राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलकर पिछले तीस साल से सूबे की सियासत का केंद्र बने और करीब 50 सालों से सूबे और मुल्क की सियासत में अहम रोल निभाने वाले अशोक गहलोत का आज जन्मदिन है.
सूबे की सियासत में जब अशोक गहलोत का जिक्र होगा तो कोई एक अध्याय नहीं बल्कि एक पूरा युग होगा. बतौर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सूबे की जनमानस को अपनी कार्यशैली और सरकार चलाने के तरीके से बेहद प्रभावित किया है.
गहलोत कार्यकाल में सूबे के दलित और वचिंत तबके ने अपने जीवन में बदलाव महसूस किया है. अशोक गहलोत जिस माली जाति से आते हैं. उसका राजस्थान में कोई बड़ा जनाधार नहीं है. इसके बावजूद 5 बार सांसद, 3 बार केंद्र में मंत्री 3 बार प्रदेशाध्यक्ष, 2 बार कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव 5 बार विधायक और 3 बार मुख्यमंत्री बने हैं.
अशोक गहलोत का जन्म 3 मई 1951 को जोधपुर में हुआ. छात्र जीवन से उनकी राजनीति शुरू हुई. अगर हम अशोक गहलोत के जीवन और राजनीतिक सफ़र को देखें तो ये एक साधारण परिवार से निकलकर आने वाले एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जिसने लाखों लोगों के जीवन को प्रेरणा दी है.
अर्थशास्त्र विषय में स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की. पहली बार 1980 में लोकसभा के सदस्य बने,1980 में शुरु हुआ ये सफर 1998 तक पहुंचा. 1998 में वे पांचवी बार लोकसभा सदस्य बने. 7वीं, 8वीं, 10वीं और 11वीं लोकसभा में जोधपुर का प्रतिनिधित्व किया. वे तीन बार राजस्थान प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष रहे. उन्हें 1982 में पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री उपमंत्री, 1984 में खेल उपमंत्री, 1984 में ही पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री और 1991 में कपड़ा (स्वतंत्र प्रभार) राज्यमंत्री का जिम्मा मिला.
साल 1989 में राजस्थान के गृह और जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री रहे. गहलोत ने चीन, साइप्रस, बुल्गारिया और संयुक्त राष्ट्र में भारतीय दल के सदस्य के रूप में अमेरिका की यात्रा की. इसके अलावा बैंकॉक, आयरलैंड, जर्मनी, कनाडा, हांगकांग, इटली, दुबई और फ्रांस की यात्राएं भी की. 1974 से 1979 तक NSUI के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे. साल 2004 में कांग्रेस के राष्ट्रीय महामंत्री बनाए गए.
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