राजस्थान के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया मंगलवार को अलवर जिले के रामगढ़ थाना क्षेत्र में शनिवार को गो तस्करी के संदेह में अकबर खान उर्फ रकबर खान के साथ लोगों के समूह द्वारा की गई कथित मारपीट का जायजा लेने जायेंगे.
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जयपुर: राजस्थान के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया मंगलवार को अलवर जिले के रामगढ़ थाना क्षेत्र में शनिवार को गो तस्करी के संदेह में अकबर खान उर्फ रकबर खान के साथ लोगों के समूह द्वारा की गई कथित मारपीट का जायजा लेने जायेंगे. कटारिया ने बताया कि वह, मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक एक बार दोबारा जांच के लिये घटना स्थल का दौरा करेंगे और जांच में किसी प्रकार की कमी कमी रह गई है तो उसका पता लगायेंगे. उन्होंने बताया कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियो के एक दल ने सोमवार को रामगढ़ का दौरा किया था. इस दौरे के बाद सहायक पुलिस उप निरीक्षक को निलंबित कर दिया गया और तीन पुलिस कर्मियों को लाईन में भेज दिया गया.
पुलिस की ओर से हुई है कुछ लापरवाही- कटारिया
कटारिया ने कहा कि पुलिस की तरफ से कुछ लापरवाही हुई है. पुलिस ने पहले गायों को गौशाला पहुंचाया और उसके बाद पीड़ित को अस्पताल पहुंचाया. पुलिस को पहले पीड़ित को थाने से लेकर अस्पताल जाना चाहिए था. मारपीट की कथित घटना की न्यायिक जांच की मांग का जवाब देते हुए कटारिया ने कहा कि वह स्वयं घटना की जांच के लिये जा रहे है, और जरूरत हुई तो उचित और आवश्यक निर्णय किया जायेगा. गौरतलब है कि बीते शुक्रवार की रात को गो-तस्करी के आरोप में भीड़ द्वारा पीट-पीट कर रकबर(अकबर) खान की हत्या के बाद चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अलवर में रामपुर थाना क्षेत्र में घटित इस घटना के बाद पुलिस जब मौके पर पहुंची तो उसने बुरी तरह घायल रकबर को अस्पताल पहुंचाने में कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई. उसको छह किमी दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचएसी) तक पहुंचाने के लिए पुलिस को तीन घंटे लग गए.
पुलिस ने गायों को दी प्राथमिकता
रिपोर्ट्स के मुताबिक रकबर की जान बचाने के बजाय पुलिस की प्राथमिकता उससे बरामद दो गायों को गोशाला पहुंचाने में रही. इस कारण पहले गायों को घटनास्थल से 10 किमी दूर गोशाला पहुंचाया गया. उसके एक घंटे बाद रकबर को अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उसको मृत घोषित कर दिया गया. स्वास्थ केंद्र के ओपीडी रजिस्टर के मुताबिक रकबर खान को सुबह चार बजे अस्पताल पहुंचाया गया. जबकि एफआईआर के मुताबिक पुलिस को देर रात 12:41 मिनट पर हमले के बारे में एक 'गो-रक्षक' नवल किशोर शर्मा ने सूचना दी थी. रामगढ़ पुलिस का दावा कि उसके बाद पुलिस की एक टीम अगले 15-20 मिनट में घटनास्थल पर पहुंच गई थी. लेकिन पुलिस अब मीडिया के इन सवालों का जवाब नहीं दे पा रही है कि आखिर उसके बाद बुरी तरह घायल को अस्पताल सुबह चार बजे तक क्यों पहुंचाया गया? घटनास्थल से छह किमी दूर अस्पताल तक पहुंचने में पुलिस को तीन घंटे कैसे लग गए?
(इनपुट भाषा से भी)