शानदार होगी Sardarshahar के किसानों की दिवाली, मूंगफली की भारी पैदावार से छाई खुशी
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शानदार होगी Sardarshahar के किसानों की दिवाली, मूंगफली की भारी पैदावार से छाई खुशी

व्यापार एवं उद्योग संघ के अध्यक्ष शिवरतन सर्राफ ने बताया कि मंडी में इस वक्त 4-5 हजार बोरी मूंगफली की आवक बनी हुई है. नहरी मूंगफली में तेलिय मात्र अधिक होने और गोटा बड़ा होने के कारण विभिन्न प्रांतों में मांग बढ़ रही है.

नहरी मूंगफली सफेद और गोटा बड़ा होने तथा अपनी मिठास के कारण राजस्थानी काजू के नाम से विख्यात हैं.

Churu: कोरोना काल के बाद जहां किसान एक ओर निराश था, वहीं, सरदारशहर (Sardarshahar) के अंदर किसानों ने जी-तोड़ मेहनत कर धोरों की धरती में इस बार बड़े पैमाने में मूंगफली (Peanut) की खेती की और अब उन्हें उसका असर भी नजर आने लगा है. 

सरदारशहर की कृषि मंडी में जिस और भी देखो बड़े-बड़े ढेर मूंगफली के लगे हुए हैं. किसानों की जी तोड़ मेहनत के दम पर इस दफा सरदारशहर में बड़ी तादाद में मूंगफली की पैदावार हुई है. 

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विशेष बात यह है कि सरदारशहर की मूंगफली न सिर्फ राजस्थान में बल्कि देश के कई हिस्सों में सप्लाई की जाती है. साथ ही विदेशों में भी यहां की मूंगफली की मांग है. अच्छी मूंगफली की पैदावार होने के चलते स्थानीय मजदूरों को भी रोजगार मिला है. यहां की लहरी मूंगफली को राजस्थानी काजू नाम से भी जाना जाता है.

प्रतिदिन 4-5 हजार मूंगफली की बोरी की आवक
कृषि उपज मंडी में धीरे-धीरे मूंगफली की आवक बढ़ रही है. जिसके कारण मंडी में मूंगफली के ढेर लगे हुए हैं. प्रतिदिन 4-5 हजार मूंगफली की बोरी की आवक होने से मंडी के व्यापारियों और पलदारों में उत्साह नजर आ रहा है. वही नहरी मूंगफली की मांग अधिक होने के साथ भाव भी तेज मिल रहे है. वहीं, ट्यूबवैल की मंगफली के भाव कम मिल रहे है. नहरी मूंगफली के भाव पांच हजार से 5400 रुपये मिल रहे हैं. वहीं, ट्यूबवैल की मंगफली के बार चार हजार से पांच हजार तक मिल रहे हैं. 

विदेशों में भी जाती है मूंगफली
नहरी मूंगफली सफेद और गोटा बड़ा होने तथा अपनी मिठास के कारण राजस्थानी काजू के नाम से विख्यात हैं. सरदारशहर से परिवहन व्यवस्था अच्छी होने के कारण पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और जम्मू कश्मीर के व्यापारी जमकर मूंगफली की खरीददारी कर रहे हैं. यहां की मूंगफली विदेशों में भी जाती है. 

क्या कहना है व्यापार एवं उद्योग संघ के अध्यक्ष का
व्यापार एवं उद्योग संघ के अध्यक्ष शिवरतन सर्राफ ने बताया कि मंडी में इस वक्त 4-5 हजार बोरी मूंगफली की आवक बनी हुई है. नहरी मूंगफली में तेलिय मात्र अधिक होने और गोटा बड़ा होने के कारण विभिन्न प्रांतों में मांग बढ़ रही है. वहीं, मूंगफली के दाने में मीठास के कारण ऊंचे भाव मिलते है. उन्होंने ने बताया कि किसान को माल बिकने के साथ ही तुरंत भुगतान के कारण किसानों का रूझान मंडी की तरफ रहता है.

खरीद केंद्र शुरू नहीं होने से किसानों को हो रही है परेशानी
सरकार की ओर से समर्थन मूल्य पर मूंगफली की तुलाई शुरू नहीं होने से किसानों को उसकी उपज का कम भाव मिल रहा है. खरीद केन्द्र शुरू नहीं होने के कारण किसानों को मूंगफली औने-पौने दामों में बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है. किसानों को रबी की बुवाई के लिए खाद बीज खरीने के लिए मूंगफली को कम दामों में बेचना पड़ रहा है. सरकार की ओर से मूंगफली का समर्थन मूल्य 5550 रुपये तय कर रखे हैं. वही मंडी में किसानों को 4000 से लेकर 5000 रुपये मिल रहे हैं, जिसके कारण किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.  

राजस्थानी काजू के नाम से जानी जाती है यहां की मूंगफली
सरदारशहर क्षेत्र में होने वाली नहरी मूंगफली को राजस्थानी काजू नाम से जाना जाता है क्योंकि मूंगफली के गोटे की मिठास पूरे देश भर में प्रसिद्ध है. मूंगफली का उपयोग तेल निकालने के साथ-साथ कई खाद्य पदार्थों में भी किया जाता है. इसके अलावा मूंगफली की सिकाई कर इसको खाने में इसका स्वाद लाजवाब होता है. सरदारशहर की मूंगफली राजस्थान के हर रेलवे स्टेशन बस स्टैंड और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर सिंकाई कर बेची जाती है और लोग इसे बड़े चाव के साथ खरीद कर इसके स्वाद का लुफ्त उठाते हुए नजर आते हैं.

महीनों बाद मंडी में लौट रही है रौनक
कृषि उपज मंडी समिति में कई महीनों बाद खरीफ फसलों की आवक शुरू होने पर रौनक लौट रही है. कोरोना के चलते मंडी का कारोबार ठप हो गया था. वहीं, प्रवासी मजदूर अपने प्रदेशों की ओर पलायन करने पर मंडी में सन्नटा पसर गया था, जिसके कारण मंडी के व्यापारी हाथ पर हाथ धरे बैठे थे. अब नई फसलों की आवक शुरू होने पर व्यापारियों को कारोबार शुरू हुआ है. व्यापारी फसलों की बोली लगाकर खरीद रहे हैं.  फसलों का सीजन शुरू होने से मंडी के व्यापारियों, आढ़तियों, श्रमिकों और कर्मचारियों में खुशी का माहौल बनने लगा है. विशेष रूप से यहां के पेलदारो, मजदूरों में विशेष उत्साह नजर आ रहा है. यहां पर एक हजार के करीब मजदूर काम कर रहे हैं, जिन्हें प्रतिदिन रोजगार मिल रहा है यहां विशेष रूप से स्थानीय मजदूरों के साथ-साथ बिहार सहित अन्य प्रदेशों के भी मजदूर काम करते हैं.

किसानों और व्यापारियों के सामने रहती हैं ये समस्याएं
सरदारशहर की कृषि उपज मंडी में इस समय हर रोज अरबों रुपये का व्यापार होता है लेकिन न तो यहां पर सरकार की ओर से बैंक की व्यवस्था की गई है और न ही कोई पुलिस चौकी की व्यवस्था यहां पर है. पुलिस प्रशासन की तरफ से पुलिस की भी ड्यूटी यहां पर नहीं लगाई गई है, जिसके चलते व्यापारियों और किसानों में हर समय लूट का भय बना रहता है क्योंकि कई बार यहां पर लाखों रुपये की लूट को अंजाम दिया जा चुका है. 

क्या कहना है व्यापारियों का
व्यापारियों ने बताया कि मंडी में सफाई की व्यवस्था तो मंडी प्रशासन ने कर रखी है. यदि नगरपालिका प्रशासन कचरे को उठाने की व्यवस्था करदे तो कचरे से निजात मिल जाए. मंडी में अभी तक किसानों के लिए ठहरने व भोजन की व्यवस्था नहीं है. जिसके कारण किसानों को दूर जाकर ऊंचे दाम खर्च करने पड़ रहे है. 
मंडी व्यापार संघ के मंत्री सुखवीर पारीक का कहना है कि महीनों बाद मंडी में रौनक लौट रही है. नई फसलें आनी शुरू होने से कारोबार शुरू हुआ है. कोरोना के दौरान सभी प्रवासी मजदूर अपने प्रदेश चले गए थे. अब वापिस लौटने शुरू हो गए हैं. अब धीरे-धीरे कारोबार रफ्तार पकड़ेगा.

राजफेड ऑनलाइन पंजीकरण के लिए किसानो को सामान्य निर्देश

  • किसानों को अपनी उपज को एमएसपी पर बेचने के लिए अपने आधार कार्ड में अपना मोबाइल नंबर अपडेट रखे,
  • जन आधार कार्ड में अपना बैंक खता और मोबाइल नंबर अपडेट रखने, पटवारी से समय पर अपनी गिरदावरी ले और ऑनलाइन पंजीकरण करवाएं.
  • ऑनलाइन पंजीकरण के समय अपना आधार कार्ड, मोबाइल, बैंक खाता, जन आधार कार्ड और गिरदावरी अपने पास रखें.

इन बातों का भी रखें ध्यान
ऑनलाइन पंजीकरण में की गई सभी प्रकार की प्रविष्टि ध्यानपूर्वक जांच ले. एक बार पंजीकरण हो जाने के बाद अध्यतन संभव नहीं होगी. जिस किसान के नाम से गिरदावरी है, उसी के नाम से ही पंजीकरण मान्य होगा. यदि किसी व्यक्ति ने भूमि लीज पर ले रखी है या हिस्से पर ले रखी है तो दोनों में से एक ही किसान पंजीकरण करवा सकते हैं. कास्तकार की ओर से पंजीकरण करवाने पर भूमि मालिक का जन आधार कार्ड नंबर लगाना अनिवार्य है और भूमि मालिक और कास्तकार के बीच अनुबंध पत्र 100 रूपए के स्टाम्प पेपर पर होना चाहिए. ऑनलाइन पंजीकरण में अपलोड की गई गिरदावरी और मूल गिरदावरी में मिलान होने के बाद ही तुलाई हो सकेगी. ऑनलाइन अपलोड गिरदावरी में संशोधन मान्य नहीं है. जिस फसल के लिए ऑनलाइन पंजीकरण किया गया है. वहीं, फसल तुलाई होगी अन्य नहीं.

 

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