Karni Mata Temple : राजस्थान का चूहों का मंदिर, जहां एक चीज को दिखते ही मनोकामना हो जाती है पूरी
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1803971

Karni Mata Temple : राजस्थान का चूहों का मंदिर, जहां एक चीज को दिखते ही मनोकामना हो जाती है पूरी

Karni Mata Temple : राजस्थान (Rajasthan) का करणी माता मंदिर एक सिद्ध मंदिर माना जाता है. जहां दुनिया भर से लोग माता करणी के दर्शन के लिए आए हैं. चूहों के मंदिर के नाम से विख्यात ये मंदिर बीकानेर से 30 किमी दूर देशनोक में है. मंदिर के प्रांगण में सैंकड़ों चूहों का डेरा है. 

Karni Mata Temple : राजस्थान का चूहों का मंदिर, जहां एक चीज को दिखते ही मनोकामना हो जाती है पूरी

Karni Mata Temple : राजस्थान (Rajasthan) का करणी माता मंदिर एक सिद्ध मंदिर माना जाता है. जहां दुनिया भर से लोग माता करणी के दर्शन के लिए आए हैं. चूहों के मंदिर के नाम से विख्यात ये मंदिर बीकानेर से 30 किमी दूर देशनोक में है. मंदिर के प्रांगण में सैंकड़ों चूहों का डेरा है. 

मान्यता है यहां आने वाले हर भक्त की कामना मां करणी पूरा करती हैं. यहां आने वाले भक्तों को पैरों को घसीटकर चलने की हिदायत दी जाती है. क्योंकि अगर कोई चूहा आपके पैर के नीचे आ गया तो ये अशुभ माना जाएगा. बीकानेर राजघराने की कुलदेवी करणी माता के आशीर्वाद से ही बीकानेर और जोधपुर राजघरानों की स्थापना हुई ऐसा माना जाता है.

मंदिर में मौजूद चूहे माता की संतान माने जाते हैं, जिन्हे काबा कहा जाता है. जिससे जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार करणी माता के पुत्र लक्ष्मण की कपिल सरोवर में पैर फिसलने से मृत्यु हो गयी थी. जब यमदेव से माता करणी ने उसे जीवित करने को कहा तो यमराज नियमों की दुहाई दी. और एक चूहे के रूप में पुत्र लक्ष्मण को जीवनदान दिया. तब से ही ये चूहे माता के दरबार में घूम रहे हैं.

खास बात ये कि अगर किसी को सफेद रंग का कोई चूहा दिख जाएं तो ये माना जाता है कि उसकी मनोकामना माता जरूर पूरी करेंगी. आरती के समय इन चूहों को भोग लगाया जाता है जिसके बाद ये प्रसाद मंदिर में भक्तों को वितरित किया जाता है. चूहे का झूठा भोजन आमतौर पर खाने लायक नहीं माना जाता है, लेकिन मान्यता है यहां से प्रसाद लेने वाले भक्त चूहे से होने वाली बीमारियों से दूर रहते हैं. यहीं नहीं मंदिर में हजारों चूहें होने के बाद भी कभी बदबू नहीं आती है.

करणी माता की स्थानीय लोग कहानी सुनाते हैं- करणी माता साक्षात मां जगदम्बा का अवतार है. जिनका जन्म 1387 को जोधपुर के सुआप में मेहाजी किनिया के घर हुआ था. जिन्हे रिधुबाई नाम दिया गया. पिता ने साथिया गांव के किपोजी चारण से उनका विवाह किया. लेकिन जीवन के कई उतार चढ़ाव के बाद उन्होनें सांसारिक जीवन को त्याग दिया.

स्थानीय बताते हैं कि फिर माता करणी जंगल में एक गुफा में ईश्वर भक्ति में लीन हो गयी. 15वी शताब्दी में 151 साल की आयु में देवी करणी अचानक गायब हो गयी. उनकी इच्छानुसार उसी गुफा में उनकी मूर्ति को स्थापनित किया गया.  माता करणी देवी मंदिर का निर्माण 20वीं शताब्दी में बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने करवाया था.

साल  1999 में हैदराबाद के कुंदन लाल वर्मा ने इस मंदिर का विस्तार करवाया गया था.  मंदिर की वास्तुकला मंदिर के इतिहास और चमत्कारों से भरी हुई है. पूरा मंदिर ही बलुआ पत्थर से बना है. जिसका मुख्य गेट.संगमरमर की नक़्क़ाशियों से सजाया गया है.

मंदिर के गर्भगृह में माता की प्रतिमा स्थापित है जिसमें उन्होंने हाथों में त्रिशूल पकड़ा हुआ है. साथ ही सोने का छत्र, चांदी का किवाड़ और चांदी की एक बड़ी परात जिसमें चूहों को भोग लगाया जाता है. ये सब सैलानियों और भक्तों को आकर्षित करते हैं. मंदिर सुबह 5 बजे खुलता है और रात 10 बजे तक खुला रहता है.

Trending news