भीनमाल में वराह जयंती पर निकली शोभायात्रा, भक्तों का उमड़ा सैलाब
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भीनमाल में वराह जयंती पर निकली शोभायात्रा, भक्तों का उमड़ा सैलाब

मंदिर परिसर में मुख्य देव प्रतिमा के अलावा ऐसी कई छोटी-छोटी मूर्तियां भी स्थापित हैं, जो दुर्लभ हैं. मंदिर की अन्य दीवारों में शेषशायी विष्णु, चक्रधारी विष्णु, यक्ष देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं, हालांकि मुख्य प्रतिमा के बारे में कोई स्पष्ट शिलालेख मौजूद नहीं हैं.

भीनमाल में वराह जयंती पर निकली शोभायात्रा, भक्तों का उमड़ा सैलाब

Bhinmal: जालोर ज़िले के भीनमाल में वराह श्याम मंदिर से वराह जयंती के उपलक्ष्य में भव्य शोभायात्रा निकाली गई. इसमें विभिन्न झांकियां, भजन मंडली आकर्षण का केंद्र रही. वराह जयंती को लेकर प्रतिमा को विशेष रूप से सजाया गया था. 

इस दौरान दिनभर दर्शन के लिए लोगों का हुजूम उमड़ा. शोभायात्रा मंदिर प्रांगण से निकली, जो शहर के चारभुजा रोड, बड़ा चौहटा, बड़ी टंकी, जुंजाणी बस स्टैंड सहित विभिन्न मार्गों से होते हुए पुन मंदिर प्रांगण पहुंची. शोभायात्रा में लोगो सैलाब उमड़ा रहा. इसके बाद मंदिर में महाआरती प्रसादी का आयोजन हुआ. 

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शोभायात्रा के दौरान भगवान वराह श्याम सहित विभिन्न देवी-देवताओं की झांकियां, वराह श्याम के भक्तों की भजन मंडलियां आकर्षण का केंद्र रही. वहीं, यात्रा में लोग ढोल नगाड़ों और मंजीरों के साथ भजन गाते हुए नाचते हुए चल रहा था. शोभायात्रा के दौरान कानून शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस जाब्ता तैनात रहा.

जालोर ज़िले के भीनमाल शहर के बीचों-बीच स्थित वराह श्याम मंदिर अति प्राचीन और देश के गिने-चुने मंदिरों में से एक है. यह मंदिर करीब 600 वर्ष पुराना है. हर वर्ष वराह श्याम जयंती को लेकर भव्य शोभायात्रा का आयोजन होता है. वराह अवतार हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान विष्णु के दस अवतारों में से तृतीय अवतार हैं, जो भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की तृतीया को अवतरित हुए. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि इस मंदिर में ऐसा कोई स्थान नहीं है, जहां देव विराजित नहीं है. वराह श्याम मंदिर दूर-दूर तक प्रसिद्ध है. मंदिर में स्थापित 8 फीट लंबी प्रतिमा अपने आप में विशेष है. मूर्ति दाएं भुजा में मेदिनी (लक्ष्मी) को धारण किए हुए. उनके चरणों के पास नाग-नागिन का युगल है. इनके पास इंद्राणी तथा नारद की प्रतिमाएं भी विराजमान है. 

मंदिर परिसर में मुख्य देव प्रतिमा के अलावा ऐसी कई छोटी-छोटी मूर्तियां भी स्थापित हैं, जो दुर्लभ हैं. मंदिर की अन्य दीवारों में शेषशायी विष्णु, चक्रधारी विष्णु, यक्ष देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं, हालांकि मुख्य प्रतिमा के बारे में कोई स्पष्ट शिलालेख मौजूद नहीं हैं.

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