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Baran: बारां के जिला अस्पताल में इन दिनों तेज गर्मी के बीच प्रसूताओं की परेशानी बढ़ी हुई है. बिजली अव्यवस्था के चलते प्रसूताओं को कोटा रैफर किय जा रहा है. जिला अस्पताल की एमसीएस विंग में बने एसएनसीयू वार्ड में भर्ती बच्चों की सभी माताओं को बेड नहीं मिल पा रहे हैं. हालात यह है कि दोनों ही जगह उनकी माताओं को बाहर बरामदे में जमीन पर सोना पड़ता है. क्योंकि इस भीषण गर्मी में उनके लिए बेड तो दूर पंखे और कूलर तक के इंतजाम नहीं है. इसकी वजह से कई बार यहां पर कई प्रसूताओं की तबीयत भी बिगड़ चुकी है, लेकिन इस ओर जिम्मेदार अधिकारियों की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
इसको लेकर कई बार प्रसूताओं के परिजनों ने शिकायत भी की है. उन्हें आश्वासन तो मिला, लेकिन हालात नहीं बदले. डॉक्टरों के अनुसार प्रसूताओं को डिलीवरी के बाद बिस्तर पर ही लेटना चाहिए. प्रसूताओं को जमीन पर लेटने से मना करते हैं. इससे उन्हें पीड़ा होती है और स्वास्थ्य को भी हानि पहुंचती है. जिले के सबसे बड़े अस्पताल में ही इस एडवाइजरी की अनदेखी हो रही है. जिला अस्पताल में बिजली की अव्यवस्थाओं के कारण परेशान प्रसूताओं को कोटा रैफर किया जा रहा है.
एमसीएच विंग में एसएनसीयू वार्ड ग्राउंड फ्लोर पर है, जहां प्रीमैच्योर और बीमार नवजात बच्चों को रखा जाता है. बच्चों के कारण उनकी माताओं को भी वहां रहना पड़ता है. स्थिति ये है कि इन माताओं के लिए पर्याप्त बेड तक नहीं है. मजबूरी में प्रसूताओं को बाहर गैलरी में व सीढ़ी के नीचे जमीन पर लेटना पड़ता है. भीषण गर्मी से बचने के लिए यहां पर पंखे और कूलर तक की व्यवस्था नहीं है.
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अस्पताल में एक वार्ड में केवल 12 बेड की व्यवस्था
जिला अस्पताल में प्रतिदिन छबड़ा, छीपाबड़ौद, शाहाबाद समेत ग्रामीण इलाकों से बड़ी संख्या में प्रसूता रैफर होकर आती है. यहां प्री-मेच्योर व बीमार बच्चों को एसएनसीयू वार्ड में भर्ती किया जाता है, लेकिन बच्चों की प्रसूताओं के लिए केवल एक वार्ड में 12 बेड की व्यस्था की गई है. जिसके कारण कई प्रसूताओं को बेड भी नहीं मिल पाता है.
Reporter: Ram Mehta
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