प्रतापगढ़: जिले के मुंगाणा में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर नसबंदी के लिए आई महिलाओं को बेड तक नसीब नहीं हुआ. ऑपरेशन के बाद महिलाओं को ठिठुरती ठंड में जमीन पर सोने को मजबूर किया गया.
बेर्ददी के मचान पर बैठे अस्पतालों के सफेद कोट वाले डॉक्टर्स की मरी हुई संवादेनाओं की तस्वीर दिखी. सर्दी से ठिठुरती महिलाओं का जमीन में लेटना डाक्टर्स के दिलों से संवेदना का मर जाना है. मर जाना है इंसानियत का, मर जाना है आला का, मर जाना है दवा का दर्द का. दरअसल प्रतापगढ़ के मुंगाणा में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर करीब 48 महिलाओं की नसबंदी का ऑपरेशन किया गया. ऑपरेशन के बाद महिलाओं को ठिठुरती ठंड में जमीन पर पटक दिया गया.
उसूलों के दायरों की अगर बात करें, तो आप दंग रह जाएंगे कि ऑपरेशन के बाद महिलाओं को पलंग या बेड पर मिलना चाहिए था, उनका ख्याल रखना चाहिए था, लेकिन अफसोस मरी हुई संवाओं की उटारी पर बैठे अस्पताल प्रशासन ने ऑपरेशन के बाद महिलाओं को सर्दी में अस्पताल के बरामदे में जमीन पर पटक दिया. एक तरफ सरकार अस्पातलों की तस्वीर और तकदीर बदलने की तमाम कोशिशें कर रही हैं. सरकार ने जनता के लिए अस्पातल में बेहतर से बेहतर व्यवस्था करने के इंतजाम किए हैं, लेकिन अफसोस, सरकारी अस्पताल का प्रशासन सरकार की योजनाओं सरकार की कोशिशों पर लापरवाही और इंजेक्शन ठोक रहा हैं.
गहलोत सरकार जन आरोग्य नीति लेकर आई है, लेकिन सरकार को यह भी सोचना होगा कि आदिवासी इलाकों में जब हाल कुछ ऐसे हैं तो इस नीति को सफल रूप से लागू करने के लिए क्या मास्टर प्लान होना चाहिए? यह हालात सिर्फ इसी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के नहीं है, बताया जा रहा है कि जिले के ग्रामीण इलाकों में जहां पर भी नसबंदी शिविर आयोजित होते हैं वहां महिलाओं को ऐसे ही नीचे सोने को मजबूर किया जाता है, तो वहीं गरीब आदिवासियों के पास कहीं और जाने का कोई चारा भी नहीं होता.