भीलवाड़ा न्यूज: 6 से 14 मई तक रुद्र महायज्ञ और संत सम्मेलन का आयोजन होगा. इस दौरान भव्य कलशयात्रा निकाली जाएगी.6 मई को भव्य कलशयात्रा निकाली जाएगी.
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Sahapura, Bhilwara: भीलवाड़ा क्षेत्र के प्रसिद्ध तीर्थ एवं संगम स्थल धानेश्वर में 6 से 14 मई तक रुद्र महायज्ञ एवं रामकथा व संत सम्मेलन का आयोजन होगा. धानेश्वर स्थित नारायणधाम आश्रम के महंत शंकरदास त्यागी महाराज ने बताया कि धानेश्वर के जनक अनंत विभूषित स्व. बाबा नारायणदास त्यागी महाराज की 31वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य मे आश्रम पर 6 से 14 मई तक एकादश कुंडीय रुद्र महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा.
इस दौरान प्रतिदिन रामकथा एवं संत सम्मेलन का भी आयोजन किया जाएगा. महंत त्यागी ने बताया कि धार्मिक आयोजन को भव्य एवं यादगार बनाने को लेकर क्षेत्र के विभिन्न गांवों के ग्रामीणों की बनाई गई कमेटियां तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगी हैं. एकादश रुद्र महायज्ञ के लिए चार मंजिला यज्ञ मंडप तैयार किया गया है. वहीं आयोजन स्थल नारायणधाम आश्रम की साज सज्जा की गई है. आयोजन के तहत 6 मई को भव्य कलशयात्रा निकाली जाएगी .
कलशयात्रा गाजेबाजे एवं हाथी घोड़ों के साथ फूलियाकलां से रवाना होकर आयोजन स्थल धानेश्वर पहुंचेगी तथा प्रायश्चित संकल्प , दशविधि स्नान , पंचांग , पूजन , मंडप प्रवेश , देवस्थापन के साथ आचार्य विप्र पूजन होगा . कार्यक्रम के तहत 7 मई को नित्यार्चन , देवपूजन , मंडप पूजन , कुंड पूजन , अग्नि स्थापना के साथ रुद्र महायज्ञ प्रारंभ होगा . कमेटी के आशाराम वैष्णव कादेड़ा ने बताया कि 6 से 14 मई तक प्रतिदिन दोपहर सवा 2 से सवा 6 बजे तक नव दिवसीय रामकथा होगी .
कथा का वाचन रामकृष्ण आश्रम हिमाचल प्रदेश के अविचलदास महाराज करेंगे. महंत शंकरदास त्यागी महाराज ने बताया कि रुद्र महायज्ञ की पूर्णाहुति 14 मई को दोपहर सवा 12 बजे महाआरती के साथ होगी. रुद्र महायज्ञ , रामकथा एवं संत सम्मेलन के दौरान दूर दराज से आए संत महात्माओं सहित हजारों की संख्या मे भक्तों की मौजूदगी रहेगी .
रुद्र महायज्ञ कमेटी के महावीर हेडा़ एवं सांवरलाल गोदारा ने बताया कि धानेश्वर मे आयोजित होने वाले धार्मिक कार्यक्रम भव्य एवं यादगार बनाने को लेकर विभिन्न गांवों के ग्रामीणों की अलग अलग कमेटियों के माध्यम से तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. क्षेत्र उपक्षेत्र के ग्रामीण भी आयोजन को लेकर उत्साहित होकर धार्मिक आयोजन को सफल बनाने मे दिन रात जुटे हुए है .
गौरतलब है कि इस स्थान पर खारी नदी , मानसी नदी ओर एक नाले का संगम होने तथा प्रयाप्त हरियाली से आच्छादित इस स्थान को तपस्या के लिए को उचित समझकर दशकों पहले महंत नारायणदास त्यागी महाराज ने धूणी रमाकर घोर तपस्या की थी. कहते हैं कि संत नारायणदास त्यागी महाराज द्वारा दी गई धूणी की भभूत से लोगों की व्याधियां दूर हो जाती थी .
समय के साथ साथ ग्रामीणों की आस्था संत के प्रति बढ़ती गई . महंत त्यागी की सदप्रेरणा से ही धानेश्वर मे आज विभिन्न समाजों के लगभग 25 से अधिक मंदिर एवं शिखर विधमान होकर अलग अलग देवी देवता बिराजमान है . इकतालीस वर्षों की तपस्या के बाद संत त्यागी का संवत 2049 मे देवलोक हो गया था. संत की याद मे ग्रामीणों ने नारायणधाम आश्रम का निर्माण करवाया.
यही नहीं तीर्थ स्थल धानेश्वर मे विभिन्न समाजों के कई सामुहिक विवाह सम्मेलनों सहित सामाजिक कार्यक्रम आयोजित होते रहते है . वहीं बारिश के मौसम मे दूर दराज के पर्यटक त्रिवेणी संगम एनीकट पर बहते नदियों के पानी मे नहाने का लुफ्त उठाते है . त्रिवेणी संगम तथा मंदिरों की अधिकता के चलते धानेश्वर छोटे पुष्कर के नाम से प्रसिद्धि प्राप्त है .
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