Thar mahotsav 2023: बाड़मेर जिले में थार महोत्सव का भव्य शोभायात्रा के साथ ही आगाज हुआ. थार रेगिस्तान की संस्कृति को विश्व पटल पर पहचान दिलाने के लिए आयोजित किया गया हैं. इसमें विभिन्न नृत्य दलों ने अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी.
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Thar mahotsav 2023: थार के रेगिस्तान की कला व संस्कृति को विश्व पटल पर पहचान दिलाने व बाड़मेर जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित होने वाले थार महोत्सव का बाड़मेर जिला मुख्यालय पर शनिवार को भव्य शोभायात्रा के साथ ही आगाज हुआ. बाड़मेर शहर के गांधी चौक से इस शोभायात्रा को राजस्थान को सेवा आयोग के अध्यक्ष व बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन जिला कलेक्टर लोक बंधु जिला प्रमुख महेंद्र चौधरी, रावत त्रिभुवन सिंह सहित अतिथियों ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. शोभायात्रा में सबसे आगे सीमा सुरक्षा बल का केमल टेटू दस्ता पूरे शहर में आकर्षण का केंद्र रहा. साथ ही इस भव्य शोभायात्रा में देशभर के विभिन्न हिस्सों से आए अलग-अलग नृत्य दलों ने अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी. वहीं शोभायात्रा में हजारों की संख्या में बाड़मेरी लिबास पहने पुरुष भी कदमताल मिलाते नजर आए.
सैकड़ों की संख्या में बाड़मेर की महिलाओं ने सिर पर कलश धारण कर इस शोभायात्रा में भाग लेकर थार महोत्सव कार्यक्रम में चार चांद लगाने के लिए अपनी भागीदारी निभाई. गांधी चौक से शुरू हुई थार महोत्सव की शोभायात्रा का बाड़मेर शहर के विभिन्न मार्गों पर शहर वासियों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया और यह शोभायात्रा बाड़मेर के आदर्श स्टेडियम में आकर समाप्त हुई जहां पर अलग-अलग प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है. पंजाब से आए हुए कलाकारों ने भांगड़ा नृत्य किया. व उत्तर प्रदेश से आए बुंदेली नृत्य ने लोगों को खूब मनोरंजन करवाया.
ऊंट और बीएसएफ का गौरवशाली इतिहास
ऊंट सदियों से राजस्थान की संस्कृति और आमजन के दैनिक जीवन का अभिन्न अंग रहे हैं. बीएसएफ और ऊंट का पुराना संबंध रहा है. भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बीएसएफ के जवान ऊंटों पर बैठकर सरहद की निगरानी करते हैं. आजादी से पहले इंपीरियल आर्मी में भी बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह की ओर से स्थापित गंगा रिसाला कैमल कॉर्प थी. यह विश्व युद्ध के अलावा सोमाली लैंड, मिस्त्र और चीन दोनों में लड़ी थी. आजादी के बाद भारतीय सेना की ऊंट इकाई गंगा जैसलमेर रिसाला ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भाग लिया था. हालांकि 1974 में कैमल कॉर्प्स की इस इकाई को पैदल इकाई में बदल दिया गया और गंगा रिसाला नाम से एक आर्टिलरी इकाई बना दी गई.
यह करतब रहेंगे आकर्षण का केन्द्र
दो ऊंटों पर बीएसएफ के एक जवान की सवारी, ऊंट पर सवार का नजर नहीं आना, पणिहारी का ऊंट पर कलश के साथ, ऊंट पर ही बैठकर खाना और नाश्ता करना और दूल्हा दुल्हन की ऊंट पर सवारी ऐसे करतब है जो कैमल टेटू शो को खास आकर्षण का केन्द्र बनाते है. बीएसएफ के जवान अकसर सीमा पर रहते है.