राज्य के चार टाइगर रिजर्व सेंचुरी के लिए केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी घना उद्यान प्री-बेस उपलब्ध कराएगा, ताकि वहां टाइगरों की भोजन शृंखला को विकसित किया जा सके.
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Bharatpur: राज्य के चार टाइगर रिजर्व सेंचुरी के लिए केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी घना उद्यान प्री-बेस उपलब्ध कराएगा, ताकि वहां टाइगरों की भोजन शृंखला को विकसित किया जा सके. एनटीसीए की टेक्निकल कमेटी ने इसके लिए मंजूरी दे दी है. इसकी शुरुआत मुकुंदरा टाइगर रिजर्व से हो चुकी है. मुकुंदरा में 172 चीतल भेज जा चुके हैं. यहां 500 चीतल भेजने का लक्ष्य है. अब इसी महीने के दूसरे पखवाडे़ से दूसरी खेप भेजी जाएगी.
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साथ ही रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व सेंचुरी में 150 और रणथंभोर टाइगर रिजर्व सेंचुरी और जयपुर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के लिए 50-50 चीतल भेजे जाना प्रस्तावित है. इनकी शिफ्टिंग की शुरुआत इसी महीने होने की संभावना है. उल्लेखनीय है कि घना में करीब 3227 चीतल है, जिन्हें क्षमता से करीब 600 अधिक माना गया है. इनमें से ही 500 चीतल को मुकंदरा रिजर्व में टाइगर्स के प्रे-बेस (भोजन शृंखला) के लिए शिफ्ट किया जाएगा, यहां रणथंभोर से बाघ टी-113, टी-121 और टी-123 के अलावा बाघिन टी-119 और टी-73 की मादा शावक टी-126 में से दो बाघ और एक बाघिन को मुकंदरा लाया जाना प्रस्तावित है. फिलहाल यहां एक बाघ विचरण कर रहा है.
इसके अलावा रणथंभोर बाघ अभ्यारण्य में 80 बाघ है. इनमें से कुछ का मूवमेंट आरटीआर सेकंड में रहता है. इसके अलावा जयपुर वाइल्ड लाइट सेंचुरी के लिए भी केएनपी घना से प्री-बेस मुहैया कराया जाएगा. इधर, भरतपुर होटल एंड रेस्टोरेंट वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष रनवीरसिंह ने सरकार से चीतलों के बदले भरतपुर में ताल छापर से कृष्णमृग भेजे जाने की मांग की है. यहां 60-70 के दशक में कृष्ण मृग थे, लेकिन अब एक भी नहीं है.
घना में इस साल बढ़े 3227 चीतल
करीब 29 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के कोलाडहर इलाके में चीतल/हिरण पाए जाते हैं. वर्ष 2022 की वन्यजीव गणना के अनुसार केवलादेव नेशनल पार्क में 3227 चीतल देखे गए थे, जो क्षमता से अधिक है. इसके अलावा सांभर 28, रोजड़ा 529, जंगली सूअर 135, सेही 17, हांग डीयर 4 देखे गए. इन्हें भी प्री-बेस माना जाता है.
इसी माह भेजेंगे चीतल : अभिमन्यु
केवलादेव घना से मुंकुदरा, रामगढ़ विषधारी, आरटीआर सैंकड और जयपुर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी को प्रे बेस घना से भेजा जाएगा. मुकुंदरा में अब तक करीब 172 चीतल भेजे जा चुके हैं। पिछले दिनों आंधी/बारिश से एंक्लाजेर टूट गया था. इससे चीतल डिस्टर्ब हो गए. अब उसे दुरुस्त करा रहे हैं और इस महीने के आखिर में चीतल भेजना प्रारंभ करेंगे.
Reporter: Devendra Singh