Nahargarh Biological Park में शावक की रिवाइल्डिंग, बाघिन रानी के छोटे शावकों की डॉक्टर्स 'मां' की तरह कर रहे देखभाल
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Nahargarh Biological Park में शावक की रिवाइल्डिंग, बाघिन रानी के छोटे शावकों की डॉक्टर्स 'मां' की तरह कर रहे देखभाल

Nahargarh Biological Park में शावक की रिवाइल्डिंग की जा रही है. वहीं बाघिन रानी के छोटे शावकों की डॉक्टर्स  'मां' की तरह देखभाल कर रहे हैं. साथ ही शावकों को दूध पिलाने और अन्य खानपान दे रहे हैं.

Nahargarh Biological Park में शावक की रिवाइल्डिंग, बाघिन रानी के छोटे शावकों की डॉक्टर्स  'मां' की तरह कर रहे देखभाल

Nahargarh Biological Park: जयपुर का नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क वन्यजीवन के लिहाज से एक बहुउद्देशीय प्रयोगशाला साबित हो रहा है. यहां मात्र 20 दिन के शावकों को मां से अलग नियोनेटल केयर में पाला जा रहा है, तो जंगल से लाए गए 2 माह के शावक को अब फिर से जंगली तौर तरीके सिखाए जा रहे हैं. रणथम्भौर से लाया गया शावक अब जवां होने लगा है और शिकार करना सीखने लगा है.

जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में 15 सितंबर 2023 को रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से जब एक बीमार शावक को उपचार के लिए लाया गया था तो उसके बच पाने पर भी संशय बना हुआ था, लेकिन नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क प्रशासन के कर्मचारियों और वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सक ने इसकी देखभाल कर इसे स्वस्थ बनाए रखा.

दरअसल रणथम्भौर में बाघिन टी-79 के कई दिनों तक नहीं दिखने और इसके शावकों की सुरक्षा को लेकर परेशानी बनी हुई थी. रणथम्भौर में कुछ ही दिन में बाघिन टी-79 के 2 शावकों की मौत हो गई थी. ऐसे में बचे हुए बीमार शावक को जयपुर भेजने का फैसला किया गया. यहां जयपुर के नाहरगढ़ रेस्क्यू सेंटर स्थित नियोनेटल केयर में इसकी देखभाल करने के लिए डॉ. अरविन्द माथुर को जिम्मेदारी दी गई. 

डॉ. माथुर लेपर्ड, बाघ के रेस्क्यू के मामले में काफी अनुभवी हैं, ऐसे में उन्होंने इस शावक को नियोनेटल केयर यूनिट में रखकर उसका ध्यान रखा. शुरूआत में जहां शावक को दूध और जरूरी विटामिन्स दिए जाते थे, वहीं बाद में मीट सूप, मांस के टुकड़े सहित अन्य भोजन दिया गया. मौजूदा स्थिति यह है कि अब एक साल के इस शावक को शिकार करना सिखाया जा रहा है.

जयपुर में टाइगर की रिवाइल्डिंग !

- जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में शावक की रिवाइल्डिंग

- दरअसल शावक पिछले 10 माह से बायोलॉजिकल पार्क में रह रहा है

- यहां शावक को खान-पान के लिए सभी चीजें आसानी से मिल जाती हैं

- लेकिन अब इसे शिकार करना सिखाया जा रहा है

- जिससे कि आने वाले समय में जंगल में छोड़ा जाए तो सर्वाइव कर सके

- फिलहाल यह शावक मुर्गे का आसानी से शिकार कर रहा है

- बकरे का शिकार करने में उसे दिक्कत आ रही है पहले यह बकरे के साथ अठखेलियां करता था.

- करीब 3 से 4 घंटे तक बकरे के साथ खेलने के बाद शिकार करता है

- हालांकि शिकार के बाद भी यह मरे हुए बकरे को भोजन नहीं बनाता है.

- कोटा में भी 2 शावकों को रिवाइल्ड किया जा रहा, प्रक्रिया अंतिम चरण में

नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बाघिन रानी के अत्यधिक छोटे शावकों को भी बड़ा किया जा रहा है. यहां वन्यजीव चिकित्सक मां की तरह देखभाल करते हुए नन्हे शावकों को दूध पिलाने और अन्य खानपान दे रहे हैं. वहीं टी-79 का शावक इसी बेहतर देखभाल की बदौलत अब जवां हो रहा है. यह शावक अब काफी फुर्ती से मुर्गे या बकरे पर हमला करता है हालांकि अभी इसे खुले वन्यजीवन में नहीं छोड़ा जा रहा है. इसके एनक्लोजर में ही मुर्गा या बकरा रखा जाता है, जिसे यह मारने का अभ्यास करता है. बायोलॉजिकल पार्क प्रशासन की मानें तो पूरी तरह प्रशिक्षित होने के बाद ही इसे फिर से जंगल में छोड़ने का फैसला लिया जाएगा. उच्चाधिकारियों की अनुशंसा पर ही इस शावक की रिवाइल्डिंग प्रक्रिया की जा रही है.

 

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