Dholpur: चंबल के जलस्तर ने तोड़ा 26 साल का रिकॉर्ड, बाढ़ की चपेट में आए 120 गांव, लोगों ने लिया छतों का सहारा
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Dholpur: चंबल के जलस्तर ने तोड़ा 26 साल का रिकॉर्ड, बाढ़ की चपेट में आए 120 गांव, लोगों ने लिया छतों का सहारा

धौलपुर, मध्यप्रदेश और हाडौती क्षेत्र में गिरी आसमानी आफत ने धौलपुर जिले को पानी-पानी कर दिया है. गुरुवार सुबह चंबल नदी का जलस्तर खतरे के निशान 129.79 मीटर से ऊपर 146 मीटर पहुंचते ही 26 साल का रिकॉर्ड टूट गया है.

चंबल के जलस्तर ने तोड़ा 26 साल का रिकॉर्ड

Dholpur: धौलपुर, मध्यप्रदेश और हाडौती क्षेत्र में गिरी आसमानी आफत ने धौलपुर जिले को पानी-पानी कर दिया है. गुरुवार सुबह चंबल नदी का जलस्तर खतरे के निशान 129.79 मीटर से ऊपर 146 मीटर पहुंचते ही 26 साल का रिकॉर्ड टूट गया है. चंबल नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 16 मीटर ऊपर अधिक पहुंच गया है. जिले के 100 किलोमीटर क्षेत्र में फैली चंबल नदी के किनारे बसे 120 गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं. 

जिला प्रशासन ने सेना और एसडीआरएफ के सहयोग से राहत और बचाव काम शुरू कर दिए हैं. करीब 80 गांव की विद्युत आपूर्ति काट दी गई है. बाढ़ आपदा में फंसे लोगों को प्रशासन द्वारा सुरक्षित तरीके से रेस्क्यू किया जा रहा है. बाढ़ से सैकड़ों बीघा खरीफ की फसल भी पानी की चपेट में आकर बर्बाद हो चुकी है. जिला कलेक्टर अनिल कुमार अग्रवाल ने बताया कि मध्यपदेश और हाड़ौती क्षेत्र में हो रही बारिश के बाद गांधी सागर के कैचमेंट एरिया में पानी की अधिक आवक हो रही है. 

इस वजह से कोटा बैराज से लगभग 22 लाख क्यूसेक पानी चम्बल में रिलीज किया गया है. इसके साथ ही कालीसिंध, पार्वती, परवन नदी समेत जंगल का पानी भी चंबल नदी में प्रवेश कर रहा है, जिसके कारण चंबल नदी रौद्र रूप ले चुकी है. जिले के 100 किलोमीटर क्षेत्र में फैली चंबल नदी की बाढ़ की चपेट में 120 गांव आ चुके हैं. सेना और एसडीआरएफ द्वारा राहत बचाव के काम किए जा रहे हैं. 

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बाढ़ आपदा में फंसे लोगों को स्टीमर द्वारा सुरक्षित रेस्क्यू कर अस्थाई आवास बनाकर ठहराया गया. खाद्य सामग्री और मेडिकल की व्यवस्था मौके पर उपलब्ध कराई जा रही है. गांव के ग्रामीणों के मवेशी को भी सुरक्षित तरीके से निकाला जा रहा है. धौलपुर, राजाखेड़ा, बाड़ी और सरमथुरा उपखंड क्षेत्र में सबसे अधिक बाढ़ की तबाही देखी जा सकती है.

26 वर्ष का रिकॉर्ड टूटा
चंबल नदी के उफान ने इस वर्ष 26 साल पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. वर्ष 1996 में चंबल नदी का जलस्तर सर्वाधिक 145.54 मीटर तक पहुंचा था. तत्कालीन समय पर चंबल में धौलपुर जिले में भारी तबाही मचाई थी. गुरुवार सुबह 26 साल पुराने रिकॉर्ड को तोड़ते हुए चंबल नदी 146 मीटर तक पहुंच चुकी है अर्थात खतरे के निशान को पार कर चंबल का जलस्तर 16 मीटर पहुंच चुका है.
 
जवानों ने संभाली कमान
बाढ़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने पूर्व में सेना की एक टुकड़ी को बुला लिया, जो राजाखेड़ा क्षेत्र में तैनात की गई और लोगों को घरों से रेस्क्यू के साथ उनको जरूरत का सामान पंहुचा रही है.
 
चंबल लिफ्ट परियोजना का पंप हाउस डूबने के कगार पर
चंबल नदी में लगा हुआ भरतपुर-धौलपुर चंबल लिफ्ट परियोजना का पंप हाउस भी डूबने के कगार पर पहुंच चुका है. अगर इसी प्रकार चंबल में पानी की आवक रही तो देर शाम तक पंप हाउस के डूबने की पूरी संभावना बताई जा रही है. पंप हाउस के डूबने से सरकार को भारी नुकसान हो सकता है. इसके साथ ही धौलपुर, भरतपुर और अलवर की पेयजल व्यवस्था में पूरी तरह से प्रभावित हो जाएगी.
 
एसडीआरएफ की टीम भी तैनात
चंबल नदी में पानी आने की वजह से जो 80 गांवों में बाढ़ के हालत बन गए, जिसको लेकर एसडीआरएफ की कई टीमें गांवों में बचाव कार्य में लगी हुई है. धौलपुर सरमथुरा बाडी राजाखेड में एसडीआरएफ की टीमें रेस्क्यू में लगी हुई है.
 
सैकड़ों बीघा खरीफ फसल बर्बाद
चंबल नदी में आई बाढ़ से सैकड़ों बीघा बाजरा, दलहन, तिलहन, ग्वार और ज्वार की फसल बर्बाद हो चुकी है. विगत 3 साल से चंबल के किनारे बसे गांव के ग्रामीणों की फसल बाढ़ आपदा की चपेट में आती रही है लेकिन वर्ष 2022 की बढ़ने खरीफ फसल को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया है. खेत पूरी तरह से जलमग्न हो चुके है. खेतों में 5 से 10 फीट पानी होने पर खरीफ की फसल पूरी तरह से डूब चुकी है. फसल खराबे का सबसे अधिक असर चंबल नदी के आस-पास के खेतों में पड़ा है.
 
धौलपुर पुलिस लगी मानव सेवा में
जिले में चंबल में आई बाढ़ से प्रभावित सरमथुरा, कोतवाली, दिहौली और राजाखेड़ा इलाके के नदी किनारे बसे गांवों में आमजन की सहायता में जिला पुलिस अधीक्षक धर्मेन्द्र सिंह के नेतृत्व में पुलिस पूरी मुस्तैदी से जुटी हुई है. जिला पुलिस, प्रशासन, आपदा टीम, सेना के साथ मिलकर इस विपदा की घड़ी में प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता उपलब्ध करा रही है.
 
Reporter: Bhanu Sharma
 
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