केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी 'पीएम कुसुम योजना' का कमाल, धोरों की धरती में अब पैदा होगी बिजली
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केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी 'पीएम कुसुम योजना' का कमाल, धोरों की धरती में अब पैदा होगी बिजली

भारत इस समय विद्युत संकट से जूझ रहा है. कोयले की कमी के चलते देश में विद्युत संकट लगातार गहराता जा रहा है, जिसके चलते नए-नए विद्युत उत्पादन के विकल्प तलाशे जा रहे हैं.

केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी 'पीएम कुसुम योजना' का कमाल, धोरों की धरती में अब पैदा होगी बिजली

Sardarshahar: भारत इस समय विद्युत संकट से जूझ रहा है. कोयले की कमी के चलते देश में विद्युत संकट लगातार गहराता जा रहा है, जिसके चलते नए-नए विद्युत उत्पादन के विकल्प तलाशे जा रहे हैं.

इसी बीच अच्छी खबर यह है कि अब धोरों की धरती के अन्नदाता अन्न के साथ-साथ बिजली भी पैदा करेंगे और यह सब संभव हो पाया है केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना "प्रधानमंत्री कुसुम योजना" के तहत. देश के इस वक्त कई राज्य भारी बिजली संकट का सामना कर रहे हैं. लोग हलकान-परेशान तो हो ही रहे हैं साथ ही, किसानों को भी इस वजह से बेहद नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसान अपनी फसलों की सिंचाई तक समय से नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में वैकल्पिक तरीका अपनाने के कारण खेती में किसानों की लागत बढ़ती जा रही है.

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इसी को ध्यान में रखते हुए तहसील के राजासर पंवरान के किसान गिरधारीलाल पारीक ने अपने खेत में कुसुम योजना के तहत 2 मेगावाट का सॉलर प्लांट का अपने 16 बीघा के खते में लगाया है. इस सोलर प्लांट को लगाने में करीब 7 करोड़ लागत आई है. इस प्लांट में 6000 के आसपास सोलर पलेटे लगवाई है, जिससे गर्मियों के दिनों में 14000 यूनिट प्रतिदिन और सर्दियों के दिनों में 10000 यूनिट प्रतिदिन के आसपास विद्युत उत्पादन होगा. एवरेज निकाले तो 12000 यूनिट प्रतिदिन के आसपास 2 मेगा वाट के इस प्लांट से विद्युत उत्पादन होगा. यह बिजली आसपास के क्षेत्र को दी जाएगी, जिससे आसपास के क्षेत्र रोशन हो सकेंगे. यह प्लांट लगने से आसपास के गांव, ढाणी के ग्रामीण बेहद उत्साहित नजर आ रहे हैं क्योंकि उनकी वर्षों पुरानी विद्युत समस्या बिजली कटौती की समस्या का समाधान होता हुआ नजर आ रहा है.

राजस्थान में सौर ऊर्जा की अपार संभावना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है किसान अब अन्नदाता से ऊर्जादाता आता बने किसान जैसे अपने खेत में अन्न पैदा करता है उसी प्रकार अपने खेत में किसान ऊर्जा का प्रोजेक्ट लगाकर ऊर्जा पैदा करें. राजस्थान कुसुम योजना के तहत 623 किसानों का चयन हुआ लेकिन 23 या 24 किसान ही यह प्रोजेक्ट लगा पाए हैं अभी बहुत काम बाकी है.

राजस्थान में सौर ऊर्जा की अपार संभावनाएं होने के बाद भी कुसुम कंपोनेंट घटक-ए योजना गति नहीं पकड़ पा रही है. अब राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम ने कुसुम कंपोनेंट घटक-ए के तहत सौर ऊर्जा परियोजनाएं लगाने वाले किसानों को राहत देने की आवश्यकता हैं. सरदारशहर तहसील के गांव राजासार पंवरान के किसान गिरधारीलाल पारीक ने बताया कि 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के लिए कुसुम योजना शुरू की थी इस योजना से हम जुड़े, हमने फॉर्म भरा फिर हमारा एलओ लेटर जारी हुआ, अधिकारियों ने हमें प्रोसाहित किया तो हमने यह प्रोजेक्ट लगाया. बहुत बड़ी योजना किसानों के लिए है. सरकार यदि इस योजना में किसानों की सहायता करती है तो बहुत अच्छा हो जाए. यदि ब्याज में कमी हो जाए और लोन आसानी से मिल जाए तो किसान इस योजना का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठा सकते हैं और देश- प्रदेश का बिजली संकट समाप्त कर सकते हैं.

किसान सुखबीर पारीक ने बताया की ज्यादा परेशानी लोन पास करने में आती है. लोन में 70 प्रतिशत कर रहे हैं यदि 90 प्रतिशत कर दे तो प्रत्येक किसान के खेत में यह प्रोजेक्ट लग सकता है. लोन कराने के लिए बैंक में गये तो उन्होंने लोन के लिए 50 प्रतिशत की गारंटी मांगी. उसकी प्रॉब्लम हुई क्युकी हर किसान यह नही कर सकता. हर किसी के बस की बात यह नहीं है. गिरधारी पारीक ने बताया की 16 बीघा भूमि में 6000 के आसपास पलेटे लगाई हैं . करीब साल भर हमे इस प्रोजक्ट को पूरा करने में लगा हैं.

प्रोजेक्ट ऑफिसर रजनीकांत गौतम ने बताया कि यह योजना भारत सरकार की है . ईसमें 1 से 5 मेगावाट का सोलर प्लांट लगाने के लिए किसानों के लिए यह योजना बनाई गई. इसमें किसान अपने खेत पर जो बंजर भूमि है या कम उपजाऊ है उस में 1 से 5 मेगावाट का प्लांट लगा सकता है. इससे जो बिजली उत्पन्न होगी वह आस पास के गावों में जो 33 केवी सबस्टेशन है उसमें इस बिजली की सप्लाई जाएगी . इससे उसकी ग्रामीण इलाकों में बिजली दी जाएगी साथ ही इन इलाकों में वोल्टेज भी काफी अच्छा हो जायेगा. इस 2 मेगावाट के प्लांट को लगाने में सात करोड पचास लाख रुपयों का खर्चा आता हैं. इन प्लांटो से उत्पादन होने वाली बिजली सरकार 3 रुपए 14 पैसे पर यूनिट के हिसाब से खरीदती हैं.

25 वर्षों तक स्थायी आमदनी का खुलेगा स्रोत
इस समय में किसानों के लिए पीएम कुसुम योजना काफी फायदेमंद हो सकती है. यह योजना विशेष रूप से किसानों के लिए ही लाई गई है. किसानों की आय बढ़े इसी के तहत इस योजना की शुरूआत की गई . इस योजना के तहत केंद्र सरकार किसानों को सोलर पंपो पर सब्सिडी प्रदान करती है. इस योजना का लाभ उठाने से कृषि भूमि मालिकों के लिए 25 वर्षों तक के लिए एक स्थायी और लगातार आमदनी का स्रोत खुल जाएगा. यह प्लांट किसान अपने कम उपजाऊ भूमि या फिर बंजर भूमि पर लगा सकते हैं और अच्छी खासी इनकम कर सके है.

सोलर पंप का उपयोग कर किसान अपने खेतों की सिंचाई कर ही सकते हैं. इसके अलावा अपने अनउपजाऊ जमीन पर सोलर संयंत्र लगा कर हर महीने एक निश्चित आय भी कमा सकते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, एक मेगावट सौर उर्जा सयंत्र की स्थापना के लिए लगभग 4 से 5 एकड़ भूमि की जरूरत होती हैं. इससे एक साल में तकरीबन 15 लाख बिजली यूनिट का उत्पादन किया जा सकता है. बिजली विभाग द्वारा इसे लगभभ 3 रुपये 14 पैसे के टैरिफ पर खरीदा जाता है. ऐसे में किसान सोलर पंप संयंत्र से आसानी से सालाना 45 लाख तक की आय हासिल कर सकता है.

योजना से जुड़ने वाले किसानों को मिलता है लोन
पंजाब नेशनल बैंक के ब्रांच मैनेजर विनोद कुमार मीणा ने बताया कि सरदारशहर तहसील का यह पंजाब नेसनल बैंक द्वारा फाइनेंस पहला प्रोजेक्ट है. केंद्र सरकार की यह योजना है पीएम कुसुम योजना इसमें बैंक में जाकर आवेदन करना है इसमें किसानों को जो आज का सर्कुलर उसके हिसाब से अपना जो मार्जन है वह 30 प्रतिशत लेना होता है और को लेटल है वो 30 प्रतिशत है अभी जो बैंक का और गारमेंट का टाइप हुआ उस सायद कॉ लेटर को फ्री कर दिया है. यह पहला फाइनेंस था इसलिए किसानों में बहुत ही उत्साह का माहौल है सरदारशहर क्षेत्र से ज्यादा किसान इस योजना से जुड़े और जिन किसानों का पीपी हो चुका है वो किसान सरकार की कुसुम योजना का लाभ लें.

सरकार का रहे सहयोग तो इस क्षेत्र में है अपार संभावनाएं
किसान सुखवीर पारीक ने कहा कि यह प्लांट लगाने में हमने काफी महनत की हैं. सबसे बड़ी चुनौती किसानों को इस प्लांट में लगाने की होती है. यह केंद्र सरकार की योजना थी जिससे नाम तो दे दिया किसानों के लिए सोलर प्लांट की व्यवस्था है बिजली बनाओ और बेचो, लेकिन सरकार ने यह नहीं सोचा की किसान 7 से 8 करोड़ रुपए कहां से लायेगा. बैंको के पास जाते हैं तो बैंक बोलते है हमारे पास इसी कोई गाइड लाइन नहीं. इस योजना में केंद्र सरकार और राज्य सरकार का मिलाप होना बहुत जरूरी है, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि यहां ऐसा नहीं है. जिसके चलते यह योजना राजस्थान में अभी तक परवान पर नहीं चढ़ पाई है. उन्होंने बताया कि बैंक इस सोलर प्लांट पर लोन नहीं देते हैं क्योंकि सरकार द्वारा ऐसी कोई गाइडलाइन नहीं जारी की गई है जिसके चलते उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन पर लोन लेकर यह सोलर प्लांट लगवाया है. साथी इस प्रधानमंत्री कुसुम योजना में सोलर प्लांट के लिए प्लेट खरीदने पर 12% जीएसटी भी देना पड़ता है ऐसे में सरकार को किसानों को राहत देने के लिए टैक्स मुक्त करना चाहिए.

सरदारशहर में किसान का है यह पहला सॉलर प्लांट
वैसे तो सरदारशहर तहसील में इससे पहले दो सोलर प्लांट लगाए जा चुके हैं लेकिन उन सोलर प्लांटो को गुड़गांव की बड़ी कंपनियों द्वारा लगाया गया है यह प्लांट किसान का पहला प्लांट है धोरों की धरती पर किसान गिरधारीलाल पारीक ने प्रधानमंत्री कुसुम योजना को साकार कर दिखाया और अब यह प्लांट पूरी तरह सुचार हो चुका है और प्रतिदिन भीषण गर्मी के मौसम में 14000 यूनिट प्रतिदिन बिजली पैदा कर रहा है.
 
ऐसे में यदि किसानों को कम ब्याज और आसानी से लोन मिल जाए तो यह योजना किसानों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती है. जिस प्रकार से अरब देशों में तेल के कुएं हैं उसी प्रकार से राजस्थान में भी यह बिजली के कुएं हैं यदि केंद्र की और प्रदेश की सरकारें किसानों को थोड़ी राहत दे तो निश्चित रूप से प्रदेश के किसान पूरे देश के विद्युत संकट को समाप्त कर सकते हैं.

Reporter- Gopal Kanwar

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