Savitribai Phule Death Anniversary Facts: महज 9 साल की उम्र में शादी, उसके बाद सावित्रीबाई फुले की संघर्ष की कहानी,जानें
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Savitribai Phule Death Anniversary Facts: महज 9 साल की उम्र में शादी, उसके बाद सावित्रीबाई फुले की संघर्ष की कहानी,जानें

Savitribai Phule Death Anniversary Facts: आज भी देश की अधिकांश महिला इस बात से अंजान है कि अगर आज वे शिक्षित है, रोजगार के योग्य है, समाज में हक की लड़ाई लिए आवाज उठा रही हैं तो किनके प्रयासों के चलते ये संभव हुआ. जानें सावित्री बाई फुले के बारे में 10 खास बातें.

Savitribai Phule Death Anniversary Facts: महज 9 साल की उम्र में शादी, उसके बाद सावित्रीबाई फुले की संघर्ष की कहानी,जानें

Savitribai Phule Death Anniversary Facts:10 मार्च को भारत की पहली महिला शिक्षिका और समाज सुधारिका सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule) की पुण्यतिथि मनाई जाती है. सावित्रीबाई फुले - एक भारतीय समाज सुधारक, शिक्षाविद और महाराष्ट्र की कवियित्री  का 10 मार्च, 1897 को बुबोनिक प्लेग से जूझते हुए निधन हो गया. देश की पहली आधुनिक नारीवादी के रूप में सम्मानित, फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं. आज भी देश की अधिकांश महिला इस बात से अंजान है कि अगर आज वे शिक्षित है, रोजगार के योग्य है, समाज में हक की लड़ाई लिए आवाज उठा रही हैं तो किनके प्रयासों के चलते ये संभव हुआ. अगर नहीं पता है तो जान ले.  ये आदर्श व्यक्तित्व है सावित्रीबाई फुले. 

जानें सावित्री बाई फुले के बारे में 10 खास बातें  जो  इनके आदर्श व्यक्तित्व को दर्शाता है

1. सावित्रीबाई फुले का 3 जनवरी, 1831 को महाराष्ट्र के नायगांव गाव में जन्म हुआ. वह लक्ष्मी और खांडोजी नेवेशे पाटिल की सबसे बड़ी बेटी थीं. 9 साल की उम्र में, फुले का विवाह 13 वर्षीय ज्योतिराव फुले से हुआ . जो महाराष्ट्र के महानतम समाज सुधारकों में से एक थे.

2. देश की पहली क्रांतिकारी नारीवादी के रूप में जानी जाने वाली सावित्रीबाई ने पढ़ना और लिखना सीखा और जल्द ही सगुनाबाई के साथ पुणे के महारवाड़ा में लड़कियों को पढ़ाना शुरू किया, जो उनके पति ज्योतिराव की गुरु थीं.

3. फुले ने अपने पति के साथ, 1848 में भिडेवाडा में लड़कियों के लिए भारत का पहला स्कूल शुरू किया. स्कूल का पाठ्यक्रम पश्चिमी शिक्षा पर आधारित था. इसमें गणित, विज्ञान और सामाजिक अध्ययन शामिल थे. 1851 तक, सावित्रीबाई और ज्योतिराव फुले पुणे में तत्कालीन समाज के प्रतिरोध के बावजूद लगभग 150 लड़कियों की क्षमता के साथ तीन स्कूल चला रहे थे .अपने पति क्रांतिकारी नेता ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर लड़कियों के लिए 18 स्कूल खोले. पहला स्‍कूल 1848 में पुणे बालिका विद्यालय खोला था. 

4. सावित्रीबाई फुले ने दहेज और महिला सशक्तिकरण में बाधा डालने वाली अन्य सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी.सावित्रीबाई ने उन्नीसवीं सदी में छुआ-छूत, सतीप्रथा, बाल-विवाह और विधवा विवाह निषेध जैसी कुरीतियां के विरुद्ध अपने पति के साथ मिलकर काम किया.

5. फुले ने मांग और महार सहित दलित जातियों की महिलाओं और बच्चों को पढ़ाना भी शुरू किया, जिन्हें अछूत माना जाता था. पति-पत्नी की जोड़ी ने विभिन्न जातियों के बच्चों के लिए 18 स्कूल खोले. उन्होंने अपने पति के साथ दो शैक्षिक ट्रस्टों की स्थापना की . नेटिव फीमेल स्कूल, पुणे और सोसाइटी फॉर द प्रमोशन ऑफ द एजुकेशन ऑफ महार.

6. 1852 में, ब्रिटिश सरकार ने फुले परिवार को शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया और सावित्रीबाई को सर्वश्रेष्ठ शिक्षक के रूप में नामित किया. 1855 में दंपति ने किसानों और मजदूरों के लिए एक नाइट स्कूल की शुरूआत की.

7. उन्‍होंने 28 जनवरी 1853 को गर्भवती बलात्‍कार पीडि़तों के लिए बाल हत्‍या प्रतिबंधक गृह की स्‍थापना की.

8. सावित्रीबाई ने दो पुस्तकें भी लिखीं हैं. इनमें 1854 में काव्या फुले और 1892 में बावन काशी सुबोध रत्नाकर शामिल हैं.

9. सावित्रीबाई ने विधवाओं के सिर मुंडवाने की प्रथा के विरोध में मुंबई और पुणे में नाइयों की हड़ताल का आयोजन किया.

10. सावित्रीबाई और उनके पति की कभी कोई संतान नहीं थी लेकिन उन्होंने एक लड़के को गोद लिया था  जिसका नाम यशवंतराव था.

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