. 

सोमवार को कृषि उपज मंडी स्थित लहसुन मंडी में 250 रुपये से 2500 रुपये क्विंटल तक के भावों के चलते कई किसानों के अरमान ध्वस्त होते नजर आए. सोमवार को मंडी में करीब नौ से दस हजार कट्टे लहसुन की आवक हुई. 

ऐसे में निकटवर्ती ग्राम दूनीखेड़ा से किसान संजय मेहता करीब 9 क्विंटल लहसुन लेकर मंडी में बेचने के लिए आया था, लेकिन नीलामी के दौरान व्यापारियों और मुनीमों ने उसके लहसुन की नीलामी तक लगाना उचित नहीं समझा. ऐसे में किसान ने लहसुन की ट्रॉली को मंडी के पिछले गेट के समक्ष फेंककर गांव वापस लौट गया. 

किसान संजय मेहता ने बताया कि वह करीब 18 कट्टे लहसुन लेकर बेचने आया था. सुबह से शाम तक मंडी में बैठा रहा, लेकिन लहसुन का सौ रुपये क्विंटल भी भाव नहीं लगाया गया. शाम को लहसुन फेंककर आना पड़ा. 

वहीं, दूसरी ओर लहसून व्यापारियों का कहना है कि इस वर्ष लहसुन की लेवानी काफी कमजोर बनी हुई है, जिसके चलते मंडी में किसानो को लहसुन के भाव नहीं मिल रहे. वहीं, मध्यप्रदेश की लहसुन मंडियो में सस्ती दर पर लहसुन की अच्छी उपलब्धता होने से यहां और भी हालात खराब है. 

बारां मंडी में व्यापारियों का कहना है कि गुजरात में जाने वाले छोटे लहसुन की डिमांड कम होने और गर्मी के चलते लहसुन के दाने में खराबी आने के चलते दामों में और अधिक गिरावट आई है. गुजरात की फैक्ट्रियों के खुलने के बाद, लहसुन के दामों में तेजी देखी जा सकती हैं. 

रिपोर्टर: राम मेहता

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