Jodhpur News: जोधपुर जिले के पुलिस थाना प्रतापनगर, भीलवाड़ा में सांवर मल शर्मा व आशीष कुमार छीपा निवासी भीलवाड़ाके खिलाफ दर्ज धोखाधड़ी के मामले में राजस्थान हाई कोर्ट ने आरोपियों की गिरफ़्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी. राजस्थान हाई कोर्ट मुख्य पीठ जोधपुर में आरोपियो की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी.


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 याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता निखिल भंडारी ने बताया कि  विकास सुल्तानिया व आशीष बंसल ने एक प्रथम सूचना रिपोर्ट इस आशय की दर्ज कराई की उन्हें चन्द्रकान्ता की कृषि भूमि खरीदनी है. जिसके लिए आरोपी सांवर मल शर्मा व आशीष कुमार छीपा ने एक अन्य महिला जिसने स्वयं को चन्द्रकान्ता बताकर दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए थे . वह जमीन उनकी नहीं थी, लेकिन कूटरचित बेचान इकरारनामा बना कर 3 करोड़ 89 लाख 15 हजार रुपयों में सौदा करके अलग-अलग टुकड़ों में संपूर्ण बेचान राशि 3 करोड़ 89 लाख 15 हजार रुपये जरिए नकद व बैंक के प्राप्त कर लिए थे.


 कृषि भूमि की असली मालिक चन्द्रकान्ता ने समाचार पत्र में यह आम सूचना प्रकाशित कराई कि उन्होंने अपनी कृषि भूमि नहीं बेची हैं और आरोपियो ने एक महिला को फर्जी खातेदार चन्द्रकान्ता के रूप में बनाकर कूटरचित दस्तावेज बनाएं और दोनों प्रथम सूचना कर्ताओं से 3 करोड़ 89 लाख 15 हजार रूपये लेकर हड़प कर गए.


  सांवर मल शर्मा व आशीष कुमार छीपा निवासी भीलवाड़ा की ओर से एडवोकेट निखिल भण्डारी ने   राजस्थान हाईकोर्ट के सामने बहस करते हुए यह तर्क प्रस्तुत किए कि बेचान इकरारनामा व पॉवर ऑफ अटॉर्नी निष्पादित होते समय यह दोनों  मौजूद ही नहीं थे. एडवोकेट निखिल भण्डारी ने यह तर्क भी दिया कि उक्त दोनों दस्तावेजों में यह दोनों  ना तो पक्षकार थे और ना ही गवाह थे .
 इसलिए कथित धोखाधड़ी से उन दोनों का कोई लेना देना नहीं हैं. ऐसे में इनकी गिरफ्तारी पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाई जाना न्यायोचित होगा..


 दोनों प्रथम सूचना कर्ताओं ने इन दोनों आरोपियो को बिल्कुल झूठा फँसाने वह गलत तौर से गिरफ्तार कराने के लिए झूठे आरोप लगाए हैं वह गलत बयानी की है. इस पर राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर के जस्टिस डाॅ. पुष्पेन्द्र सिंह भाटी ने एडवोकेट निखिल भण्डारी के तर्कों से सहमत होते हुए परिवादी विकास सुल्तानिया को नोटिस जारी करते हुए  सांवर मल शर्मा व आशीष कुमार छीपा की 3 करोड़ 89 लाख 15 हजार रूपयों की धोखाधड़ी व दस्तावेजों की कूटरचना के मामलें में उन दोनों आरोपियो की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी.


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