Jhunjhunu: आठ घंटे की मशक्कत के बाद पकड़ में आया सांभर हिरण,हुई मौत
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan2100842

Jhunjhunu: आठ घंटे की मशक्कत के बाद पकड़ में आया सांभर हिरण,हुई मौत

Jhunjhunu news: झुंझुनूं के नवलगढ़ कस्बे में अग्निशमन केंद्र के पास सांभर हिरण घूमता मिला. जिसकी सूचना नगरपालिका को दी गई. इसके बाद नगरपालिका सफाई निरीक्षक ललित शर्मा के नेतृत्व में अन्य कर्मचारी सांभर हिरण को पकड़ने के लिए गलियों में दौड़ते रहे.

सांभर हिरण

Jhunjhunu news: झुंझुनूं के नवलगढ़ कस्बे में अग्निशमन केंद्र के पास सांभर हिरण घूमता मिला. जिसकी सूचना नगरपालिका को दी गई. इसके बाद नगरपालिका सफाई निरीक्षक ललित शर्मा के नेतृत्व में अन्य कर्मचारी सांभर हिरण को पकड़ने के लिए गलियों में दौड़ते रहे.लेकिन सफलता नहीं मिली. सूचना पर नवलगढ़ वन विभाग से वनपाल गिरधारीलाल सैनी, गोकुलचंद राड़ आदि पहुंचे. इन्होंने भी प्रयास किया. लेकिन हिरण पकड़ में नहीं आया. 

आठ घंटे तक सांभर के पीछे दौड़ते रहे पालिका—वनकर्मी
इसके बाद झुंझुनूं से वन विभाग के पशु चिकित्सक डॉ. मुकेश काजला व अन्य कर्मचारी रेस्क्यू वाहन लेकर पहुंचे. लेकिन ट्रेंक्यूलाइजर गन नहीं होने के कारण यह लोग भी हिरण के पीछे दौड़ने के सिवा कुछ नहीं कर पाए. इस दौरान सांभर हिरण रामदेवरा के पास पाटोदिया गली, गणेशपुरा होते हुए जयपुरिया अस्पताल में घुस गया. यहां भी रेस्क्यू टीम पकड़ने के लिए नजदीक गई तो दीवार फांदकर मोर अस्पताल रोड पर चला गया. इसके बाद मोर अस्पताल रोड पर एक बकरियों के बाड़े में बने टीन शैड में घुस गया. फिर टीन शैड का दरवाजा बंद कर वन विभाग के लोगों ने अंदर घुसकर पहले सांभर की टांगे बांधी फिर जाल में लपेट कर झुंझुनूं ले गए.

पकड़े जाने के बाद हुई सांभर हिरण की मौत
झुंझुनूं पहुंचने पर पता चला कि सांभर की मौत हो चुकी है. इधर, इस घटना के बाद वन विभाग की लाचारी भी सामने आई. वन विभाग में होने को तो नवलगढ़, झुंझुनूं सहित अधिकारियों, कर्मचारियों की लंबी चौड़ी टीम है. लेकिन एक हिरण को पकड़ने में ही साढ़े आठ घंटे लग गए. यह सोचने का विषय है. क्योंकि पूरे शेखावाटी क्षेत्र में वन विभाग के पास आबादी क्षेत्र में घुसने पर वन्य जीवों को पकड़ने के लिए ट्रेंक्यूलाइजर गन नहीं है. हालांकि वन्य जीव विशेषज्ञों के अनुसार सांभर, हिरण, चीतल, चिंकारा आदि जीवों को पकड़ने के लिए विशेष असामान्य परिस्थिति में ही ट्रेंक्यूलाइजर करना चाहिए. 

इन जीवों में ज्यादा देर तक दौड़ने तथा भीड़भाड़ से घबरा कर कैप्चर मायोपैथी की समस्या के कारण मौके पर ही मौत भी हो सकती है. ट्रेंक्यूलाइजर गन की समस्या अप्रेल 2023 में भी नवलगढ़ के गोठड़ा गांव स्थित सीमेंट कंपनी परिसर में तेंदुआ घुस जाने पर सामने आई थी. उस समय भी जयपुर चिड़ियाघर से ट्रेंक्यूलाइजर गन मंगवाई गई. इतने में तेंदुआ भाग गया. फिर तीसरे दिन जाकर बेरी गांव में पकड़ में आया.

यह भी पढ़ें:बच्चो से भरी ऑटो गिरी नहर में! शहर में मचा हड़कंप

Trending news