राजस्थान में संतान पैदा करने के लिए पैरोल मांग रहे सैकड़ों कैदी, कोर्ट पहुंची सरकार
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राजस्थान में संतान पैदा करने के लिए पैरोल मांग रहे सैकड़ों कैदी, कोर्ट पहुंची सरकार

राजस्थान सरकार का जेल विभाग इस मुसीबत में पड़ गया कि सैकड़ों कैदी संतान पैदा करने के लिए पैरोल मांग रहे है. राजस्थान हाईकोर्ट ( Rajasthan High court ) के फैसले का हवाला दे रहे है. अब सरकार सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) पहुंची है

राजस्थान में संतान पैदा करने के लिए पैरोल मांग रहे सैकड़ों कैदी, कोर्ट पहुंची सरकार

नई दिल्ली: राजस्थान हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में सुनवाई के लिए तैयार भी हो गया है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने अगले सप्ताह इस मामले पर सुनवाई की सहमति भी दे दी है. ये मामला CJI एन वी रमन्ना की बैंच के सामने रखा गया था.

क्या है पूरा मामला

राजस्थान हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक युवक को 15 दिन की पैरोल इस आधार पर दे दी. ताकि वो अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बना सके. और संतान पैदा कर सके. राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस फरजंद अली और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने 9 अप्रैल को फैसला सुनाया. इस फैसले में विभिन्न धार्मिक ग्रंथों और सामाजिक मानवीय पक्षों के साथ साथ एक दंपती को संतान होने के अधिकार का हवाला  दिया गया. और नंदलाल नाम के व्यक्ति को पैरोल दी गई.

पत्नी ने दायर की थी याचिका

हाईकोर्ट में इसके लिए सजा काट रहे नंदलाल की पत्नी ने याचिका दायर की थी. नंदलाल की पत्नी ने शादीशुदा जिंदगी का हवाला देते हुए कलेक्टर के सामने अर्जी लगाई थी. अर्जी में कहा कि संतान पैदा करने के लिए पति को पैरोल मिलनी जरुरी है. कलेक्टर के सामने जब सुनवाई नहीं हुई तो उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट ने 9 अप्रैल को महिला की याचिका को स्वीकार करते हुए उसके पति को 15 दिन की पैरोल मंजूर की थी.

जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि बच्चा पैदा करने के लिए बंदी की पत्नी की तरफ से दायर याचिका पर, राजस्थान पैरोल नियमावली 2021 के तहत बंदी को पैरोल पर छोड़ने का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन 'पत्नी की शादीशुदा जिंदगी से संबंधित यौन और भावनात्मक जरूरतों की रक्षा' के लिए बंदी को उसके साथ रहने की इजाजत दी जा सकती है.

सुप्रीम कोर्ट क्यों पहुंची राजस्थान सरकार

राजस्थान हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद जेल विभाग की मुश्किलें बढ़ने लगी. जेल विभाग के सामने दूसरे कैदी भी पैरोल के लिए लगातार आवेदन कर रहे हैं. कैदी पैरोल के लिए अब राजस्थान हाईकोर्ट के इसी आदेश का हवाला दे रहे हैं. जिसमें संतान पैदा करने के उद्देश्य से पत्नी के साथ संबंध बनाने के लिए पैरोल दी गई. पिता बनने और संतान की चाह के लिए पैरोल लेने के लिए मिल रहे नए आवेदन से सकते आयी राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.

राजस्थान सरकार ने क्या कहा ?

राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हाई कोर्ट का आदेश विधिविरूद्ध थ. इस आदेश के बाद से पत्नी से संबंध बना कर संतान पैदा करने के लिए पैरोल मांगने वाले आवेदनों की संख्या बहुत बढ़ गई है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट के आदेश को निरस्त कर उचित व्यवस्था दे.

अब सुप्रीम कोर्ट राजस्थान हाईकोर्ट के पैरोल पर दिए गए फैसले के खिलाफ राजस्थान सरकार की अपील पर सुनवाई के लिए हामी भर दी है. अगले सप्ताह इस पर सुनवाई होगी.

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