राजस्थान के सबसे घने जंगल में बनेगा टाइगर रिजर्व, वन विभाग ने शुरू की कवायद
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राजस्थान के सबसे घने जंगल में बनेगा टाइगर रिजर्व, वन विभाग ने शुरू की कवायद

धौलपुर के चंबल अभयारण सरमथुरा और करौली को जोड़कर प्रदेश में जल्द ही नया टाइगर रिजर्व बनाया जाएगा. इसके लिए वन विभाग ने कवायद शुरू कर दी है. 

टाइगर रिजर्व

Baseri: धौलपुर के चंबल अभयारण सरमथुरा और करौली को जोड़कर प्रदेश में जल्द ही नया टाइगर रिजर्व बनाया जाएगा. इसके लिए वन विभाग ने कवायद शुरू कर दी है. इस टाइगर रिजर्व के बनने के बाद सवाई माधोपुर के रणथंभौर अभयारण्य में बाघों की संख्या लगभग 80 तक पहुंच गई है. 

बाघों में आए दिन होने वाली वर्चस्व की लड़ाई में कई बाघ जान भी गंवा चुके हैं लेकिन अब इसमें कमी आने की संभावनाओं को लेकर एक किरण सी नजर आई है क्योंकि उनके मूवमेंट के लिए रामगढ़ विषधारी तो रिजर्व हो ही गया, इसके साथ ही अब धौलपुर-सरमथुरा करौली को भी टाइगर रिजर्व एरिया करने को लेकर कवायद शुरू हो गई है.

धौलपुर डीएफओ किशोर गुप्ता ने बताया कि सवाई माधोपुर की तर्ज पर अभी रामगढ़ विषधारी सेंचुरी डेवलप हुई है उसी तर्ज पर धौलपुर करौली और नेशनल चंबल अभ्यारण इसको मिलाकर एक प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है जो शीघ्र ही मंजूर होकर आएगा. 

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उस पर शीघ्र ही टाइगरों के विचरण देखने को मिलेंगे और धौलपुर करौली और चंबल अभ्यारण है. इसमें पर्यटक पर्यटकों की संख्या में काफी इजाफा होगा, यहां का विकास मूल रूप से जंगलों पर्यटन भारी संख्या में आएंगे और इससे धौलपुर का नाम भी काफी ऊंचाई पर होगा और धौलपुर टाइगर के लिए भी जाना जाएगा.

धौलपुर डीएफओ किशोर गुप्ता के अनुसार इसको लेकर पत्र प्रक्रिया हो गई है. शीघ्र इसको मंजूरी मिलने की पूर्ण संभावना है. इस तरह यह प्रदेश का छठवां और भरतपुर संभाग में दूसरा टाइगर रिजर्व होगा. इस बीच वन विभाग ने धौलपुर जिले के सरमथुरा के जंगलों में करीब 3 साल से डेरा जमाए टाइगरों की निगरानी बढ़ा दी है. 

उनके मूवमेंट पर लगातार नजर रखी जा रही है. वन विभाग के सूत्रों का कहना है कि रणथंभौर में टाइगर्स की संख्या काफी ज्यादा है. इसीलिए उनमें अक्सर अपनी टेरेटरी के लिए संघर्ष होता रहता है. इसमें कई बार टाइगर्स की मौत तक हो जाती है.

वहीं कुछ टाइगर्स करौली के कैलादेवी अभयारण्य होते हुए सरमथुरा और धौलपुर तक और दूसरी ओर रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व की ओर मूवमेंट कर जाते हैं. इसलिए यह सोचा गया है कि क्यों ना धौलपुर, सरमथुरा और करौली को मिलाकर एक नया टाइगर रिजर्व बना दिया जाए, इससे जहां बाघों का ठीक से संरक्षण होगा. वहीं पर्यटकों को टाइगर सफारी के लिए एक और डेस्टिनेशन मिल जाएगा.

टाईगरों के लिए हेबिटॉट सहित निगरानी के लिए जंगल में कैमरे लगाए गए
डीएफओ किशोर गुप्ता ने बताया कि सरमथुरा के जंगलों में रह रहे टाइगर्स की सुरक्षा वहां हैबिटॉट बढ़ाने, वाटर होल्स और सुरक्षा गार्ड लगाने आदि पर करीब 45 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे. डीएफओ किशोर गुप्ता ने बताया कि वर्तमान में अभी धौलपुर क्षेत्र में दो टाइगरो का विचरण है और दो शावक यहां पर विचरण कर रहे है. 

इसमें टी 116 नर है और टी 117 मादा है अभी उस क्षेत्र में हमारे कैमरे लगे हुए हैं और एक एनजीओ को हमने उनके मूवमेंट की निगरानी के लिए लगा रखा है. टी 116 और टी 117 का लगातार विचरण करने का मूवमेंट हमको मिल रहा है, यहां पर हमने वन विहार सरमथुरा और बाड़ी इनका स्टाफ यहां पर तैनात है जो उनकी देखरेख और उनके विचरण पर निगरानी रख रहा है. 

इसके लिए हमें करीब 45 लाख रुपये मिले हैं इसके द्वारा हम नेचुरल हैबिटेट को डवलप करेंगे और अधिक कैमरा लगाएंगे और इनके लिए एक वाइकल भी खरीदेंगे, जिससे इनके मूवमेंट पर और सघनता से निगरानी रखी जाए. वहीं सरमथुरा के रेंजर अमरलाल के मुताबिक टाइगर के मूवमेंट पर निगरानी रखने के लिए खुशालपुर, गिरोनिया, दमोह में और घड़ी के ऊपर ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं. मूवमेंट की रिपोर्ट नियमित रूप से उच्चाधिकारियों को भेजी जा रही है.

पर्यटकों को मिलेगी नई जगह, जिले का होगा विकास
टाइगर रिजर्व बनने से रणथंभौर पर दबाव कम होगा, रणथंभौर में टाइगर ज्यादा बढ़ गए हैं. वहां अक्सर उनमें वर्चस्व की लड़ाई होती है. पहली बार देखा गया है कि धौलपुर-सरमथुरा रेंज में टाइगर्स ना केवल स्थाई निवास बनाए हुए हैं बल्कि कुनबा भी बढ़ा रहे हैं, इसलिए जरूरी है कि धौलपुर-सरमथुरा-करौली को मिलाकर नया टाइगर रिजर्व बने. इससे रणथंभौर पर दबाव कम होगा और टाइगर्स को मूवमेंट के लिए ज्यादा क्षेत्र मिलेगा. 

इससे पर्यटन भी बढ़ेगा टाइगर के लिए नैचुरल हैबिटॉट धौलपुर के जंगल डीएफओ किशोर गुप्ता ने बताया कि यहां का सौंदर्य चंबल नदी के कारण बहुत अच्छा है, यह हैबिटेट काफी अच्छा है टाइगर के लिए क्योंकि यहां पर जंगली जानवर बहुत संख्या में है. टाइगर के विचरण के लिए यह जगह काफी अच्छी है. यहां पर काफी घना जंगल है धोक के काफी बड़े-बड़े पेड़ हैं जुलीफोरा यहां बडी तादाद में आच्छादित है.

राजस्थान का सबसे घना जंगल
डीएफओ किशोर गुप्ता ने बताया कि इतना घना जंगल राजस्थान में बहुत मुश्किल से दूसरी जगह देखने को मिलता है जो टाइगर के लिए बेहद उपयोगी और उनके लिए जो नेचुरल हैबिटेट है जिसको वे पसंद करते हैं. टाइगर के लिए जो उपयोगी है सूटेबल है यहां से जो सेंचुरी के लिए जो प्रस्ताव गया है. मेरा मानना है कि यह टाइगर रिजर्व के लिए बहुत ही कारगर साबित होगा और इसमें पर्यटकों की संख्या में काफी इजाफा होगा.

वहीं सरमथुरा उपखंड क्षेत्र के झिरी इलाके में टाइगर का मूवमेंट हाल ही देखा गया है. कुशाहलपुर खोह के जंगल के पास जंगल में टाइगर ने भैंस का शिकार किया है. धौलपुर वासियों को वर्ल्ड टाइगर डे पर जिले में बाघ की दस्तक देखने पर कही ना कही खुशी उनमें देखने को मिली है. 

जिलेवासियों का कहना है कि बाघों के यहां रहने से यहां इनका कुनबा बढ़ेगा और जल्द ही यहां संभवत टाइगर रिजर्व सेंचुरी बनेगी, जिससे यहां पर्यटन को पंख लगेंगे. कई सालों से रणथम्भौर से बाघ आते-जाते रहे हैं. अब तो बाघ स्थाई तौर पर इन इलाके में विचरण करते रहते हैं. अब वापस रणथम्भौर नहीं जाते हैं, इनका मुख्य मूवमेंट गांव गिरोनिया के पास खुशहालपुर की खोह के आसपास रहता है.

बाघों को रास आया इलाका
इस इलाके में रहने वाले ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने चार बाघ इस इलाके में कई बार घूमते देखे हैं, जिनमें से एक नर और एक मादा और दो शावक साथ में रह रहे है.

Reporter: Bhanu Sharma

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