Govind Singh Dotasara attack on Bhajanlal and Deputy CM : राजस्थान में नई सरकार का राजतिलक होने जा रहा है. इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने ट्वीट कर बवाल खड़ा किया.
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Govind Singh Dotasara attack on Bhajanlal and Deputy CM : राजस्थान में नई सरकार का राजतिलक (Bhajan Lal Sharma oath Ceremony) होने जा रहा है. इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने ट्वीट कर बवाल खड़ा किया.
सीएम भजनलाल शर्मा का शपथ ग्रहण समारोह 15 दिसंबर यानी कल होगा. इससे पहले राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasra) ने नए सीएम के शपथ ग्रहण समारोह के निमंत्रण पत्र को लेकर सवाल खड़ा किया है.
कल होने वाले शपथ ग्रहण समारोह के सरकारी निमंत्रण में मुख्यमंत्री के साथ उप मुख्यमंत्री के शपथग्रहण का विवरण लिखा गया है जबकि संविधान के अनुच्छेद 163 , 164 में ऐसे किसी पद की शपथ का विवरण नहीं है। pic.twitter.com/8Lw14EQxqa
— Govind Singh Dotasra (@GovindDotasra) December 14, 2023
डोटासरा ने निमंत्रण पत्र में मुख्यमंत्री के साथ उपमुख्यमंत्री के शब्द का इस्तेमाल को संवैधानिक तौर पर गलत बताया है. हालांकि अपने ट्वीट में डोटासरा ने भी चूक कर दी. संविधान के अनुच्छेद को धारा 163, 164, लिख दिया. जबकि संविधान में अनुच्छेद होते हैं, धारा नहीं होते है.
सीएम भजनलाल शर्मा का शपथ ग्रहण समारोह कल
पीसीसी चीफ गोविन्द डोटासरा ने किया ट्वीट
निमंत्रण पत्र में उप-मुख्यमंत्री लिखने पर किया ट्वीट
कहा - निमंत्रण में उपमुख्यमंत्री शब्द लिखा है
जबकि संविधान के अनुच्छेद 163, 164 में
ऐसे किसी पद की शपथ का विवरण नहीं है - डोटासरा
इस बारे में राजस्थान राजभवन की सूचना के बाद सरकारी तौर पर निमंत्रण पत्र व विज्ञापन भी जारी किए गए हैं. इस निमंत्रण पत्र में सीएम भजनलाल शर्मा के साथ उपमुख्यमंत्री के रूप में विद्याधर नगर विधायक दीया कुमारी और दूदू विधायक प्रेमचंद बैरवा के शपथ ग्रहण को लेकर कांग्रेस के पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने इसे मुद्दा बनाते हुए ट्वीट कर सवाल खड़ा किया है.
पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने एक पोस्ट में डोटासरा ने लिखा, ''कल होने वाले कार्यक्रम के सरकारी निमंत्रण में मुख्यमंत्री के साथ उपमुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण का विवरण लिखा गया है, जबकि संविधान की धारा 163 व 164 में ऐसे किसी पद की शपथ का विवरण नहीं है. जाहिर है कि राज्य में उपमुख्यमंत्री का कोई संवैधानिक पद नहीं होता है.''
कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार के तीसरे कार्यकाल में भी सीएम का शपथ ग्रहण समारोह रामनिवास बाग के अल्बर्ट हॉल के बाहर ही हुआ था और उस दौरान सचिन पायलट ने भी उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, लेकिन सरकारी निमंत्रण में इसकी कोई विस्तृत जानकारी और जिक्र नहीं किया गया था.
जाहिर है कि उपमुख्यमंत्री को लेकर कोई संवैधानिक मान्यता नहीं होती है. हालांकि, राजनीतिक लाभ के नजरिए से पार्टियां अपने नेताओं का कद बढ़ाने को उन्हें डिप्टी सीएम के रूप में नियुक्त करती हैं. इसके पहले अपने प्रथम कार्यकाल में अशोक गहलोत ने द्वारका प्रसाद बैरवा और कमला बेनीवाल को भी उपमुख्यमंत्री बनाया था. वहीं, भैरोंसिंह शेखावत के कार्यकाल के दौरान भी हरिशंकर भाभड़ा उपमुख्यमंत्री बने थे.
बता दें कि ये पहली बार नहीं है. गहलोत सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान सचिन पायलट के उपमुख्यमंत्री (Deputy CM) के रूप में शपथ लिए जाने पर भी सवाल खड़े हुए थे. शपथ के दौरान उपमुख्यमंत्री शब्द के इस्तेमाल को गैर संवैधानिक बताया गया था.
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 164 (Anuched 164) कहता है कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाएगी तथा अन्य मंत्रियों की नियुक्ति मुख्यमंत्री की सलाह से राज्यपाल द्वारा की जाएगी. मुख्यमंत्री राज्यपाल के प्रसादपर्यंत अपने पद धारण करेंगे.
शपथ ग्रहण समारोह के दौरान उपमुख्यमंत्री पद के नाम से कोई शपथ नहीं लिया जाता. तकनीकी तौर पर उन्हें मंत्री पद का ही शपथ लेना होता है. सरकारी भत्तों के मामले में भी उपमुख्यमंत्री एक कैबिनेट मंत्री के बराबर ही होता है. यह अलग बात है कि मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री के बाद उपमुख्यमंत्री को दूसरे सबसे बड़े रैंक का मंत्री माना जाता है.
दूसरी ओर, सरकार में भले ही डिप्टी सीएम (Deputy CM) का पद रैंक में दूसरे नंबर का हो, लेकिन वह मुख्यमंत्री की सहमति के बिना उनकी गैर मौजूदगी में कोई आदेश या निर्देश नहीं जारी कर सकता. मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में वह कैबिनेट बैठकों की अध्यक्षता करने, आधिकारिक कार्यों में भाग लेने, केंद्रीय बैठकों वगैरह में जैसे बेहद जरूरी काम को पूरा कर सकता है. हालांकि, उपमुख्यमंत्री को इसकी आधिकारिक जानकारी भी मुख्यमंत्री को देनी होती है.