Jodhpur: कन्याकुमारी में अपनों से बिछड़ा गिद्ध, एयरलिफ्ट होकर पंहुचा जोधपुर, परिवार से होगा मिलन
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Jodhpur: कन्याकुमारी में अपनों से बिछड़ा गिद्ध, एयरलिफ्ट होकर पंहुचा जोधपुर, परिवार से होगा मिलन

Jodhpur News: जोधपुर में हजारों किलोमीटर दूर स्पेन से आया एक गिद्ध कन्याकुमारी के साइक्लोन में पंहुचा चेन्नई परिवार से 5 सालों से है दूर. अब एयरलिफ्ट कर लाया जोधपुर, गिद्ध को भी जगी परिवार से मिलने की आस. चेन्नई के डॉक्टर्स की टीम कर रही परिवार की तलाश, जोधपुर फारेस्ट डिपार्टमेंट अब रखेगा गिद्ध का ख्याल .

एयरलिफ्ट कर जोधपुर  पंहुचा परिवार से बिछड़ा गिद्ध

Jodhpur: जोधपुर में हजारों किलोमीटर दूर स्पेन से आए एक गिद्ध को उसके परिवार से मिलवाने के लिए एयरलिफ्ट किया गया. एक तरफ जहां गिद्धों की प्रजाति विलुप्त होती जा रही है. ऐसे में गिद्धों को लेकर एक अच्छी खबर वन विभाग की ओर से सामने आई है. सिनेरियस प्रजाति का यह गिद्ध कन्याकुमारी में आए साइक्लोन की वजह से साढ़े पांच साल पहले अपने परिवार से बिछड़ गया था. जिसके बाद वन विभाग की टीम ने प्लान बनाकर इसे पहले कन्याकुमारी से चेन्नई, उसके बाद अब जोधपुर के माचिया सफारी पार्क में पहुंचाया है.

कन्याकुमारी से जोधपुर किया शिफ्ट

गिद्ध आज विलुप्त होने के कगार पर है, ऐसे में एक गिद्ध को एयरलिफ्ट कर लाना और उसके कुनबे से मिलने में वन विभाग की टीम ने जो प्रयास किया वैसे यह काबिले तारीफ है. विभाग के अधिकारियों और विशेषज्ञों की माने तो जोधपुर लाते समय गिद्ध को सफर में किसी तरह की परेशानी नहीं हो इसलिए करीब 12 घंटे के सफर के दौरान इसे भूखा रखा गया था. पहले इस गिद्ध को कन्याकुमारी से जोधपुर करीब 2600 किलोमीटर शिफ्ट करने के लिए सड़क मार्ग की प्लानिंग बनाई गई थी, लेकिन एक महीने पहले कन्याकुमारी से चेन्नई तक सड़क मार्ग से ट्रायल की गई उसमें गिद्ध लिए खतरा महसूस किया गया. जिसके बाद एयरलिफ्ट करने का प्लान बनाया गया. 

जोधपुर का मौसम सिनेरियस प्रजाति के लिए अनुकूल

जोधपुर में भी इसे इनकी प्रजाति के बीच छोड़ने से पहले सर्वे किया जाएगा. 2017 में स्पेन से आया सिनेरियस प्रजाति के गिद्धों का झुंड कन्याकुमारी पहुंचा तो साइक्लोन की वजह से यह गिद्ध उड़ नहीं पाया. इसके बाद इसे उदयगिरी पार्क में रखा गया. इस बीच रिसर्च किया गया कि देश में इसके अनुकूल कौन सी जगह है तो पता चला कि जोधपुर इसके लिए सबसे बेहतर है. मौसम के अनुसार जोधपुर में सिनेरियस प्रजाति के कई गिद्ध यहां आते हैं, इसके बाद इसे यहां लाया गया, जिससे यह अपने कुनबे के साथ रह सके.

तमिलनाडु फॉरेस्ट डिमार्टमेंट की टीम करगी रिसर्च

फिलहाल पहले डॉक्टर की टीम  वातावरण का रिसर्च कर रही है, इसके बाद छोडा जाएगा. इस गिद्ध के साथ तमिलनाडु फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की टीम भी आई है, इसमें तमिलनाडु फॉरेस्ट डिमार्टमेंट से DFO, वेटरनरी ऑफिसर और केयर टेकर भी शामिल हैं. माचिया के वेटरनिरी डॉक्टर ज्ञान प्रकाश ने बताया कि यह टीम  जोधपुर के पास केरु में बने डंपिग यार्ड का सर्वे करेगी और पता लगाया जाएगा कि इस प्रजाति के गिद्ध यहां आ रहें हैं या नहीं. इसके बाद यही टीम दो दिनों तक इस पूरे एरिया का रिसर्च करेगी. यदि 25 से 30 वल्चर इस प्रजाति के मिलेंगे तो इसे भी वहां छोड़ा जाएगा, नहीं तो इसके लिए दूसरी जगह ढूढेंगे या फिर कई दिनों तक इंतजार करेंगे.जोधपुर के माचिया पार्क में इसे कुछ दिन एक्सपर्ट टीम की निगरानी में रखा जा रहा हैं, जिससे यह जोधपुर की आबोहवा के अनुकूल स्वयं को ढाल सके.

गिद्ध सर्दी के मौसम में लंबी दूरी तय कर आते हैं भारत 

सिनेरियस, हिमालयन ग्रिफन व यूरेशियन प्रजाति के गिद्ध सर्दी के मौसम में लंबी दूरी तय कर भारत आते हैं. ये गिद्ध अमूमन मंगोलिया, कजाकिस्तान, स्पेन सहित कुछ अन्य देशों से उड़ान भरकर यहां पहुंचते हैं. कई बार इनकी उपस्थिति श्रीलंका व थाईलैंड तक में दर्ज की जा चुकी है. ऐसे में कोई बड़ी बात नहीं है कि सिनेरियस प्रजाति का यह गिद्ध कन्याकुमारी तक जा पहुंचा हो. आमतौर पर ये गिद्ध समूह में ही उड़ान भरते हैं, हो सकता है कि घायल होने के कारण यह गिद्ध पीछे रह गया. ऐसे में समय रहते लोगों की मदद से सही स्थान पर पहुंच गया और इसका इलाज हो सका. डॉ ज्ञान प्रकाश ने बताया कि आज तक गिद्धों की सही तरीके से कभी गणना ही नहीं की गई. ऐसे में सारे दावें अनुमान पर आधारित हैं. बेशक पूरे देश में ही गिद्धों के प्राकृतिक आवास धीरे-धीरे कम होते जा रहें हैं, इसका असर गिद्धों की आबादी पर पड़ना ही है.

Reporter - Bhawani Bhati

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